कड़े संघर्षों के पश्चात मिलता है गिद्धराज का ताज

जौनपुर

 28-07-2021 10:18 AM
पंछीयाँ

गिद्ध (Eagle) धरती पर रहने वाले सभी पक्षियों में सर्वाधिक लंबा जीने वाला पक्षी होता है। परंतु यह उसकी नियति नहीं होती, बल्कि यह इस बहादुर पक्षी का संघर्ष होता है, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक जी पाता है। गिद्ध सामान्य रूप से 70 वर्षों तक जीवित रह सकता है, और जीवन के तीसरे दशक में गिद्ध को एक बेहद कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इस परीक्षा को आमतौर पर गिद्ध का पुनर्जन्म भी कहा जाता है।
चूँकि गिद्ध एक मांसाहारी पक्षी होता है और जीवित रहने के लिए वह पूरी तरह दूसरे पक्षियों तथा जीव-जंतुओं का शिकार करता है। परंतु जब वह लगभग 30 वर्ष का हो जाता है, तो उसके शरीर में कई बड़े बदलाव आने लगते हैं। इस उम्र तक आते-आते गिद्ध के पंजे जो प्रायः नुकीले होते थे, वह अब लंबे और नुकीले हो जाते हैं, जिस कारण वह अपने शिकार पर मजबूत पकड़ नहीं बना पाता।
उसकी चोंच भी लंबी और आगे की ओर झुक या मुड़ जाती है, जिस कारण उसके लिए भोजन निगलना बेहद मुश्किल हो जाता है। साथ ही उसके पंख बेहद भारी हो जाते है और उसकी छाती से चिपक जाते हैं, परिणाम स्वरूप वह पूरे खुल नहीं पाते, जिससे उसे उड़ने में बाधा उत्पन्न होती है। इस स्थिति में गिद्ध के पास केवल दो विकल्प रह जाते हैं, परिस्थियों को स्वीकार करके मृत्यु को प्राप्त हो जाना। तथा दूसरा विकल्प यह होता है कि परिवर्तन के साथ एक लम्बी और दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना। चूँकि परिवर्तन की प्रक्रिया बेहद दर्दनाक और होती है, इस कारण किसी भी प्राणी के लिए मृत्यु का चुनाव एक आसान विकल्प होगा। परंतु गिद्ध ऐसा नहीं करता। वह परिवर्तन के विकल्प को चुनता है, और बदलाव के लिए संघर्ष करता है। अतः वह किसी पहाड़ की चोटी पर अपना एक घोसला बना लेता है, और वहीं मजबूत चट्टानों पर अपनी चोंच को बार-बार तब तक पीटता अथवा मारता है जब तक की उसकी पूरी चोंच उखड अथवा टूट न जाए। चुकी गिद्ध की चोंच जड़ तक टूट जाती है, परंतु उसके स्थान पर एक नई चोंच उगने लगती है। साथ ही गिद्ध अपने पुराने पंजों और पंखों को भी तोड़ना शुरू कर देता है, यकीनन यह प्रक्रिया गिद्ध के लिए बेहद पीड़ादायक होती है, तोड़ने और नए अंगों के निकलने की प्रक्रिया लगभग 150 दिनों तक चलती है। और लगभग पांच महीनों बाद गिद्ध एक नए रूप में उसी पुराने जोश और अधिक अनुभव के साथ नई उड़ान भरता है, और कई वर्षों तक जीवित रहता है। इस प्रक्रिया को गिद्ध का पुनर्जन्म भी कहा जाता है।
कई बार लोग गिद्ध के पुनर्जन्म के संदर्भ में यह सोच लेते है, की पहले गिद्ध की मृत्यु होती है फिर उसका नया जन्म होता है। परंतु यकीनन यह उस प्रकार के पुनर्जन्म से भी अधिक साहसिक घटना होती है। हम गिद्ध के पुनर्जन्म से जीवन में कुछ बेहद प्रभावशाली सबक ले सकते हैं जो जीवन के हर मोड पर हमारे काम आएंगे।
1. फैसला : सबसे पहले हम गिद्ध से निर्णय लेने का हुनर सीख सकते हैं, यहां पर यह देखना भी बेहद प्रेरणादायक है, की बावजूद इसके कि वह वह जानता था की परिवर्तन की प्रक्रिया कितनी कष्टदायक साबित होगी। फिर भी गिद्ध जिंदा रहने के विकल्प को चुनता है ,और निश्चित रूप से उसके जीवन का सबसे अच्छा निर्णय साबित होता है।
2. निर्णय पर अनुवर्ती: कई बार लोगों के लिए निर्णय लेना बेहद आसान होता है, परंतु अपने निर्णय को सार्थक करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना बेहद कठिन हो जाता है, और यह केवल हमारे दृण संकल्प की कमी के आभाव में होता है। इस सन्दर्भ में हम गिद्ध से यह सीख सकते हैं, की यदि एक बार निर्णय ले लिया तो फिर मार्ग कितना भी कठिन हो उस पर अडिग रहो।
3. खुद पर दया मत करों: अक्सर जब हम जीवन में कोई संघर्ष कर रहे होते हैं, तो हम लोगो से, यहाँ तक की खुद से खुद पर दया करने की अपेक्षा करने लगते हैं। दया ऐसी भावना है जो दृण संकल्प को नष्ट कर सकती है। हर कोई बुरी परिस्थितियों में खुद से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा करता है। लेकिन गिद्ध अपने सभी परिचितों को छोड़कर अकेले खुद के प्रति निर्दयी भाव से पहाड़ की चट्टान पर अपनी ही चोंच को तोड़ने के लिए चला जाता है। अंत के परिणाम से हम सभी अवगत हैं।
4. परिस्थितियां बेहतर होने से पहले ख़राब होती हैं : इस संदर्भ में हम धातुओं से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, जैसे प्राकृतिक सोने के बारे में सोचें जिसे एक अच्छा, चमकदार और आकर्षक तैयार उत्पाद बनने से पहले आग से गुजरना पड़ता है, लेकिन जिसे हासिल करने के लिए लोग हजारों खर्च करेंगे। चील को भी कष्टदायी पीड़ा सहनी पड़ी, क्योंकि उसने अधिक से अधिक अच्छे के लिए पुनर्जन्म लिया। कल्पना कीजिए कि पंजों, पंखों को तोड़ना या पुरानी और मुड़ी हुई चोंच को तोड़ना कैसा लगा होगा? चूँकि संघर्ष प्रकर्ति का नियम है और सभी धातु, जीव जंतु यहां तक की हम इंसान भी प्रकर्ति का अटूट हिस्सा हैं, अतः जीवन में जब भी परेशानियां आएं तब-तब गिद्ध से प्रेरणा ले और यह सोचें की यह सफलता से पूर्व का संघर्ष है।
5:परिवर्तन एक निरंतर घटना है: जहां एक इंसान कुछ संघर्षों और बार-बार आती परेशानियों से हार मान लेता है, वहीँ गिद्ध ने 150 दिनों तक अपने द्वारा ही अपने अंगों को नष्ट किया। 150 दिन तक निरंतर जानबूझकर भयंकर पीड़ा सहना बिलकुल भी मामूली बात नहीं है, खसतौर पर तब जब आपके पास मरने का बेहतर विकल्प हो।
गिद्ध के साहस के किस्से आधुनिक किस्से कहानियों और किताबों तक ही सीमित नहीं हैं, परंतु बाइबल (Bible) जैसे महान धर्मिक ग्रंथ में उसे स्थान मिला है। हिंदू धर्म में तो इस पक्षी से संदर्भित पूरा गरुण पुराण लिखा गया है। एक तरफ गरुड पुराण में “कर्मकाण्ड” पर बल दिया गया है तो दूसरी तरफ ‘आत्मज्ञान’ के महत्त्व का भी प्रतिपादन किया गया है। गरुड़ पुराण विष्णु पुराणों में से एक है। यह विष्णु और पक्षियों के राजा गरुड़ के बीच संवाद के रूप में है।

संदर्भ
https://bit.ly/3y9zkSh
https://bit.ly/3rC4AqB
https://bit.ly/3x5CiGi
https://en.wikipedia.org/wiki/Garuda_Purana

चित्र संदर्भ
1. घूरते गिद्ध का एक चित्रण (flickr)
2. अपने नाखूनों की जांच करते गिद्ध का एक चित्रण (flickr)
3. टूटी हुई चोंच के साथ गिद्ध का एक चित्रण (youtue)
4. मछली के शिकार को लेकर उड़ते बाज़ का एक चित्रण (flickr)



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id