इस्लाम धर्म में ततबीर का है विशेष महत्व

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
19-08-2021 10:57 AM
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इस्लाम धर्म में ततबीर का है विशेष महत्व

किसी भी धर्म को समझने के लिए दर्द और पीड़ा को समझना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे प्रथाएं जो दर्द को प्रेरित करती हैं, वे कई अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में वर्षों से चली आ रही हैं। हालांकि दर्द उत्पन्न करने के अनेकों अलग-अलग तरीके हो सकते हैं, लेकिन इसके पीछे जो कारण मौजूद है, वो सभी में समान प्रतीत होता है। आत्म-पीड़ा के पीछे का मकसद या लक्ष्य किसी निश्चित पैगम्बर का अनुकरण करने की इच्छा है। इस अनुष्ठान को करने का एक अन्य मुख्य कारण यह विचार है,किदर्द शरीर से बुराई को बाहर निकाल देता है। आत्म-पीड़ा को अक्सर सजा और तपस्या के रूप में देखा जाता था। हालांकि,इस अनुष्ठान की प्रकृति कठोर है, लेकिन इसके बावजूद भी कई संस्कृतियों में इसे मुक्ति और पवित्रता से जोड़ा गया है।
भले ही यह अनुष्ठान सदियों पहले उभरा हो, लेकिन दुनिया के ऐसे कई हिस्से हैं, जहां आज भी आत्म-पीड़ा को किसी विश्वास के लिए समर्पण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। मुहर्रम के दिन आज हम आत्म-पीड़ा या ‘ततबीर’ और मातम के विषय में चर्चा करेंगे। ततबीर को दक्षिण एशिया (‌South Asia) में तलवार जानी और कमा जानी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी परंपरा है, जिसमें शरीर से रक्त का प्रवाह होता है।मुहर्रम के दौरान शिया मुसलमान शोक प्रकट करने और माफी मांगने के लिए इस परंपरा को निभाते हैं। यह प्रथा सबसे पहले क़िज़िलबाश जनजाति द्वारा शुरू की गई थी,जिन्होंने सफ़ाविद शासन स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
हालांकि ततबीर शियाओं के बीच एक विवादित मुद्दा है। अधिकांश मौलवी इसे आत्म-नुकसान का कारण समझते हैं, और इसलिए इसे हराम मानते हैं, जबकि शियाओं का एक छोटा अल्पसंख्यक समूह आज भी इस अभ्यास को कायम रखे हुए है। कुछ शिया मुसलमानों द्वारा ततबीर का अभ्यास इस्लामी कैलेंडर के 10 वें मुहर्रम पर किया जाता है, जिसे "अशूरा का दिन" कहा जाता है।
कुछ शिया अन्य अवसरों पर भी ततबीर का प्रदर्शन कर सकते हैं।ततबीर के अभ्यास में सिर पर तलवार से वार शामिल होता है,जिससे खून बहने लगता है। कुछ लोग जंजीरों से जुड़े ब्लेड से अपनी पीठ या छाती पर भी मारते हैं।ततबीर की यह प्रथा मुख्य रूप से हुसैन इब्न अली से जुड़ी हुई है, जो पैगंबर मुहम्मद के वंशज थे। कर्बला के युद्ध में यजीद की सेना ने हुसैन इब्न अली और उनके परिवार को बेरहमी से मार डाला। उन्होंने सत्य और धर्म के लिए यजीद की सेना का वीरता से सामना करते हुए अपने प्राण त्याग दिए। चूंकि मुहर्रम के 10 वें दिन हुसैन की हत्या कर दी गई थी, इसलिए अशूरा सभी शिया मुसलमानों के लिए शोक का दिन है। उनकी पीड़ा को याद करते हुए तथा उन्हें सम्मान देते हुए मोहर्रम के 10वें दिन उनकी शहादत को शोक मनाकर याद किया जाता है।वे इमाम हुसैन के कष्टों को याद करने के लिए जलते अंगारों पर चलने का भी अभ्यास करते हैं। शिया मुस्लिम समुदाय के लगभग सभी सदस्य जिनमें युवा लड़के, पुरुष और महिलाएं शामिल होती हैं, आत्म-पीड़ा का अभ्यास करते हैं। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग शोभा यात्रा निकालते हैं जिसमें लाखों की संख्या में जुलूस शामिल होता है। सुन्नी मुसलमान यह दिन उपवास करके मनाते हैं। सुन्नी मान्यताओं के अनुसार, अशूरा एक ऐसा दिन है जिस दिन कुछ मक्का निवासी उपवास रखते थे। यह उपवास मूसा और उनके अनुयायियों को याद करने के लिए किया जाता है जो अल्लाह द्वारा मिस्र (Egypt) के फिरौन के प्रकोप से बचाए गए थे और जिन्होंने लाल सागर को अलग कर दिया ताकि लोग इसे पार कर सकें। यह भी माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद ने इस दिन उपवास रखा था। इसलिए,अधिकांश सुन्नी मुसलमान अशूरा पर उपवास रखते हैं।इमाम हुसैन ने अपने लोगों को दमनकारी शासन और अमानवीयता से बचाने के लिए जो कार्य किया वह कितना महान था, उसे यह दिन स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।
यह पर्व दक्षिण एशिया के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका (America), यूरोप (Europe) आदि के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। ततबीर या खुद को प्रताड़ित करने की यह प्रथा विभिन्न संस्कृतियों में देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए रोम (Rome) में बंदी बनाये गये गुलाम खुद को चाबुक से प्रताड़ित करते थे।रोम में इसके लिए चमड़े के समतल पट्टे जिसे फेरुलो (Ferulæ) कहा जाता है, का उपयोग किया जाता था।इसी प्रकार ईरान (Iran) में खुद को कोड़े मारने की सजा उपयोग में लाई जाती थी।मिस्र के लोग भी अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए आत्मपीड़ा का सहारा लेते थे। हिंदू धर्म में भी कई देवी देवताओं को खुश करने के लिए आत्म पीड़ा का उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में चूंकि कोरोना महामारी व्यापक रूप से फैली हुई है, इसलिए इसे देखते हुए मुहर्रम में की जाने वाली रस्मों का लाइव प्रसारण किया जाएगा। शारीरिक उपस्थिति को सीमित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है तथा लोग इस वर्ष विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयोजनों को देख पाने में सक्षम होंगे।

संदर्भ:
https://bit.ly/3z05m3C
https://bit.ly/3iUgZn7
https://bit.ly/3xYSGbL
https://bit.ly/2OFTwV7
https://bit.ly/2BmpAHw

चित्र संदर्भ
1. ईरान में ततबीर का प्रदर्शन। ब्रुकलिन संग्रहालय से एक छवि का एक चित्रण (wikimedia)
2. बहरीन में ततबीर, 2011 का एक चित्रण (wikimedia)
3. मुहर्रम के त्योहार पर ततबीर का एक चित्रण (wikimedia)