चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (Quadrilateral Security Dialogue) (जिसे क्वाड (Quad) के नाम से भी जाना जाता
है) के चार सदस्य देश, यानी भारत, अमेरिका (United States), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और जापान
(Japan) क्षेत्र में बढ़ते चीन (China) की आर्थिक और सैन्य शक्ति के असर को रोकने के लिए एक मंच पर
साथ आये हैं। भारत इस मंच का एक अहम सदस्य है। दूसरी तरफ भारत एक ऐसे मंच में काफ़ी सक्रिय है
जिसमें भारत और चीन अहम भूमिका निभाते हैं। ये मंच ब्रिक्स (BRICS) है जिसमें भारत और चीन के
अलावा रूस (Russia), ब्राज़ील (Brazil) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) भी सदस्य हैं। दिलचस्प बात ये
है कि इस साल भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता मिली हुई है। सवाल ये है कि भारत एक तरफ़ चीन विरोधी
मंच में शामिल है और दूसरी तरफ़ चीन के साथ मिलकर एक दूसरे मंच में भी साथ है। भारत की गतिविधि
को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में दक्षिण एशिया के लिए अमेरिकी प्रशासन के पूर्व प्रवक्ता द्वारा भारत से
ब्रिक्स (Brics) और आरआईसी (RIC) जैसे संगठनों (जिसमें चीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है) के साथ
जुड़ाव को प्राथमिकता देने के बजाय "क्वाड में निवेश" करने के लिए कहा।
चीन के साथ तनावपूर्ण गतिरोध के बीच, विदेश मंत्री एस. जयजंकर 23 जून को रूस-भारत-चीन (आरआईसी)
समूह के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने अपने संबोधन में चीन पर भी कटाक्ष किया
और कहा दुनिया की अग्रणी आवाज़ों को अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करके और भागीदारों के हितों को
पहचानते हुए अनुकरणीय तरीके से कार्य करना चाहिए। ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) समूह के
विदेश मंत्रियों ने सीमा गतिरोध के सार्वजनिक होने से कुछ दिन पहले 28 अप्रैल को भी एक बैठक की थी।
चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई हिस्सों में सेना जुटा ली है, विशेषकर गैल्वान घाटी जो तनाव का केंद्र
रहा है। अमेरिकी प्रशासन के पूर्व प्रवक्ता यह भी कहा कि अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे समान
विचारधारा वाले देशों ने चीन के उकसाने और परेशान करने वाले व्यवहार का सामना करने के लिए एक साथ
सामने आये है। चीन सागर में हो या भारत की सीमा पर हो, हमें चीन द्वारा उकसाने और परेशान करने वाले
व्यवहार का समाना एक साथ करना होगा।
आखिरकार क्वाड क्या है?
क्वाड चतुर्भुज सुरक्षा संवाद, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक अनौपचारिक
रणनीतिक मंच है, जो कि सदस्य देशों के बीच अर्ध-नियमित शिखर सम्मेलन, सूचना विनिमय और सैन्य
प्रशिक्षण द्वारा बनाए रखा जाता है।
इस मंच की शुरुआत 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे (Shinzō
Abe) ने अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी (Dick Cheney), ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड (John
Howard) और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सहयोग से की थी। वर्ष 2007 में मालाबार अभ्यास
पहली बार हिंद महासागर के बाहर जापान के ओकिनावा द्वीप के पास आयोजित किया गया। इस अभ्यास में
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर (Singapore) ने भाग लिया। इस अभ्यास के
बाद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया जिसे 'चतुर्भुज पहल'
(Quadrilateral Initiative) नाम दिया गया। क्वाड और सिंगापुर के बीच संयुक्त नौसैनिक अभ्यास का चीन के
कूटनीतिक विरोध प्रदर्शन के बाद, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रुड (Kevin Rudd) ने पदभार ग्रहण करने
के तुरंत बाद, फरवरी 2008 में ऑस्ट्रेलिया की वापसी के बाद क्वाड की पहली यात्रा को बंद कर दिया। इसके
अलावाक्वाड के बंद होने के कई अन्य कारण भी थे,हालांकि, 2017 के दौरान आसियान शिखर सम्मेलन में
सभी चार पूर्व सदस्यों ने चतुर्भुज गठबंधन को पुनर्जीवित करने के लिए बातचीत में भाग लिया।ऑस्ट्रेलिया के
प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल (Malcolm Turnbull) , जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी, और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मनीला में दक्षिण चीन सागर में तनाव के बीच
सुरक्षा संधि को पुनर्जीवित करने के लिए सहमति व्यक्त की। 2021 के एक संयुक्त बयान में, "द स्पिरिट
ऑफ द क्वाड," (The Spirit of the Quad) क्वाड सदस्यों ने एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक (Indo-
Pacific) के लिए एक साझा दृष्टि और पूर्व तथा दक्षिण चीन सागर में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था का
वर्णन किया , जो चीनी समुद्री दावों का मुकाबला करने के लिए क्वाड सदस्य राष्ट्र की आवश्यकता है।परंतु
क्वाड के समक्ष कई चुनौतियां हैं जो निम्नलिखित हैं:
1. चीन के क्षेत्रीय दावे तथा देशों के साथ विवाद
2. आसियान (ASEAN) देशों के साथ चीन की निकटता
3. चीन की आर्थिक शक्ति
4. क्वाड देशों के बीच व्यापार जैसे अनेक मामलों को लेकर टकराव
हाल में हुये क्वाड की 12 मार्च की शिखर बैठक आयोजित हुई।हिंद-प्रशांत (Indo Pacific) क्षेत्र में चीन के
बढ़ते प्रभाव के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए चार देश एकजुट होकर रास्ता खोजने की तैयारी में हैं। इस बैठक
में चारों देशों के नेताओं साझा हित के वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और समकालीन चुनौतियों जैसे लचीली
आपूर्ति श्रृंखला, उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की और
एक मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने की दिशा में सहयोग के व्यावहारिक क्षेत्रों पर
विचारों का आदान-प्रदान किया।
चीन द्वारा सैन्य शक्ति का प्रदर्शन बढ़ाने के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में
उभरती स्थिति प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गई है। साथ ही साथ चीन वैश्विक
आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक प्रमुख खिलाड़ी है, जो आज एक वैक्सीन आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रमुख भूमिका
में सबसे आगे दिखाई देता है। भारत हाल के वर्षों में, चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय मापदंडों का उल्लंघन, विशेष रूप
से दक्षिण चीन सागर में पुनर्निर्मित द्वीपों पर सैन्य सुविधाओं का निर्माण, और इसकी बढ़ती सैन्य और
आर्थिक शक्ति, भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती पेश करती है। चीन की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में
रखते हुए, भारत चीन पर रणनीतिक स्वायत्तता के लिए प्रतिबद्ध होकर, एक ओर चीन और दूसरी ओर
अमेरिका को संतुलित कर रहा है, जो आमतौर पर चीन को आश्वस्त कर रहा है।
पिछले एक दशक में, जापान ने चीन के क्षेत्रीय संक्रमण से संबंधित चिंताओं को व्यक्त किया है। चीन के साथ
व्यापार की मात्रा जापानी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण जीवन रेखा बनी हुई है, जहां 2017 की शुरुआत के
बाद से जापान के आर्थिक विकास में शुद्ध निर्यात का एक तिहाई योगदान रहा था। इसलिए, इसके महत्व को
देखते हुए, जापान चीन के साथ अपनी आर्थिक जरूरतों और क्षेत्रीय चिंताओं को संतुलित कर रहा है। जापान ने
तीसरे देश में बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों में भाग लेकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative)
में शामिल होने पर भी सहमति व्यक्त की है। इस तरह, जापान चीन के साथ संबंधों में सुधार करते हुए उन
देशों में चीनी प्रभाव को कम कर सकता है।
हालांकि भारत आक्रामक तरीके से चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री राज्यों
के साथ संयुक्त विकास समझौते की मांग कर रहा है। जिबूती (Djibouti) में एक नौसैनिक अड्डे की स्थापना
और बीजिंग तक कई सुविधाओं के अतिरिक्त पहुंच को रोकने के लिए रणनीति पर विचार किया गया है।
2017 में, नई दिल्ली ने डुक्म (ओमान (Oman)), असूशन द्वीप (सेशेल्स (Seychelles)), चाबहार (ईरान
(Iran)), और सबंग (इंडोनेशिया (Indonesia)) सहित विभिन्न स्थानों में समझौता विकसित करने पर तीव्रता
दिखाई थी। लेकिन इस संजाल के भीतर अकेले भारतीय नौसेना के संचालन शायद पूरे इंडो-प्रशांत को स्थिर
और शांतिपूर्ण बनाये रखने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। क्वाड सदस्यों के पास इन बंदरगाहों के माध्यम से
भारतीय परिचालन के पूरक और सुदृढ़ीकरण के लिए उपलब्ध होने से अवरोध बढ़ सकता है।
वर्तमान क्वाड को अपने लिए एक स्पष्ट दृष्टि रखने की आवश्यकता होगी। क्वाड को एक मजबूत क्षेत्रीय
परामर्श तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर एशियाई देशों के साथ
समन्वय करना चाहिए। वर्तमान में भारत इंडो- प्रशांत में अपनी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करना चाहता है,
इसके लिये भारत को समुद्र आधारित शक्ति प्रदर्शन और क्षेत्र में प्रभावी क्षमता का प्रदर्शन करना होगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3jLcBri
https://bit.ly/2TFrvVx
https://bit.ly/3yp10Cj
https://bit.ly/3wieKgV
https://bit.ly/3xn1jxm
चित्र संदर्भ
1. सेक्रेटरी पोम्पिओ(Pompeo) ने क्वाड मीटिंग की मेजबानी की जिसका एक चित्रण (flickr)
2. क्वाड चतुर्भुज देशो का एक चित्रण (drishti)
3. भारत-प्रशांत जैव-भौगोलिक क्षेत्र द्वारा कवर किये गए क्षेत्र का एक चित्रण (wikimedia)
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