पतंगबाजी के रंग बखूब खिलते है अफगानिस्तान के आसमान में

हथियार और खिलौने
25-08-2021 09:23 AM
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पतंगबाजी के रंग बखूब खिलते है अफगानिस्तान के आसमान में

21वीं सदी में तकनीक, लगभग हर क्षेत्र पर हावी हो गई है, खेल वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहा है। परंतु पतंगबाज़ी, पतंग उड़ाना धरती पर मौजूद उन चुनिंदा खेलों में से एक हैं, जिसकी रौनक को कोई भी ऑनलाइन गेम कम नहीं कर पाया। इसके बजाय दिन प्रतिदिन यह खेल अनेक खासियतों के कारण भारत सहित विश्व के दूसरे देशों में भी काफी पसंद किया जा रहा है। हमारे देश में जहां मकर संक्रांति पर पूरे देश का असमान रंग बिरंगी पतंगों से भरा रहता है, वहीं हमारे समीपवर्ती मुल्क अफगानिस्तान में भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं है।
भारत की ही भांति अफगानिस्तान में भी पतंगों की लड़ाई (Kite Fighting) दोनों देशों की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। बगराम शहर के पास अफगानिस्तान में काम करने वाले अनुवादक अहमद रोशाज़ी का कहना है की, अफ़ग़ानिस्तान में कोई भी खेल को समर्पित हरा भरा मैदान न होने के कारण, पुरुषों के पास "सॉकर (soccer), बेसबॉल (baseball ) या बास्केटबॉल (basketball) इत्यादि खेलने का कोई भी माहौल अथवा संसाधन मौजूद नहीं हैं। जिस कारण पतंगबाज़ी ही अफगानिस्तान के पसंदीदा खेलों में से एक बन गया है।
अफगानिस्तान में पतंगबाजी के खेल को मात्र खेल से बढ़कर एक गंभीर प्रतियोगिता के तौर पर देखा जाता है। पतंगों की लड़ाई की प्रतिस्पर्धा में चाहे कितने ही लोग भाग ले रहे हों, किंतु यह रोमांचक प्रतिस्पर्धा तभी समाप्त होती है, जब आसमान में केवल एक पतंग रह जाए। पतंग बाज़ी का धुरंधर बनने के लिए लड़ाके अपनी-अपनी पतंग की डोरियों की धार को बेहद तेज़ रखते हैं, ताकि उनकी पतंग आसमान में प्रतिद्वंदी की पतंग को शीघ्रता से काट सके। अभी अधिक समय नहीं बीता जब ,अफगानिस्तान में पतंगों को भांग की हल्की लकड़ी से निर्मित किया जाता था। परंतु आज इस लकड़ी के स्थान पर भारत, पाकिस्तान, थाईलैंड, मलेशिया और चीन इत्यादि देशों से अधिक विकसित और मशीन में निर्मित पतंगे बाजार में आ गई हैं, जिनके धागे (मांझे) मजबूत नायलॉन (nylon) से निर्मित रेशों से बनाए जाते हैं।
अफगान पतंगबाजी में, सब कुछ मांझे की गुणवत्ता पर ही निर्भर करता है। सबसे पहले, कांच को बारीक पीसा जाता है, और एक गाढ़ा पेस्ट बनाने के लिए एक चिपकने वाले मिश्रण के साथ मिलाया जाता है, फिर तार को मजबूत और तेज बनाने के लिए इस पेस्ट के साथ लेपित किया जाता है। जब एक प्रतिद्वंद्वी की पतंग को काट दिया जाता है, तो वह शहर के आसमान में रंगीन, मरते हुए पक्षी की तरह फड़फड़ाती है। ऐसी पतंगों को "आज़ादी सबसे कच्ची" या "मुक्त और कानूनी" कहा जाता है।
जिस प्रकार भारत में मकर संक्रांति के त्यौहार को पतंगबाज़ी के संदर्भ में जाना जाता है, और यहाँ पतंग के नाम संदर्भित फिल्मों जैसे "कटी पतंग" ने अपार लोकप्रियता हासिल की है। लगभग उसी तर्ज पर अफगानिस्तान में, सर्दियाँ आते ही पतंगबाज़ी की प्रतियोगिताओं का मौसम भी शुरू हो जाता है। सर्दियों में बहने वाली तेज़ हवाओं को पतंग उड़ाने के लिए आदर्श माना जाता है, इस देश में 14वीं शताब्दी के बाद से ही पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय खेल रहा है। अफगानिस्तान में यह खेल गर्व और सम्मान की राष्ट्रीय भावना को प्रतिध्वनित करता है, और इसका आनंद पुरुषों और महिलाओं, बूढ़े और युवा समान रूप से लेते हैं।
एक बेहतर पतंगबाज़ी का योद्धा आसमान पर नजरें टिकाए हुए, हवा के रुख से ही यह अनुमान लगा लेता है कि, कौन सी पतंग प्रतियोगिता में हार जाएगी! और सबसे पहले उसी पतंग को ही अपना निशाना बनता है। यहाँ आयोजित की जाने वाली कई पतंग प्रतस्पर्धाओं के पश्चात् टूर्नामेंट की विजेता पतंगबाज़ को सम्मानित भी किया जाता है।
इतनी अधिक लोकप्रियता के बावजूद वर्ष 1996 में, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने पतंगबाजी और पतंगबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया, और इसे गैर-इस्लामी घोषित कर दिया। तालिबान के राज में यदि कोई पतंग उड़ाते दिख जाता तो, या तो उसे बुरी तरह पीटा जाता अथवा उसकी पतंग को फाड़ दिया जाता। हालाँकि तालिबान सरकार गिरने के बाद, पतंगबाजी पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा दिया गया, लेकिन फिर भी, कुछ चुनिंदा वर्गों को छोड़कर कोई भी पतंगबाज़ी की प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकता था। तालिबान के पतन के बाद भी, पतंग की लड़ाई "लड़कियों और महिलाओं के लिए काफी हद तक सीमित ही रही। फिर भी, पतंगबाजी पुरुषों और लड़कों के बीच इतनी लोकप्रिय है कि, हर कोई जो खेल सकता है, वह खेलता है। भले ही अफगानिस्तान के लोग पतंगबाजी के खेल को पसंद करते हों, लेकिन कई मायनों में यह खेल बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता है। चूँकि पतंग के तार की धार बेहद तेज़ और मजबूत होती है, यह न केवल खिलाड़ी की उंगली बल्कि एक दर्शक की गर्दन भी काट सकती हैं" कई बार पतंग बाज़ी चोटों और मौतों" का कारण भी बन सकती है। अफगानिस्तान में पतंगबाजी की लोकप्रियता देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है, की क्यों यहां पतंगबाजी का खेल, अफगानिस्तान की संस्कृति का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

संदर्भ

https://cutt.ly/kWwV34u
https://www.rferl.org/a/1101400.html
https://cutt.ly/pWwV6L2
https://nyti.ms/3sHFKpT
https://bit.ly/3Dg6Byj
https://en.wikipedia.org/wiki/Kati_Patang
https://bit.ly/3gvUmE2
https://bit.ly/3DdXtKt

चित्र सन्दर्भ
1. काबुल,अफगानिस्तान के आसमान में पतंगबाज़ी का एक चित्रण (flickr)
2. अफगान बाज़ारों में पतंग निर्माण का एक चित्रण (Youtube)
3. छोटे बच्चों की पतंग को पकडे अमेरिकी सैनिकों का एक चित्रण (flickr)