विभिन्न पीढ़ियों का वर्णन करने के लिए पीढ़ियों को एक नाम या लेबल दिया गया है, जिनमें बेबी बूमर्स
(Baby Boomers), जनरेशन एक्स (Gen X), जनरेशन वाई (Gen Y) या मिलेनियल (Millennial)
आदि शामिल हैं।जनरेशन Y या मिलेनियल्स की सोच व्यापक और सामाजिक रूप से समावेशी है,हालांकि
यह पीढ़ी अक्सर अत्यधिक आत्म-अवशोषित रूप में भी सामने आती है। मिलेनियल्स, अमेरिका में 1981
और 1996 के बीच पैदा हुई युवा आबादी को संदर्भित करती है।आम तौर पर, विभिन्न पीढ़ियों का वर्णन
करने के लिए उन्हें दिए गए लेबल विश्व स्तर पर अर्थहीन होते हैं, क्यों कि हर देश की अपनी संस्कृति
और अपना अलग संदर्भ होता है, तथा पश्चिम में विकसित हुए शब्दों या वर्णनों को भारत जैसी संस्कृति
के लिए बिना सोचे समझे लागू करना मूर्खतापूर्ण है। लेकिन मिलेनियल्स में ऐसी अनेकों विशेषताएं हैं,
जो उन्हें अन्य पीढ़ियों से अलग बनाती है। इस पीढ़ी और पिछली पीढ़ी के बीच एक स्पष्ट अंतर देखा
जा सकता है।यह अंतर उनकी प्राथमिकताओं और दुनिया को देखने के उनके नजरिए में है। इस बदलाव
का प्राथमिक चालक मुख्य रूप से डिजिटल तकनीक का आगमन है, जो कि वैश्विक है।भारत में, विशेष
रूप से मोबाइल फोन ने मिलेनियल्स को एक अलग विशेषता दी है। अतीत में किसी भी अन्य पीढ़ी की
तुलना में, मिलेनियल्स में एक व्यक्ति के रूप में खुद की एक गहरी अंतर्निहित भावना होती है।
यह
भावना उस मार्ग या शैली का परिणाम है, जिसकी सहायता से वे दुनिया का अनुभव कर पाते हैं।
मोबाइल फोन, उपयोगकर्ता को न केवल यह अहसास दिलाता है, कि वह एक व्यक्तिगत इकाई है, बल्कि
उसे दुनिया के केंद्र में भी रखता है। स्मार्ट फोन में दी गयी हर सुविधा (स्वाइप, पिंच, स्क्रॉल) और हर
गतिविधि जैसे लाइकिंग, शेयरिंग,जवाब देना, डिसलाइक करना,रिजेक्ट करना, आदि सभी उस नियंत्रण
की पुष्टि करते हैं,जो प्रत्येक व्यक्ति का उसके डिजिटल वातावरण पर होता है।डिजिटल उपकरणों की एक
श्रृंखला का उपयोग करके लोगों के बीच स्वयं या स्व की भावना तेजी से विकसित हो रही है। कोई भी
व्यक्ति सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन सकता है या किसी को फॉलो कर सकता है, और स्वयं की भावना
का विकास करना सीख सकता है। चाहे वह फैशन हो, खाना हो, मेकअप टिप्स हो, करियर और
व्यक्तित्व सलाह हो, अपने साथियों से सीखने की क्षमता और खुद को निखारते रहना इस पीढ़ी की एक
परिभाषित विशेषता है।यह एक ऐसी पहली पीढ़ी है,जिसके सामने कई समान अच्छे विकल्प मौजूद हैं,
तथा उनमें यह क्षमता होती है, कि वे उन सभी अच्छे विकल्पों में से एक का चयन कर
सकें।मिलेनियल्स व्यक्तित्व और स्वतंत्रता की लालसा रखते हैं, लेकिन उनके पास जो भी संसाधन
उपलब्ध होते हैं, वे उनका उपयोग करके खुश हैं। वह परिवार पर भी निर्भर होते हैं।हर तरह की मदद
(वित्तीय, शारीरिक और भावनात्मक) के लिए वे परिवार की सहायता लेते हैं, लकिन उनकी स्वतंत्रता की
इच्छा और परिवार पर निर्भरता के बीच कोई विरोधाभास नहीं देखा जाता है।परिवार के साथ-साथ
मिलेनियल्स के मित्र भी उसकी पहचान या व्यक्तित्व निर्माण की यात्रा में उसके सहयोगी बनते हैं।मित्रों
के माध्यम से उनके अनुभवों में वृद्धि होती है।कुल मिलाकर, यह पीढ़ी फर्क करने की अपनी शक्ति में
विश्वास करती है, और खुद को व्यक्त करने में बहुत अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है।व्यक्तित्व की
एक मजबूत भावना का संयोजन, विकल्पों की एक श्रृंखला तक पहुंच,प्राथमिकताओं का एक अधिक
विविध समूह आदि मिलेनियल्स को पुरानी पीढ़ियों से कुछ अलग बनाता है। मिलेनियल्स कोई भी कार्य
अधिक तीव्रता और जुनून के साथ कर सकता है,जो कि अधिक रूचिपूर्ण होता है।हालांकि,इस पीढ़ी के
सामने मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी चुनौती है, जो कि उनके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ
संघर्ष द्वारा प्रभावित होता है। इस संघर्ष के कारण वह अपना आत्म-विनाश भी कर सकता है।
अमेरिका में मिलेनियल्स को चिन्हित करने के लिए उस आयु समूह की बात की जाती है, जिसने 9/11
के ऐतिहासिक महत्व को समझा हो, जो “पर्यावरण के विशाल ध्रुवीकरण" के साथ-साथ “इराक और
अफगानिस्तान के युद्धों” की छाया में बड़ा हुआ हो, जिसने आर्थिक मंदी के चरम समय में कार्यबल में
प्रवेश किया हो, आदि।
यह
किंतु यदि भारत की बात की जाए, तो इन सभी चीजों के द्वारा मिलेनियल्स को चिन्हित नहीं किया जा
सकता। भारत में मिलेनियल्स वे लोग हैं, जिन्होंने उदारीकरण को देखा। यह वह अवधि है,जब भारत ने
एक बंद अर्थव्यवस्था से एक खुली अर्थव्यवस्था में प्रवेश किया।भारत में मिलेनियल्स पहली गैर-
समाजवादी पीढ़ी हैं, जिन्होंने सबसे पहले उपभोग को प्रोत्साहित किया। 1991 में बड़े पैमाने पर
उदारीकरण हुआ, और 1991 और 1994 के बीच संक्रमण के लिए बुनियादी सुधारों को क्रियान्वित किया
गया। आज इस समूह के 85% से अधिक लोग विवाहित हैं, उनमें से अधिकांश के बच्चे भी हैं, तथा यह
पहला समूह है, जो अपनी संतति सहित उदारीकरण के बाद की विभिन्न सुविधाओं का उपभोग कर रहे
हैं।यही कारण है कि उनकी बड़ी संख्या-जनसंख्या का 30%- ने भारत की खपत वृद्धि को बढ़ावा दिया
है, जिससे आय में भी वृद्धि हुई है, ऐसा पहले की पीढ़ियों में देखने को नहीं मिला था।बेबी बूमर
टेलीविजन विस्फोट के साथ, जनरेशन X कंप्यूटर क्रांति के साथ तथा मिलेनियल्स इंटरनेट क्रांति के साथ
विकसित हुए हैं।भारतीय मिलेनियल्स,जिन्हें उदारीकरण की संतति भी कहा जा सकता है,टेलीविजन और
कंप्यूटर क्रांति के साथ विकसित हुए हैं, तथा उनके बच्चे जिन्हें डिजीजन्स (Digizens) भी कहा जाता है,
वे भी इंटरनेट क्रांति के बीच विकसित हो रहे हैं।इस प्रकार उन्होंने नए तरीकों से चीजों की खपत में
वृद्धि की है।
मिलेनियल्स के बाद की पीढ़ी को Gen Z नाम दिया गया है, जो जल्द ही मिलेनियल्स को पीछे छोड़ते
हुए वैश्विक आबादी का 32% हिस्सा बना लेगी। यह पीढ़ी, स्मार्टफोन, एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग पर
निर्भर है।इस पीढ़ी के लोग 1996 के बाद पैदा हुए हैं, तथा करियर और कार्य के प्रति अपने दृष्टिकोण
के कारण मिलेनियल्स से काफी अलग हैं।वे हर कार्य जल्दी शुरू करना चाहते हैं। वे कार्यों के लिए
मानकों को निर्धारित कर नई चीजों को करने के मौजूदा तरीकों को बदलना चाहते है। यह पीढ़ी नई
चुनौतियों को प्राथमिकता देती है। वे नई चीजों को निर्मित करने और प्रभाव उत्पन्न करने पर भरोसा
करते हैं।उन्हें पारंपरिक तरीके से करियर बनाने की परवाह नहीं होती और वे एक कार्य को चुनकर उसे
बहुत बेहतर तरीके से करने का प्रयास करते हैं।पैसा और उपाधियां उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।वे जो
चाहते हैं उसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं तथा तकनीक-आधारित हायरिंग टूल का उपयोग करने में बेहद
सहज है। ये सभी कारक उन्हें मिलेनियल्स से अलग बनाते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3xTDdui
https://bit.ly/3j8hdrj
https://bit.ly/3gWO2Ve
चित्र संदर्भ
1. मिलेनियल्स को संदर्भित करता एक चित्रण (facebook)
2. प्यू रिसर्च सेंटर के 2018 के सर्वेक्षणों के अनुसार साइलेंट जनरेशन से जेनरेशन Z तक समलैंगिक विवाह के प्रति दृष्टिकोण का एक चित्रण (linkedin)
3. अपने डिजिटल उपकरणों के साथ चलने वाले युवाओं (2015)एक चित्रण (wikimedia)
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