Post Viewership from Post Date to 25-Sep-2021
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2116 176 2292

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

सतत विकास के मूलभूत उद्देश्‍यों में से एक शिक्षा की स्थिति

जौनपुर

 26-08-2021 08:01 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला

शिक्षा जीवन को बदल देती है। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शांति दूत मलाला यूसुफजई ने कहा था: "एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब और एक कलम दुनिया को बदल सकती है"। नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) ने शिक्षा को "दुनिया को बदलने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे शक्तिशाली हथियार" कहा है।आज शिक्षा सतत विकास लक्ष्यों के केंद्र में से एक है।
हमें असमानताओं को कम करने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए, लैंगिक समानता हासिल करने और बाल विवाह को खत्म करने के लिए भी हमें शिक्षा की जरूरत है। इसके साथ ही हमें अपने ग्रह के संसाधनों की रक्षा के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। और हमें अभद्र भाषा, ज़ेनोफोबिया (xenophobia) और असहिष्णुता से लड़ने और वैश्विक नागरिकता का पोषण करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है।शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत गरीबी के चक्र को तोड़ भी सकती है और उलट भी सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि यदि सभी लड़कियां और लड़के माध्यमिक शिक्षा पूरी करते हैं, तो 42 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा सकता है।
सतत विकास के लिए शिक्षा (ईएसडी) (ESD) संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यक्रम था, जिसे शिक्षा के रूप में परिभाषित किया गया था जो सभी के लिए एक अधिक टिकाऊ और न्यायपूर्ण समाज को सक्षम करने हेतु ज्ञान, कौशल, मूल्यों और दृष्टिकोण में परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है। ईएसडी का उद्देश्य सतत विकास के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आयामों के लिए एक संतुलित और एकीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करके वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सशक्त और सक्षम करना है। ईएसडीअंतरराष्ट्रीय स्तर पर और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।इसका “एजेंडा 21”(Agenda 21) पहला अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज था जिसने सतत विकास को प्राप्त करने के लिए शिक्षा को एक आवश्यक उपकरण के रूप में पहचाना और शिक्षा के लिए कार्रवाई के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।
भारत ने अपने सर्व शिक्षा अभियान (सभी के लिए शिक्षा) कार्यक्रम और बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) (RTE) अधिनियम के ऐतिहासिक कार्यान्वयन के माध्यम से सभी की शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। प्राथमिक शिक्षा में लगभग सार्वभौमिक नामांकन है और ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग सभी बच्चों के लिए एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय उपलब्‍ध हैं। स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या जो2009 में लगभग आठ मिलियन थी,2014 में घटकर छह मिलियन तक हो गई है।इन उपलब्धियों के बावजूद, अधिगम और समानता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने हेतु आगे कई चुनौतियां बनी हुई हैं।एक तिहाई से अधिक बच्चे प्रारंभिक शिक्षा का चक्र पूरा करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं। अधिकांश बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं वे कमजोर और हाशिए वर्ग से होते हैं, जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समूह, धार्मिक अल्पसंख्यक समूह और दिव्‍यांग बच्चे शामिल हैं।

साक्ष्य यह भी इंगित करते हैं कि बच्चे अपेक्षित स्तरों पर नहीं सीख रहे हैं। नेशनल काउंसिल ऑन एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (National Council on Educational Research and Training) द्वारा किए गए नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2015 (National Achievement Survey 2015) के मुताबिक, सर्वे में पूछे गए आधे से भी कम रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन (reading comprehension) के सवालों और गणित के सवालों के जवाब कक्षा 5 के छात्रों ने सही दिए।
आरटीई अधिनियम (RTE Act) और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) (SDGs) को साकार करने के लिए, यह आवश्यक है कि बच्चों को आजीवन अधिगम की नींव रखने हेतु गुणवत्तापूर्ण, प्रारंभिक बचपन की शिक्षा प्राप्त हो। आंकड़े इंगित करते हैं कि 3 से 6 वर्ष की आयु के 70% से थोड़ा अधिक बच्चे पूर्व-प्राथमिक शिक्षा में भाग ले रहे हैं। जब बच्चे गुणवत्तापूर्ण पूर्वस्कूली शिक्षा के बिना - और इस प्रकार, स्कूल की तैयारी के बिना सीधे प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करते हैं - तो उनके छोड़ने और अपनी पूरी क्षमता से नहीं सीखने की संभावना अधिक होती है। इस प्रकार बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि वे अपनी शिक्षा कितनी अच्छी तरह से शुरू करते हैं और वे स्कूल के लिए कितने तैयार हैं।इसके अलावा, भारत के उल्लेखनीय जनसांख्यिकीय लाभांश को भुनाने के लिए, देश को न केवल अपनी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना होगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करने होंगे, इसके साथ ही कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि सुनिश्चित करनी होगी। युवाओं को प्रेरित किया जाना चाहिए और निर्णय लेने में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, खासकर उन क्षेत्रों में जिनका उनके भविष्य पर सीधा प्रभाव पड़ने वाला है। आज की स्थिति में, युवा लोग भारत की सकल राष्ट्रीय आय में लगभग 34% का योगदान करते हैं।
यूनिसेफ (UNICEF) और यूनेस्को (UNESCO) समावेशी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगारपरकता पर प्राथमिकता वाले क्षेत्र समूह का आह्वान करते हैं। समूह में एफएओ (FAO), आईओएम (IOM), यूएनएड्स (UNAIDS), यूएनडीपी (UNDP), यूएनईपी (UNEP), यूएनएफपीए (UNFPA), यूएन वूमेन (UN Women), यूएनओडीसी (UNODC), डब्ल्यूएफपी (WFP) और यूएन-हैबिटेट (UN-Habitat) भी शामिल हैं। समूह का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त करने में सरकार का समर्थन करना है। इसके अलावा, एक वैश्विक पहल के हिस्से के रूप में, यूनेस्को- यूआईएस (UNESCO-UIS) और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (National University of Educational Planning and Administration) के सहयोग से 'आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन' (out-of-school children) शीर्षक से एक भारत रिपोर्ट तैयार की गई, जिसने इन बच्चों की प्रोफाइल को समझने में मदद की और स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या का अनुमान लगाने के संबंध में आंकड़े, निश्चित और सांख्यिकीय चुनौतियों को उजागर किया।
यूनिसेफ, यूनेस्को के सहयोग से, दिव्‍यांग बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी द्वारा वित्त पोषित, 'गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विकलांग बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा देना' नामक एक परियोजना को लागू कर रहा है। इस परियोजना के हिस्से के रूप में, यूनिसेफ प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम को दिव्‍यांग बच्चों के लिए अधिक समावेशी बनाने और इस संबंध में शिक्षकों की क्षमता का निर्माण करने के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करता है।
वर्तमान में फैली कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने वैश्‍विक शिक्षा प्रणाली को बुरी तरह से हताहत कर के रख दिया है। स्कूलों, विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थानों के बंद होने के साथ-साथ कई साक्षरता और आजीवन अधिगम कार्यक्रमों में रुकावट ने 190 से अधिक देशों में 1।6 बिलियन छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है। अब शिक्षा और आजीवन अधिगम को सुधार के केंद्र में रखने और अधिक समावेशी, सुरक्षित और टिकाऊ समाज की ओर परिवर्तन के लिए सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता बढ़ाने का समय है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3jd8hRe
https://bit.ly/3DeoHkc
https://bit.ly/3sKP4tg

चित्र संदर्भ
1. छात्रों को पैसे का लेनदेन सिखाते अध्यापक का एक चित्रण (flickr)
2. सतत विकास के लिए शिक्षा में पुनर्चक्रण कार्यशाला का एक चित्रण (flickr)
3. दिव्यांग छात्र सामान कक्षा में पढ़ते हैं, जिसको संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. सुनने की क्षमता वर्धक यंत्रों के साथ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id