Post Viewership from Post Date to 02-Sep-2021
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1912 111 2023

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मच्छरों की रक्त प्रकार वरीयता का कारण व छुटकारा पाने के उपाय

जौनपुर

 28-08-2021 11:36 AM
तितलियाँ व कीड़े

दुनिया में पाए जाने वाले सभी कीटों में से मच्छरों को सबसे ज्यादा घृणा के रूप में देखा जाता है। क्योंकि मच्छर आपके शरीर के चारों ओर डंक मारकर आपको परेशान करने के साथ साथ घातक बीमारियों का फैलाव भी करते हैं। कई बार देखा गया है कि मच्छर कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक काटते हैं‚ भले ही हर व्‍यक्ति एक ही स्थान पर‚ एक ही समय में‚ समान मात्रा में उजागर त्वचा के साथ ही क्‍यों न हो। मच्छरों के इस व्‍यवहार को जानने के लिए कई शोधकर्ताओं द्वारा कई अध्‍ययन किये गये हैं जिनसे पता चला है कि:
1. किसी व्यक्ति की चयापचय दर भी मच्छरों को आकर्षित कर सकती है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) में वृद्धि एक मच्छर को सचेत कर देती है कि एक संभावित मनुष्य आस–पास ही है। कीट अपने भोजन के स्रोत का पता लगाने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। व्यक्ति की चयापचय दर जितनी अधिक होगी‚ उतनी ही अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पादित होगी‚ जो व्यक्ति को मच्छरों के लिए अधिक आकर्षक बनाती है। अर्थात कसरत करने वाले लोग‚ गर्भवती महिलाएं व अधिक चयापचय दर वाले लोग मच्छरों के लिए अधिक आकर्षित हो सकते हैं।
2. दूसरा कारक शरीर की दुर्गंध भी हो सकती है‚ मच्छर किसी मनुष्य के शरीर की गंध से भी आकर्षित होते हैं। यदि मच्छर किसी व्‍यक्ति को अन्य लोगों की तुलना में अधिक काटते हैं तो‚ सम्‍भवत: इसका तात्पर्य यह भी हो सकता है कि मच्छरों को उस व्‍यक्ति के शरीर की गंध अन्‍य व्‍यक्तियों की तुलना में अधिक अच्छी व आकर्षित महसूस होती है।
3. किसी व्‍यक्ति की त्वचा के बैक्टीरिया (bacteria) भी उसके शरीर की गंध को प्रभावित कर सकते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड और शरीर की गंध के अलावा हमारे शरीर की गर्मी भी मच्छरों को आकर्षित करती है।
4. शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में ज्ञात हुआ है कि मादा मच्छर गर्मी के स्रोतों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं।
5. 2018 के शोध से पता चला है कि मच्छर काले रंग की वस्तुओं की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। यदि आप गहरे रंग के कपड़े पहनते हैं तो मच्छर आपको अधिक काट सकते हैं‚ हालांकि इसका कारण अभी तक अज्ञात ही है।
6. एक छोटे से अध्ययन में यह भी ज्ञात हुआ है कि मच्छर शराब पीने वाले लोगों को भी अधिक काटते हैं।
7. कई बार यह भी देखा गया है कि मच्छर गैर जुड़वाँ लोगों की तुलना में समान जुड़वाँ लोगों के हाथों की गंध की ओर अधिक आकर्षित होते हैं।
8. वैज्ञानिकों दवारा विभिन्न कारकों की जांच से पता चला है कि रक्त प्रकार का कारण कुछ लोगों को मच्छरों के लिए अधिक आकर्षक बनाता है। विभिन्न प्रकार के रक्त वाले लोगों की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर विशिष्ट प्रोटीन (एंटीजन) (protein (antigen)) के विभिन्न समुह होते हैं। प्रत्‍ये‍क व्‍यक्ति को अपना ब्लड ग्रुप (blood group) अपने माता-पिता से वांशिक रूप से प्राप्‍त होता है। मनुष्य के ब्लड ग्रुप के चार अलग-अलग रक्त प्रकार होते हैं‚ ‘ए’ ब्लडग्रुप रक्त कोशिकाओं की सतह पर केवल ‘ए’ एंटीजन होता है‚ ‘बी’ ब्लड ग्रुप लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर केवल ‘बी’ एंटीजन होता है‚ ‘एबी’ ब्लड ग्रुप लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर ‘ए’ और ‘बी’ दोनो एंटीजन होते हैं तथा ‘ओ’ ब्लड ग्रुप लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर कोई ‘ए’ या ‘बी’ एंटीजन नहीं होता है। कुछ लोगों के शरीर में पाए जाने वाले तरल पदार्थों जैसे लार या आंसू में भी ये एंटीजन पाए जाते हैं। ऐसे लोगों को सेक्रेटरी (secretary) कहा जाता है।
1974 के एक पुराने अध्ययन में मच्छरों को आकर्षित करने वाले विभिन्न व्यक्तिगत कारकों पर शोध करने के लिए 102 प्रतिभागियों का चुनाव किया गया। जब शोधकर्ताओं ने परिणामों का निष्कर्ष निकाला‚ तो उन्‍हें ज्ञात हुआ कि मच्छर रक्त प्रकार ‘ओ’ वाले लोगों को अधिक काटते हैं। 2019 के एक अध्ययन में रक्त प्रकार की वरीयता का भी आकलन किया गया है। शोधकर्ताओं दवारा अलग-अलग फीडरों (feeders) में अलग-अलग ब्लड ग्रुप के नमूने देकर ऐसा किया गया था। जिसमें यह देखा गया कि मच्छर अन्य फीडरों की तुलना में टाइप ‘ओ’ फीडर से खाना पसंद करते हैं। समग्र परिणामों में पाया गया कि रक्त प्रकार ‘ओ’ वाले लोगों को अधिक मच्छर काटते हैं। जब अध्ययन प्रतिभागियों की बाहों में रक्त प्रकार के एंटीजन लगाए गए‚ तो मच्छर ‘ए’ एंटीजन की तुलना में टाइप ‘ओ’ एंटीजन वाले लोगों के प्रति अधिक आकर्षित हुए।
मच्छरों के काटने से कई प्रकार के रोगों का सामना भी करना पड़ता है। जैसे की मलेरिया (Malaria)‚ जीका (Zika) और डेंगू (Dengue) बुखार जैसी घातक बीमारियां मनुष्‍य को संक्रमित करती हैं। जीका वायरस (Zika Virus) से बचाव करने के लिए शोधकर्ता लाखों मच्छरों को पैदा कर रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मच्छर फार्म में लाखों नर मच्छरों को तीव्र गति से पैदा किया जा रहा है‚ ताकि उन्हें दक्षिणी चीन (Southern China) में एक द्वीप पर छोड़ा जा सके। लेकिन वे सामान्य मच्छरों की भांति नहीं हैं। वे शोधकर्ताओं द्वारा आनुवंशिक रूप से संशोधित नर मच्छर हैं। यह जीका वायरस फैलाने वाले मच्छरों का विनाश करने की एक योजना का हिस्सा है। और अब तक इसके परिणाम आश्चर्यजनक रहे हैं। सन यात-सेन विश्वविद्यालय (Sun Yat-sen University) और मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय (Michigan State University) के प्रोफेसर ज़ियोंग शी (Zhiyong Xi) ने सरकार द्वारा समर्थन प्राप्त करके इस प्रयोग को सफल बनाया है। चीन (China) के ग्वांगझू (Guangzhou) में फ्लोरोसेंट (fluorescent) यौगिक के अंदर‚ ज़ियोंग शी (Zhiyong Xi) और शोधकर्ताओं की एक टीम एडीज (aedes) मच्छर के जीव विज्ञान पर शोध कर रही है। इस शोध की प्रक्रिया में नर मच्छर वल्बाचिया बैक्टीरिया (Wolbachia Bacteria) से संक्रमित किए जाते हैं‚ जिसके दो फायदे हैं‚ यह जीका वायरस पर रोकथाम और मच्छरों की प्रजनन प्रक्रिया को बाधित करता है। शोधकर्ता द्वारा मच्छरों को शाज़ई द्वीप (Shazai Island) पर ले जाकर मुक्त छोड़ दिया जाता है। प्रयोगशाला-नस्ल वाले संक्रमित नर मच्छरों के साथ संभोग करने से‚ मादा मच्छर स्वयं संक्रमित हो जाती हैं और यह जीका‚ मलेरिया और डेंगू सहित कई प्रकार के वायरस के फैलाव को बाधित करते हैं‚ ये बैक्टीरिया मादाओं की नसबंदी भी करते हैं‚ जिस कारणवश मादा मच्छरों द्वारा पुनरुत्पादन के प्रयास विफल हो जाते हैं‚ ताकि वे अब प्रजनन कर बच्चों को पुन: उत्पन्न करने में विफल हो सके। इन फार्मों (firms) का मुख्य उद्देश्य मच्छरों से लड़ना है। फार्मों से निकलने वाले मच्छर इंसानों को नहीं काटते हैं। सिंगापुर (Singapore) में मच्छर फैक्ट्रियां (mosquito factories) हर दिन हजारों संशोधित नर मच्छर पैदा कर सकती हैं। इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए सिंगापुर कई टन मच्छरों के प्रजनन हेतु फार्म की स्थापना कर रहा है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध के एक साल के परीक्षण के परिणाम बहुत आशाजनक रहे हैं।
मच्छरों से छुटकारा पाने के सर्वोत्तम उपायों में से कुछ प्राकृतिक उत्पाद जैसे‚ सिट्रोनेला (citronella) सुगंध तेल‚ नीम का तेल और थाइम (thyme) सुगंध तेल के उपयोग से मच्छरों को दूर भगाया जा सकता है। मच्छरों को भगाने के अलावा‚ आप उन्हें कुछ प्रयासों द्वारा भी आपके शरीर को काटने से रोक सकते हैं। सुबह और शाम के समय मच्छर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। सुबह और शाम को बाहरी गतिविधियों से बचने की कोशिश करें। गहरे रंग जैसे काला‚ नीला‚ भूरा‚ इत्यादि रंगों के कपड़े पहनने से बचें। हल्के रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करें जो आपके पूरे शरीर के साथ साथ आपके हाथों और पैरों को भी ढकें। मच्छरों को अपने घर के अंदर प्रवेश करने से रोकने के लिए अपने घर की खिड़की‚ दरवाजों को बन्द रखें एवं यह जरूर जाचें की आपकी खिड़की ओर दरवाजों पर कोई आंसू या लार न हो। यदि आप खुले स्थान या ऐसी जगह पर सो रहे हैं जहाँ मच्छर अंदर आ सकते हैं‚ तो मच्छरदानी का प्रयोग आवश्यक रूप से करें। मच्छरों को प्रजनन करने लिए पानी के जमाव की जरूरत होती है‚ तो आप कहीं पर भी पानी को जमा न होने दें। रुके हुए पानी को खाली गमलों या टायर जैसी चीजों से निकालकर बहा दें। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) द्वारा सुरक्षित और प्रभावी रूप में स्वीकृत कुछ मच्छर निरोधक सक्रिय तत्व शामिल किये गये हैं जिनमें डीईईटी (DEET)‚ पिकारिडिन (Picaridin)‚ 2-अंडेकानोन (2-undecanone)‚ आईआर3535 (IR3535)‚ नींबू नीलगिरी का तेल (OLE) आदि शामिल हैं।

संदर्भः
https://wapo.st/3zz6iMR
https://bit.ly/38vsaNf
https://bit.ly/3mCbs76
https://bit.ly/3ktQtQV
https://bit.ly/3jkaCJT
https://bit.ly/3kwm2tB

चित्र संदर्भ
1. मानव त्वचा पर खून चूसते मच्छर का एक चित्र (flickr)
2. क्यूलेक्स (Culex) मच्छर के लार्वा का एक चित्रण (wikimedia)
3. हाथ में मृत मच्छर का एक चित्रण (istock)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id