आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में भारत‚ पाकिस्तान‚ नेपाल‚ बांग्लादेश की छोटी दुकानों या
खाने की गाड़ियों के माध्यम से सड़कों के किनारे परोसी जाती है, जिसे लोग बहुत शौक से
खाते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य को इसकी उत्पत्ति का श्रेय दिया जाता है। इसके अलावा चाट‚ शेष
भारतीय उपमहाद्वीपों में भी बेहद लोकप्रिय है।
यह ‘कलेवा (hors d’oeuvre)’ के नाम से भी जानी जाती है‚ जो यूरोपीय (European) व्यंजनों में
मुख्य भोजन से पहले परोसा जाने वाला एक छोटा सा व्यंजन है। कुछ कलेवा को ठंडा तथा
कुछ को गर्म परोसा जाता है। इसे भोजन के हिस्से के रूप में भी खाने की मेज पर परोसा जा
सकता है‚जैसे की रिसेप्शन (reception) या कॅाकटल पार्टी (cocktail party) में परोसा जाता है।
पिछले दशकों में कलेवा को मुख्य भोजन के बीच में भी परोसा जाता था।
कुछ लोगों का कहना है कि चाट शब्द की उत्पत्ति इसके शाब्दिक अर्थ 'चाटना' से हुई है। यह
इतना स्वादिष्ट था कि लोग अपनी उँगलियाँ और ‘डोना’ कहे जाने वाले पीपल के पत्तों से बनी
कटोरी को भी चाट लेते थे‚ जिसमें अक्सर इसे परोसा जाता था। कुछ लोगों को यह भी लगता
है कि इसकी उत्पत्ति चटपटी(तीखी) शब्द से हुई है।हालांकि‚ कोई भी वास्तव में सच्चाई को
नहीं जानता है।
इस प्रकार कुछ लोगों का मानना यह भी है कि सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान‚ 16 वीं
शताब्दी में‚ हैजा का प्रकोप हुआ था।जिसमें चिकित्सकों और जादूगरों द्वारा इसे नियंत्रित करने
के बेताब प्रयास किए गए‚ तब एक उपाय यह भी सुझाया गया था कि बहुत सारे मसालों के
साथ भोजन बनाया जाए ताकि यह भीतर के जीवाणुओं को मार सके।इस प्रकार मसालेदार तीखी
चाट का जन्म हुआ।जिसके बारे में माना जाता है कि दिल्ली की पूरी आबादी ने इसका सेवन
किया था। एक रूप से इसका श्रेय हकीम अली नामक दरबारी चिकित्सक को भी दिया जाता है‚
जिन्होंने महसूस किया कि एक ख़राब स्थानीय नहर में गंदा पानी‚ गंभीर जल–जनित बीमारियों
का कारण बन सकता है और सोचा कि इसे रोकने का एकमात्र उपाय मसालों की एक उदार
खुराक को जोड़ना है। ऐसे व्यंजनों को शाकाहारी बनाने के लिए चाट का विचार बनाया गया‚
जिसमें इमली‚ लाल मिर्च‚ धनिया‚ पुदीना‚आलू, अंकुरित बीन्स, गेहूं और दही जैसी सामग्री
मिला दी गई। इसलिए‚ भोजन को चटपटी (तीखी) कहा जाने लगा। हालांकि‚ इन कहानियों की
सच्चाई कोई नहीं जानता।
यह कहानीयां सच हो या न हो, पर इस बात पर एक आम सहमति है‚ कि देश के अन्य हिस्सों
में जाने से पहले चाट की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई‚ जहाँ रसोइया स्थानीय स्वाद के अनुरूप‚
पकवान पर अपने क्षेत्र के स्वादिष्ट मसालों का मिश्रण डालते थे।
हमारे व्यंजनों और भोजन के इतिहास के ग्रैंडमास्टर के.टी अच्चया(grandmaster KT
Achaya)‚विभिन्न सामग्रियों और व्यंजनों के बारे में बहुत कुछ बताते हैं जो चाट के प्रदर्शनों की
सूची बनाते हैं।उनकी पुस्तक‚ “ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फ़ूड(A Historical
Dictionary of Indian Food)” में अच्चया (Achaya) का “दही वड़ों” का वर्णन दिलचस्प है।उनका
कहना है कि 500 ईसा पूर्व के सूत्र साहित्य में वड़ों (vadas) का उल्लेख सबसे पहले किया गया
था। 12 वीं सदी के मानसोलासा(Manasollasa)‚ वड़ा(vada)को दूध‚ चावल के पानी या दही में
भिगोने की बात करते थे।दही का उल्लेख वेदों में भी किया गया है, और तमिल(Tamil) साहित्य
में भी दही को काली मिर्च, दालचीनी और अदरक का उपयोग करके मसालेदार बनाया जाता था।
इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दही वड़े में दही मिलाना और इसे विभिन्न
चटनी और अनार के बीज के साथ मसालेदार बना कर खाना एक प्राचीन आदत हो सकती
है।अच्चया (Achaya) आगे लिखते हैं कि कैसे ‘पापड़ी’ का उल्लेख भी 12वीं शताब्दी में
मानसोलासा(Manasollasa) में ‘पुरीका’ के रूप में मिलता है।जिसका स्वरूप वर्तमान ‘पापड़ी’ पर
सटिक बैठता है‚ जो कि जीरा और अजवायन के साथ कुरकुरी तली हुई होती हैं। इसे चने के
आटे, मैदा या गेहूं के आटे का उपयोग करके बनाया जाता है।
चाट के साथ सेंधा नमक और काला नमक का प्रयोग करना आम बात है।तेल में तले हुए आलू
या आलू के क्यूब्स (cubes) को नमक के संयोजन का उपयोग करके मसालेदार बनाया जाता है,
जिनकी उत्पत्ति भी प्राचीन ही है।अच्चया (Achaya) के अनुसार महाभारत में भी सेंधा नमक
और काला नमक का प्रयोग संदर्भित है।इसका उल्लेख बौद्ध विनय पिटक (Buddhist Vinaya
Pitaka) और चरक (Charaka)में भी मिलता है।
संस्कृत शब्द “पुरा”‚ जिसका अर्थ है उड़ा दिया गया‚ ‘पुरी’नाम की उत्पत्ति हो सकती है।वह आगे
‘पुरी’ और ‘पानी पुरी’ का वर्णन करते हुए कहते हैं, “छोटे गोल गप्पे”, त्योहारों के दौरान या उत्तर
भारत में सड़कों के किनारे‚ नाश्ते के रूप में ठंडे‚ तेज‚ काली–मिर्च और सरसों के तरल मिश्रण
के साथ खाए जाने वाले गोलाकार पूरियां हैं।इमली‚ जिसका पानी से लथपथ संस्करण आज
पानीपुरी का मुख्य आधार है‚ भारत में प्रागैतिहासिक काल में उगायी गयी थी। इसे अरबों द्वारा‚
तामार–उल–हिंदी (Tamar-ul-Hindi)— भारत का फल (Fruit of India)के रूप में संदर्भित किया गया
था और मार्को पोलो (Marco Polo) ने इसे 1298ईस्वी में इमली के रूप में संदर्भित किया था।
भारतीय भोजन में‚ एक ऐतिहासिक साथी, केटी अच्चया(KT Achaya) ने बौद्ध युग (Buddhist
era)से “सदाव” का उल्लेख भी किया है‚ जो एक मसालेदार फल पकवान या तो एक मसालेदार
फल पेय हो सकता है।अदरक‚ जीरा और लौंग का वर्णन बौद्ध युग(Buddhist era) में तथाकाली
मिर्च और हींग का वर्णन आर्य युग में देखने को मिलता है।इमली‚ और फलों सहित पानी में
मसालों का काफी प्रचलन था।
मुगल साम्राज्य से लेकर दक्षिण एशिया की सड़कों तक और उससे भी आगे‚ हमें चाट की
अविश्वसनीय वृद्धि और स्थायी वैश्विक अपील देखने को मिलती हैं‚ जो भारतीय स्ट्रीट फूड में
सबसे विनीत है।भारतीय लोकप्रिय स्ट्रीट फ़ूड‚ बॉल के आकार के कुरकुरे तेल मे तले, सब्ज़ियों
और विभिन्न प्रकार के मसालेदार मीठे और खट्टे सॉस के साथ‚दुनिया भर में लोगों द्वारा पसंद
किया जाने वाला एक स्वादिष्ट व्यंजन है।
कहा जाता है‚ दिल्ली में गोल गप्पे, मुंबई में पानी पुरी और कोलकाता में फुचका सबसे लोकप्रिय
चाटों में से एक हैं। कुछ चाटों में, पाचन में सहायता के लिए भी ऊपर से दही डाली जाती
है।जिसे एक कागज की कटोरी में परोसा जाता है और मौके पर ही खाया जाता है। दिल्ली में
अनुमानित रूप से 300,000 स्ट्रीट-फ़ूड विक्रेता हैं और अकेले कोलकाता में 130,000 विक्रेता हैं।
जब भारतीयों ने 1970के दशक में अरब की खाड़ी(Arabian Gulf) में प्रवास करना शुरू किया‚ तो
वे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के कुछ सबसे पुराने हिस्सों में होल–इन–द–वॉल (hole-in-the-
wall)जोड़ों की स्थापना करते हुए‚ अपने साथ मामूली स्ट्रीट फूड की किस्में लाए।जबकि भारतीय
डिश‚ जिसकी कीमत Dh6 और Dh10 के बीच है,ने अंतरराष्ट्रीय पाक स्पॉटलाइट (International
culinary spotlight) में अपनी जगह बना ली है‚ हाई-एंड फ्यूजन (high-end fusion)रेस्तरां के मेनू
पर डिकॉन्स्ट्रक्टेड संस्करणों (deconstructed versions) के साथ, मूल, सर्वथा लोकप्रिय संस्करण‚
जो अभी भी पुरानी दुबई (Dubai) में बहुत लोकप्रिय है। आलु चाट‚ आलु टिक्की‚ भल्ला
पापडी‚ भेलपुरी‚ चीला‚ दही पुरी‚ दही वडा‚ कचौरी‚ मसालापुरी‚ चना चाट‚ पापड़ी चाट‚ समोसा
चाट‚ सेवपुरी‚ पॅाव भाजी‚ वडा पाव‚ दही भल्ले तथा ढ़ाका चाट आदी कुछ सबसे लोकप्रिय तथा
सबसे ज्यादा खाई जाने वाली चाट में से हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3zGd42E
https://bit.ly/3xbM9Ko
https://bit.ly/2VfRRho
https://bit.ly/377IGlO
चित्र संदर्भ
1. बनारस की गलियों में आलू चाट विक्रेता का एक चित्रण (flickr)
2. कॉकटेल पार्टी में कैनपेस की एक ट्रे, हॉर्स डी' वरेस (hors d'oeuvres) का एक रूप एक चित्रण (wikimedia)
3. सौंठ की चटनी के साथ दिल्ली चाट का एक चित्रण (wikimedia)
4. टिक्की और टोकरी चाट का एक चित्रण (flickr)
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