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भारतीय अर्थव्यवस्था में भेड़ों की भूमिका

जौनपुर

 05-08-2021 10:09 AM
स्तनधारी

भारत में भेड़ पालन‚ भारत के कुछ लोगों के पारंपरिक व्यवसायों में से एक है।कुछ क्षेत्रों के लोग प्राचीन काल से ही पारिवारिक पोषण की मांग और व्यावसायिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए भेड़ों को घरेलू पशु के रूप में पाल रहे हैं।भेड़ एक छोटे आकार का शांत जानवर है और तेजी से बढ़ता है।भेड़ भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह दो- तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करने में सहायक होते हैं। भेड़‚ भारत के पशुधन की महत्वपूर्ण प्रजातियों में शामिल हैं। ये कृषि अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान देते हैं‚विशेष रूप से उन स्‍थानों में जहां फसल और डेयरी (dairy) ज्‍यादा किफायती नहीं होती है।ये छोटे और सीमांत किसानों व भूमिहीन मजदूरों के‚ एक बड़े अनुपात की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भेड़ों को ज्यादातर ऊन और मांस के लिए पाला जाता है। भेड़ की खाल और खाद कमाई के महत्वपूर्ण स्रोत हैं‚विशेषकर दक्षिणी भारत में।
भेड़ के दूध का सीमित महत्व है‚तथा इसे जम्मू-कश्मीर‚राजस्थान और गुजरात के सीमित क्षेत्रों में ही उपयोग किया जाता है। भारतीय भेड़ को डेयरी भेड़ नहीं माना जाता है। भेड़‚ विशेष रूप से देश के शुष्क‚अर्ध-शुष्क और पहाड़ी क्षेत्रों में ऊन‚मांस‚दूध‚खाल और खाद के लिए अपने बहुत से पहलुओं कि उपयोगिता के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक हैं।यह चरवाहों को ऊन और जानवरों की बिक्री के माध्यम से आय का एक भरोसेमंद स्रोत प्रदान करता हैं।भेड़ों को रखने के लिए महंगे भवनों की आवश्यकता नहीं होती है‚घरेलू पालन में आप अपनी भेड़ों को अन्य पशुओं के साथ रख सकते हैं।लेकिन व्यावसायिक उत्पादन के लिए आपको उनके लिए एक घर या आश्रय बनाना होगा।
दुसरे पशुओं की तुलना में भारत में भेड़ पालन के लिए कम श्रम की आवश्यकता होती है। औसतन एक मादा भेड़ प्रति प्रसव 1-2बच्चों को जन्म दे सकती है।2012की पशुधन गणना के अनुसार देश में 65.069मिलियन भेड़ें हैं।यह दुनिया में छठे स्थान पर आता है।भेड़ का योगदान‚ मांस के निर्यात के माध्यम से कृषि और संसाधित खाद्य उत्पादों के कुल निर्यात मूल्य का 8 प्रतिशत है।चमड़ा और चमड़े के उत्पादों के रूप में भी भेड़ की खाल को निर्यात किया जाता है।पशुपालकों में चरवाहे सबसे गरीब होते हैं‚ जिनकी आजीविका में भेड़ों का बहुमूल्य योगदान है।
भारतीय जलवायु‚ भारत में भेड़ पालन व्यवसाय स्थापित करने के लिए बहुत उपयुक्त है।भेड़ पालन के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है और हम बहुत ही कम समय में निवेश का प्रतिफल भी प्राप्त कर सकते हैं। भेड़ें विभिन्न प्रकार की घास‚पौधे‚खरपतवार‚पौधे की जड़ें और विभिन्न प्रकार के निम्न गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ खाकर भी जीवित रह सकती हैं।भेड़ें भोजन करते समय बकरियों की तरह पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाती है। वे अवांछित पौधे खाकर किसान की भी मदद करते हैं। भेड़ का गोबर एक बेहतरीन खाद में परिवर्तित हो जाता है।किसान अपनी फसल के खेतों में भेड़ के गोबर का उपयोग करके‚ अपनी फसल उत्पादकता को बढ़ता हैं। घरेलू भेड़ पालन‚ गरीब लोगों‚छात्रों और महिलाओं के लिए कुछ अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करता है। तथा व्यावसायिक भेड़ पालन व्यवसाय‚ बेरोजगार शिक्षित लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है।इस प्रकार बेरोजगार शिक्षित लोग भेड़ पालन के माध्यम से अपना जीवन यापन कर सकते हैं और देश की राष्ट्रीय आय में योगदान कर सकते हैं।
दुनिया भर में भेड़ की कई नस्लें उपलब्ध हैं। उनमें से कुछ भारत में व्यावसायिक भेड़ पालन के लिए बहुत उपयुक्त हैं।उन उत्पादक नस्लों के साथ-साथ भारत मे कई स्थानीय नस्लें भी हैं।कुछ अत्यधिक उत्पादक भेड़ की नस्लों में बन्नूर (Bannur)‚ बेल्लारी(Bellary)‚ चेविओट(Cheviot)‚ डेक्कन(Deccani)‚ हसन(Hassan) ‚मेरिनो(Merino)‚ रामबौलियट (Ramboulliet)‚ साउथडाउन(Southdown)‚ भेड़ों को सूचीबद्ध किया गया है।
भेड़ों के लिए अच्छा आवास या भेड़ों के लिए आश्रय बनाना बहुत महत्वपूर्ण है।एक आश्रय या घर पशु को सभी प्रकार के प्रतिकूल मौसम से मुक्त रखता है।खुले मैदान में आवास या बाड़ लगाने की लागत बहुत कम है। आप 1मीटर की ऊंचाई वाले निश्चित क्षेत्र में बाड़ लगाकर आसानी से अपने जानवरों के लिए आश्रय बना सकते हैं।लेकिन सर्दी और बरसात के मौसम में आपको अपने जानवरों को घर के अंदर रखना होगा। आम तौर पर‚एक वयस्क भेड़ को लगभग 20वर्ग फुट के फर्श की जगह की आवश्यकता होती है।फर्श और पूरे घर को हमेशा साफ और सूखा रखना होगा ताकि घर के अंदर उचित वेंटिलेशन सिस्टम (Ventilation system) बना रहे‚जिससे ताजी हवा और रोशनी घर के अंदर आसानी से प्रवेश कर सके।मल मूत्र इत्‍यादी के लिए घर के अंदर एक नाला भी होना चा‍हिए। आम तौर पर भेड़ें हर तरह की हरी घास‚पौधे और लगभग हर उस चीज को खाती हैं जो उन्हें अपने सामने मिलती है। उच्च गुणवत्ता वाले और पौष्टिक खाद्य पदार्थ व ताजा पानी प्रदान करने से पशु स्वस्थ‚रोग मुक्त और उत्पादक रहते हैं। कभी-कभी वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से संक्रमित हो सकते हैं।समय पर टीकाकरण और उचित दवा से विभिन्न प्रकार के भेड़ रोगों को रोका जा सकता है।
भेड़ पालन शुरूआत के लिए नाबार्ड (NABARD) से पुनर्वित्त सुविधा के साथ बैंकों में ऋण उपलब्ध है।बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए किसान अपने क्षेत्र में किसी भी वाणिज्यिक‚सहकारी‚क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक या लघु वित्त बैंक की निकटतम शाखा में निर्धारित आवेदन पत्र दवारा आवेदन कर सकता है‚ जो वित्तपोषण बैंक की शाखाओं में उपलब्ध है।बैंक से जुड़े तकनीकी अधिकारी या प्रबंधक‚ बैंकसे ऋण प्राप्त करने के लिए‚ परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में किसानों की मदद कर सकते हैं। उच्च मूल्य वाली परियोजनाओं के लिए‚उधारकर्ता नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (NABARD Consultancy Services)(NABCONS)की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं‚जिन्हें विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का व्यापक अनुभव होता है। भारत में भेड़ों की 35लोकप्रिय नस्लों की सूची इस प्रकार है— 1.नाली भेड़ (Nali Sheep)‚ 2.चोकला भेड़(Chokla Sheep)‚ 3.मारवाड़ी भेड़(Marwari Sheep)‚ 4.मगरा भेड़(Magre Sheep)‚ 5.जैसलमेरी भेड़(Jaisalmeri Sheep)‚ 6.मालपुरा भेड़(Malpura Sheep)‚ 7.सोनाडी भेड़(Sonadi Sheep)‚ 8.पाटनवाड़ी भेड़(Patanwadi Sheep)‚ 9.मुजफ्फरनगरी भेड़(Muzaffarnagari Sheep)‚ 10.जालौनी भेड़(Jalauni Sheep)‚ 11.हिसारडेल भेड़(Hissardale Sheep)‚ 12.दक्कनी भेड़(Deccani Sheep)‚ 13.बेल्लारी भेड़(Bellary Sheep)‚ 14.नेल्लोर भेड़(Nellore Sheep)‚ 15.मंड्या भेड़(Mandya Sheep)‚ 16.हसन भेड़(Hassan Sheep)‚ 17.मेचेरी भेड़(Mecheri Sheep)‚ 18.वेम्बूर भेड़(Vembur Sheep)‚ 19.कोयंबटूर भेड़(Coimbatore Sheep)‚ 20.नीलगिरी भेड़(Nilgiri Sheep)‚ 21.रामंद सफेद भेड़(Ramand White Sheep)‚ 22.मद्रास लाल भेड़(Madras Red Sheep)‚ 23.तिरुचि काली भेड़(Tiruchi Black Sheep)‚ 24.केंगुरी (तेंगुरी) भेड़(Kenguri (Tenguri) Sheep)‚ 25.छोटानागपुरी भेड़(Chottanagpuri Sheep)‚ 26.शाहाबादी भेड़(Shahabadi Sheep)‚ 27.बलांगीर भेड़(Balangir Sheep)‚ 28.गंजम भेड़(Ganjam Sheep)‚ 29.बोनपाला भेड़(Bonpala Sheep)‚ 30.गद्दी (भदरवाह) भेड़(Gaddi (Bhadarwah) Sheep)‚ 31.रामपुर बुशैर भेड़(Rampur Bushair Sheep)‚ 32.भाकरवल भेड़(Bhakarwal Sheep)‚ 33.पुंचि भेड़(Poonchi Sheep)‚ 34.गुरेज़ भेड़(Gurez Sheep)‚ 35.चांगथांगीभेड़(Changthangi Sheep)

संदर्भ:
https://bit.ly/3CadMHs
https://bit.ly/3igNTOj
https://bit.ly/3rO1IH8
https://bit.ly/3fpyJEC

चित्र संदर्भ
1. भेड़ो के साथ गडरिये का एक चित्रण (flickr)
2. भेड़ो के शरीर से ऊन निकालने का एक चित्रण (flickr)
3. भेड़ की नस्लों में बन्नूर का एक चित्रण (youtube)
4. अपने अस्तबल मैं भेड़ों का एक चित्रण (youtube)



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