मानवीय जीवन में कला की अतुल्‍नीय भूमिका

जौनपुर

 03-07-2021 09:49 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपने संपूर्ण जीवन में किसी न किसी रूप में कला से जुड़ा रहता है। चाहे वह चित्रकारी हो, रंगमंच हो, फिल्में हों या संगीत; हजारों वर्षों से मानव जाति कला के इन रूपों को अपने जीवन का हिस्‍सा बनाए हुए है। हमारी रुचियां न केवल व्यक्तिपरक होती हैं बल्कि सांस्कृतिक मानदंडों, शिक्षा और प्रदर्शन से भी प्रभावित होती हैं।कला मानवीय अनुभव का एक ऐसा क्षेत्र है जो प्रकृति में समानता नहीं रखता है।कला के रूपों में आम सहमति होने के बाद भी अधिकांश व्यक्ति कलाकृतियों को अलग तरह से आंकते हैं। संस्कृति के बिना कला नहीं हो सकती, दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं। कला संस्कृति को दर्शाती है, संस्कृति को प्रसारित करती है, इसको आकार देती है और इस पर टिप्पणी करती है। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे जानवर संभवतः कला का अनुभव कर सकें जैसा कि मानव करते हैं। वास्तव में, केवल कुछ जानवरों की प्रजातियों में संस्कृति की शुरुआत के मामूली संकेत मौजूद हैं। पुरातात्विक साक्ष्‍य बताते हैं कि मानव, सभ्‍यता की शुरूआत से ही कला प्रेमी रहा है, गुफओं में मिले भित्तिचित्र और मृदभाण्‍डों में अंकित चित्रकारी इसके प्रत्‍यक्ष उदाहरण हैं।दृश्य कला की सराहना करने की प्रवृत्ति सभी समाजों के लोगों में समान है।कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार कला हमें समूहों के रूप में बंधने में मदद करती है; और हमारा मस्तिष्क भी सरल पैटर्नों (patterns) को नोटिस (notice) करने और उनका आनंद लेने के लिए समर्थ होता है।कला ऐतिहासिक घटनाओं के स्थायी रिकॉर्ड (Record) के रूप में भी काम करती है, जो महत्वपूर्ण क्षणों का प्रतीक बन जाती है और इसके साथ ही किसी प्रमुख घटना के बाद सदियों तक उसकी साक्ष्‍य बनी रहती है।
उदाहरण के लिए स्पेनिश चित्रकार पिकासो (Picasso) का "ग्वेर्निका"(Guernica) तत्‍कालीन आतंक के विरूद्ध शक्तिशाली विरोध को दर्शाता है।ऐतिहासिक कलाकृतियों में इस प्रकार के कई उदाहरण भरे हुए हैं। फोटोग्राफी (photography ) के आविष्कार के बाद से कैमरे के माध्‍यम से युद्ध की भयावहता को इस भांति दर्शाया गया, जिसे शब्‍दों से शायद ही कभी अभिव्‍यक्‍त किया जा सकता था। प्रकृति और कला एक दूसरे के मध्‍य एक विशेष संबंध रखते हैं, ये दोनों ही सौंदर्य के प्रतीक हैं। वे दोनों हमें चकित एवं सम्‍मोहित कर सकते हैं। वे हमें प्रेरित कर सकते हैं और हमें किसी चीज़ से जुड़ाव महसूस करा सकते हैं। ये दोनों हमारी भावनात्मक तंत्रिका पर प्रभाव डाल सकते हैं, जो हमको एक ऐसी स्‍मृति देती है जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। शायद कला और भावना के बीच के इस संबंध से कला की उत्पत्ति के बारे में कुछ पता चलता है। प्राकृतिक सौंदर्य का एक उदाहरण हम इसमें मौजूद सुंदर जीवों से ले सकते हैं, जिन्‍हें प्रकृति ने विभिन्‍न रंग-रूप से सजाया है। जानवरों में इन आकर्षक रंगों और रूपों के भिन्‍न भिन्‍न कारण हो सकते हैं, जिसमें से सबसे प्रमुख है अपने साथी को आकर्षित करना। इसी प्रकार कला भी मानव पर भावनात्‍मक प्रभाव डालती है, जो इसे अपनी ओर आकर्षित करती है। कला की प्रभावशीलता उस ज्ञान और अनुभव के बारे में कुछ बुनियादी धारणाओं पर निर्भर करती है जो कलाकार और दर्शकों के बीच सामान्‍य है। कला मानव को पिछली घटनाओं और भावनाओं का दृश्य स्मरण कराती है। पिछले मिलियन वर्षों में जैसे-जैसे मानव मस्तिष्क अधिक परिष्कृत होता गया, हम अपनी यादों के रूप में व्यापक विवरण संग्रहीत करने में सक्षम हो गए। सभी विभिन्न होमिनिड प्रजातियों (hominid species) को सामान्य शिकार और जीवन यापन के लिए व्यापक दृश्य स्मृति की आवश्यकता महसूस हुयी। वे संगठित समूह शिकार, साधारण औजारों का उपयोग आदि की व्याख्या कैसे कर सकते थे? इन जटिल कौशलों के लिए संचारात्‍मक और भावी सुधार हेतु पूर्व अनुभव के साथ वर्तमान दृश्य संकेतों की तुलना की आवश्यकता थी।इसके अलावा, उपकरण बनाने और इसके उपयोग की कला जो वानरों से विकसित हुयी,होमिनिड्स (hominids) में व्‍यापक रूप से विस्‍तृत हुई, जिसके लिए बहुत अधिक दृश्य और स्पर्शनीय स्मृति की आवश्यकता थी। जैसे ही आधुनिक होमो सेपियन्स (homo sapiens) ने अधिक से अधिक परिष्कृत उपकरण बनाना शुरू किया, हमने स्‍वयं में प्राचीन चित्रकारी उपकरणों का उपयोग करके अपनी यादों को चित्रित करने की क्षमता को विकसित किया। जैसे-जैसे होमो सेपियन्स आगे बढ़ रहे थे उनमें भाषा विकसित हो रही थी, मनुष्य एक-दूसरे को उनके द्वारा बनाए गए औजारों, उन्हें मिले भोजन और उनके द्वारा सिद्ध किए गए कौशल के बारे में सिखाने लगे। यह शिक्षा की अवधारणा की शुरुआत थी।
संभवत: पुरापाषाण युग की शिक्षा में भी दृश्य साधनों का उपयोग नहीं किया गया होगा, जैसा कि आज की शिक्षा में किया जाता है। चाहे उसका स्‍वरूप भिन्‍न रहा हो।ड्राइंग (drawing), पेंटिंग (painting) और अन्य दृश्य चित्रण के विभिन्न रूपों ने लगभग निश्चित रूप से प्रारंभिक मनुष्यों के बीच संचार और शिक्षा की सुविधा प्रदान की।इसके अलावा, ऐसा लगता है कि प्रारंभिक मनुष्यों ने भी समस्या-समाधान और गणना के विभिन्न प्रयासों के लिए कलात्मक चित्रण के नए नवाचार का उपयोग किया था। जैसे-जैसे अनुभूति विकसित होती गई, यह चेतना और आत्मनिरीक्षण में विकसित होने लगी, जैसा कि हम आज उनके बारे में सोचते हैं। यदि हम कला को उसके सांस्कृतिक निहितार्थों से अलग करते हैं, तो हम इस बात से सहमत हो सकते हैं कि कला का संबंध अक्सर सौंदर्य की अभिव्यक्ति से होता है। पूरे इतिहास में, शायद ही सौंदर्य के उत्पादन के अलावा किसी अन्य स्पष्ट उद्देश्य के लिए बहुत अधिक कलाकृति बनाई गई हों। कलाकृति को निहारा जाता है और उसकी प्रशंसा की जाती है। यह जितनी लुभावनी होती हैं हमें उतनी ही भावुक भी कर सकती हैं।हमारे द्वारा कला की सराहना करना स्‍वभाविक है क्योंकि यह हमें सूचित करती है, मनोरंजन करती है और बेहतर बनाती है, इस प्रक्रिया में यह हमें एक समाज के रूप में करीब लाती है। बेशक, यह सब इतना आसान नहीं होता है; यह विवादास्पद, अपमानजनक, विभाजनकारी, अप्रसन्न या किसी का ध्यान न जाने वाली भी हो सकती हैं। लेकिन इसकी सबसे अच्छी कला मानवता का एक सच्चा उत्सव है,आशा करते हैं कि हमारे वंशज इसकी उतनी ही परवाह करेंगे जितनी हम करते हैं!

संदर्भ:
https://bit.ly/3qCvIoM
https://bit.ly/3qF5v9d
https://bit.ly/3w8K8yh

चित्र संदर्भ
1. चित्रकारी करते बच्चों का एक चित्रण (ADDitude)
2. स्पेनिश चित्रकार पिकासो द्वारा नर्मित चित्रण ग्वेर्निका (Guernica) (flickr)
3. जानवरों के गुफा चित्र (flickr)



RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id