कैसे हुआ आधुनिक पक्षी का दो पैरों वाले डायनासोर के एक समूह से चमत्कारी कायापलट?

जौनपुर

 26-07-2021 09:40 AM
पंछीयाँ

डायनासोर (Dinosaur) के लुप्त होने की कहानी हम सदियों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन हम में से बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि डायनासोर की सभी प्रजाति लुप्त नहीं हुई है। तो ऐसा क्या है कि डायनासोर की ये प्रजाति जीवित रहने में सक्षम रहे जबकि डायनासोर की अन्य सभी प्रजाति विलुप्त हो गई? दरसल आधुनिक पक्षी दो पैरों वाले डायनासोर के एक समूह से अवतीर्ण हुए हैं जिन्हें थेरोपोड (Theropods) के नाम से जाना जाता है, इनके सदस्यों में विशाल टायरानोसॉरसरेक्स (Tyrannosaurus rex) और छोटे वेलोसिरैप्टर (Velociraptors) शामिल हैं। आधुनिक पक्षियों की तुलना में आमतौर पर एवियन (Avians) से संबंधित थेरोपोड्स का वजन आमतौर पर 100 से 500 पाउंड के बीच था और उनमें एक बड़ा थूथन, बड़े दांत और छोटे कान मौजूद थे।उदाहरणतः एक वेलोसिरैप्टर (Velociraptor) की खोपड़ी कायोटी (Coyote) की तरह थी जबकि उसके मस्तिष्क का आकार एक कबूतर के मस्तिष्क की भांति था।
ऐसा माना जाता है कि डायनासोर को पक्षियों जैसी विशेषताएं (पंख, वाज और उड़ान) हासिल करने में लगभग 10 मिलियन वर्ष लगे हैं।इसका प्रमाण हमें जुरासिक काल (Jurassic Era) की एक प्रसिद्ध तथा अद्वितीय खोज “आर्कियोप्टेरिक्स” (Archeopteryx) में देखने को मिलता है। यह एकमात्र ऐसा जीवाश्म है, जो हमें बताता है कि डायनासोरों से ही पक्षियों का विकास हुआ है। इसमें पक्षियों और डायनासोर (सरीसृप) दोनों के लक्षणों को देखा जा सकता है जो यह प्रमाणित करता है कि पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ है। इसकी संरचना पक्षियों की संरचना के साथ काफी मिलती है, इस जीवाश्म में पंखों के निशान काफी विकसित हैं और साथ ही इसमें दांत और एक हड्डीदार पूंछ भी देखने को मिलती है।
इस चमत्कारी कायापलट की व्याख्या करने के लिए, वैज्ञानिकों ने एक सिद्धांत विकसित किया जिसे अक्सर "आशावादी राक्षस (Hopeful monsters)" कहा जाता है।इस सिद्धांत के अनुसार, प्रमुख विकासवादी बदलावों के लिए बड़े पैमाने पर आनुवंशिक परिवर्तनों की आवश्यकता होती है जो किसी प्रजाति में नियमित रूपांतरण से गुणात्मक रूप से भिन्न होते हैं।इतने कम समय में इतने महत्वपूर्ण परिवर्तन का उदाहरण हम 300 पाउंड के थेरोपोड से गौरैया के आकार के प्रागैतिहासिक पक्षी ब्रेविकोर्निस (Brevicornis) में अचानक परिवर्तन में देख सकते हैं।लेकिन यह तेजी से स्पष्ट हो गया है कि डायनासोर से पक्षियों की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी कहानी कहीं अधिक जटिल है। हालांकि वैज्ञानिकों द्वारा की गई कुछ खोजों से पता चला है कि पक्षियों के विकास से बहुत पहले ही पंख जैसी विशिष्ट विशेषताएं विकसित होने लगी थीं, जोकि यह दर्शाता है कि पक्षियों में कई गुण पहले से मौजूद थे, जिन्होंने उन्हें नए वातावरण के लिये अनुकूलित बनाया।और हाल के शोध से पता चलता है कि कुछ साधारण बदलाव, जिसमें वयस्कता के समय में सिर का आकार छोटे होना पक्षियों के रूप में परिवर्तित होने के लिए अंतिम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके साथ ही यह भी पता चलता है कि पक्षी न केवल अपने डायनासोर पूर्वजों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं, बल्कि वे बारीकी से डायनासोर के भ्रूण से मिलते जुलते हैं। इन्हीं छोटे विकासवादी परिवर्तनों की एक श्रृंखला से बड़े विकासवादी परिवर्तन उत्पन्न हुए, जिन्होंने आधुनिक पक्षी का रूप लिया।
1990 के दशक में चीन (China) के क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवाश्मों से नए मध्यस्थ प्रजातियों की खोज हुई, जिस कारण पक्षियों के विकास के इतिहास का अध्ययन करने में रुचि की एक नई लहर उत्पन्न हो गई। हालांकि इन जीवाश्मों में से अधिकांश में पूर्ण पंख विकसित नहीं थे, लेकिन ये कहा जा सकता है कि उस समय में पंख विकसित होना शुरू हो गये थे। इन जीवाश्मों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि डायनासोर से पक्षी रातों-रात विकसित नहीं हुए बल्कि पक्षियों के ये गुण एक-एक करके विकसित हुए, पहले डायनासोर ने दो पैरो पर चलना सीखा, फिर पंख विकसित हुए और फिर अधिक जटिल पंख जो क्विल-पेन (Quill-pen) पंख की तरह दिखते हैं,अंतत: वाज विकसित हुए। अध्ययन में यह भी पाया गया कि आर्कियोप्टेरिक्स और अन्य प्राचीन पक्षी अन्य डायनासोरों की तुलना में बहुत तेजी से विकसित हुए थे। वहीं डायनासोरों से पक्षियों के विकास में उनके छोटे आकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,दरसल नए शोध से पता चलता है कि डायनासोर तेजी से आकार में छोटे होने लगे थे जोकि एक लाभप्रद गुण साबित हुआ क्योंकि यह आकार उनको जीवित रहने में लाभकारी साबित हुआ और छोटे कद के कारण पक्षियों की भांति वे उड़ान भरने में सक्षम हुए। 2008 में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) के एक जीव विज्ञानी अरखट अबझानोव (Arkhat Abzhanov) मगरमच्छों पर अध्ययन कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि मगरमच्छ का भ्रूण मुर्गियों के समान दिखता है। फिर उन्होंने देखा कि डायनासोर के बच्चे की खोपड़ी के जीवाश्म का प्रारूप वयस्क पक्षियों से मिलता जुलता है।इस सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए, न्यूयॉर्क (New York) में अबझानोव और अन्य सहयोगियों के साथ मार्क नोरेल (Mark Norell -अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (American Museum of Natural History) के एक जीवाश्म विज्ञानी) ने दुनिया भर के प्राचीन पक्षियों के जीवाश्मों पर विवरण एकत्र किया। फिर उन्होंने यह पता लगाया कि डायनासोर की खोपड़ी की आकृति कैसे बदल गई और वे पक्षियों में कैसे परिवर्तित हो गए। उन्होंने खोज की, समय के साथ चेहरा और आँखें ढह गई, मस्तिष्क तथा चोंच बढ़ गई। पक्षी छोटे शिशु डायनासोर के समान होते हैं जो प्रजनन कर सकते हैं।
यदि कोई व्यक्ति इन पक्षियों के बारे में अध्ययन करने में रुचि रखता है तो वे ऑर्निथोलॉजी (Ornithology) अर्थात पक्षीविज्ञान का विकल्प चुन सकता है।जुरासिक (Jurassic) अवधि के दौरान विकसित हुए इन पक्षियों का अध्ययन पक्षीविज्ञान के अंतगर्त किया जाता है और विभिन्न प्रकार के महाविद्यालय आपको इस क्षेत्र में करियर (Career) बनाने का अवसर प्रदान करते हैं और पक्षीविज्ञान पर एक अलग दृष्टिकोण देते हैं। इसके अलावा, इन विभिन्न कार्यक्रमों में से प्रत्येक संरक्षण, पारिस्थितिकी और पक्षी जीव विज्ञान पर एक अलग दृष्टिकोण देते हैं।
• जीवविज्ञान :- जीव विज्ञान यह उत्तर देने का प्रयास करता है कि जानवर (और पौधे, आदि) क्या और क्यों करते हैं। कई बड़े स्कूल जीव विज्ञान के भीतर क्षेत्र विशेषज्ञता भी प्रदान करते हैं।
• वन्यजीव जीव विज्ञान:- वन्यजीव पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधन :- इन कार्यक्रमों में अनुसंधान अक्सर क्षेत्र-आधारित होता है। इस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कि जानवर संरक्षण और प्रबंधन के लिए अपने आवास और निहितार्थ का उपयोग कैसे करते हैं।
• पर्यावरण विज्ञान :- पर्यावरण विज्ञान कार्यक्रम जीव विज्ञान पर कम और प्रकृति के साथ नीति और लोगों से बातचीत पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
• ज़ूलॉजी :-ज़ूलॉजी (Zoology) जानवरों के अध्ययन पर केंद्रित है और विशेष रूप से उनके प्राकृतिक इतिहास के जातिवृत्तीय, कार्य, व्यवहार और अन्य पहलुओं की जांच करता है।
• कला और फिल्म का अध्ययन :- पक्षियों के सौंदर्य, शैक्षिक और वैज्ञानिक चित्रण, फोटोग्राफी (Photography) और वीडियोग्राफी (Videography) के लिए कई अवसर मौजूद हैं। यदि आप कला की ओर काफी आकर्षित हैं, तो ये कार्यक्रम ओर्निथोलोजी की दुनिया में एक गैर-विज्ञान-उन्मुख दृष्टिकोण की अनुमति देते हैं। साथ ही यदि आप अकादमिक केंद्रित शोध में रूचि रखते हैं, तो आपको भविष्य में स्नातक स्कूल करने की आवश्यकता है। इसके विपरीत, टूर गाइडिंग (Tour guiding), फील्डवर्क (Field work) और स्पष्ट विज्ञान से दूर अन्य करियर के लिए पूर्वस्नातक की डिग्री पर्याप्त हो सकती है।इस केंद्र में निम्न कुछ कार्यक्रमों के माध्यम से आपको कई करियर बनाने के मौके मिल सकते हैं:
1. गैर-लाभकारी संगठन: ये ऐसे संगठन होते हैं, जो सरकार द्वारा वित्त पोषित नहीं होते। कई गैर-लाभकारी संगठनों में एक पूरी टीम (Team) होती है, जिसमें अनुसंधान वैज्ञानिक, वेब डेवलपर (Web developers), विज्ञान लेखक, मल्टीमीडिया विशेषज्ञ (Multi media specialist), आदि शामिल होते हैं। आप चाहें तो इनमें से किसी भी पद के लिए अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन दे सकते हैं और धन भी अर्जित कर सकते हैं। ये संगठन विभिन्न लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
2. सरकारी संगठन: कई सरकारी संगठन हैं, जो पक्षी प्रेमियों को राष्ट्रीय से लेकर राज्य और स्थानीय स्तर पर रोजगार देते हैं। ये संगठन मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और संरक्षण पर केंद्रित होते हैं।
3. पर्यावरण परामर्शदाता: पर्यावरणीय प्रभावों के कारण बढ़ते हानिकारक प्रभावों को देखते हुए पर्यावरण परामर्शदाता बनने का विकल्प भी इन रोजगार विकल्पों में शामिल हैं। अपनी खुद के व्यवसाय का नेतृत्व करना या पर्यावरण इंजीनियर (Engineer) बनना भी इस क्षेत्र में शामिल हैं।
4. पक्षी उद्योग: जैसे-जैसे दुनिया भर में पक्षी प्रेमियों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे पक्षी-संबंधित उत्पादों को बनाने या बेचने के अवसरों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही साथ दूरबीन, किताबें, ऐप्स (Apps), बर्डफीडर (Bird feeder) और बीजों आदि के क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही क्षेत्र में कार्यरत रहते हुए भी, कोई अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए स्वयंसेवा कर सकते हैं। कई पक्षीविज्ञान संगठनों के पास ऐसे कार्यक्रम हैं जो पक्षियों के अवलोकन विवरण को उन लोगों से स्वीकार करते हैं जो इसे इकट्ठा करने के लिए साइन अप (Sign up) करते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3rv3htz
https://on.natgeo.com/3x6e3Yd
https://bit.ly/3eOvQgm

चित्र संदर्भ
1. यूटाहैप्टर ओस्ट्रोमेसोरम (utahapter ostromesorum) का रचनात्मक परिवर्तन (wikimedia)
2. पहली पंक्ति में : डीइनोचिरस मिरिफिकस और टारबोसॉरस बटार (Deinochirus mirificus and Tarbosaurus quail); बूबो स्कैंडिएकस और अनस रूब्रीप्स (Bubo scandiacus and Anas rubripes) दूसरी पंक्ति में: जेनयुआनलोंग सुनी; अनाम जीनस (Zhenyuanlong Suni; unnamed genus kayentakatae) तीसरी पंक्ति में: सिनोसौरोप्टेरिक्स प्राइमा; स्पिनोसॉरस इजिपियाकस (Sinosauropteryx Sinosauropteryx prima; Spinosaurus aegyptiacus) का एक चित्रण (wikimedia)
3. पक्षियों की संरचना और जीवन (1895) का एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id