जौनपुर जिला पूर्वी उत्तरप्रदेश के गंगा के उर्वर मैदान पर बसा हुआ है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4038 वर्ग किलोमीटर है। जौनपुर का भुगोल पूर्ण रूप से मैदानी है। यदा-कदा मिट्टी के टीले यहाँ पर दिखाई दे जाते हैं अन्यथा यहाँ की पूरी भूमि समतल है।
जिले को पाँच नदियाँ सींचती हैं- सई, गोमती, बसुही, पीली व वरूणा। इन नदियों में सई व गोमती नदी प्रमुख हैं, गोमती नदी वाराणसी के नखवन में गंगा से मिलती है तथा सई गोमती में त्रिलोचन महादेव जौनपुर में मिलती है। जिले में कुल 4232 तालाब हैं। शारदा सहायक नहर परियोजना के अंतर्गत जौनपुर जिले में नहरों का जाल बिछाया गया है तथा यहाँ पर कई प्राकृतिक नालों की भी उपस्थिती है।
जिले में प्रमुख दो प्रकार की मिट्टी पायी जाती है,
1- बलुई दोमट तथा
2- चिकनी मिट्टी।
यहाँ सलाना 987 से.मी. वर्षा होती है। जिले में आद्रभूमि (दलदली), परती भूमि, खेतिहर भूमि व जलीय भूमि की उपलब्धता है। उपरोक्त दिये मिट्टी के प्रकारों, जल की व्यवस्था, भूमि के प्रकारों में व्याप्त विविधिता जौनपुर जिले को विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के रहने योग्य माहौल का निर्माण करती है।
विश्व की वनस्पतियों को प्रमुख दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. संवहनी वनस्पतियां तथा
2. असंवहनी वनस्पतियां।
संवहनी वनस्पतियाँ वह वनस्पतियां होती हैं जो प्रकाश संश्लेषण करती है तथा इन वनस्पतियों में एंजियोस्पर्म (आवृत्तबीजी) जिम्नोस्पर्म (अनावृत्तबीजी) दोनो आते हैं जैसे- आम, इमली, कनेर, बबूल आदि।
असंवहनी वनस्पतियां वो होती है जो की पानी के अंदर तथा जमीन के उपर कालीन की तरह फैली होती हैं उदाहरणतः काई, शैवाल आदि।
वर्गों के बाद वनस्पतियों को विभिन्न परिवार, नस्ल, श्रेणी व पीढी के अनुसार विभाजित किया गया है। हर एक नस्ल एक प्रकार की वनस्पति का प्रतिनिधित्व करती है। वनस्पतियों का विभाजन उनके उत्पाद पर भी किया जाता है जैसे बीज से उत्पादित होने वाली वनस्पतियां व बीजाड़ु से उत्पादित होने वाली वनस्पतियां। बीजाड़ु से उत्पादित होने वाली वनस्पतियों में शैवाल, काई, पर्णांग आदि हैं।
बीज से उत्पादित होने वाली वनस्पतियों को दो विभाग में विभाजित किया गया है-
1. अनावृत्तबीजी तथा
2. आवृत्तबीजी।
अनावृत्तबीजी- इस प्रकार की वनस्पतियां प्रमुख रूप से गैर पुष्पीय होती हैं तथा ये नग्न बीज का उत्पादन करती हैं। अनावृत्तबीजी वनस्पतियों कि विश्व भर में करीब 700 नस्लें पायी जाती हैं। साईकेड, गिंकगो और शंकुधर वृक्ष, ताड़ आदि अनावृतबीजी प्रकार की वनस्पतियां हैं।
आवृत्तबीजी- यह वनस्पतियां पुष्पीय होती हैं तथा इनके बीज फल या किसी खोल में होते हैं जैसे आम। आवृत्तबीजी वनस्पतियों के विश्वभर में करीब 2 लाख 50 हजार नस्लें पायी जाती हैं। जौनपुर में संवहनी व असंवहनी दोनो प्रकार की वनस्पतियां पायी जाती हैं।
जलीय स्थानों की अधिकता के कारण यहाँ की असंवहनी वनस्पतियों में शैवाल, काई आदि पाई जाती है। संवहनी पौधों के दोनो वर्गों के यहाँ पर वनस्पतियाँ पायी जाती हैं। अनावृत्तबीजी में जौनपुर में ताड़ के व इस परिवार से सम्बन्धित वनस्पतियां नदियों के किनारे पायी जाती हैं।
जौनपुर शहर के सिपाह, तारापुर, कंधीकला, बरईपार, मछलीशहर, शाहगंज आदि स्थान पर अनावृत्तबीजी प्रकार की वनस्पतियां बड़ी संख्या में पायी जाती हैं। आवृत्तबीजी प्रकार से सम्बन्धित वनस्पतियों में अर्ध-जलीय व जलीय वनस्पतियों की करीब 108 नस्लें जो 76 पीढी व 35 परिवार से सम्बन्धित वनस्पतियां यहाँ पायी जाती हैं। इन वनस्पतियों में कुमुदनी, जलकुंभी, कंद आदि आते हैं।
जौनपुर में आम, बबूल, जामुन, नींबु, शीशम, चिलबिल, कैंत, तूत, कटहल, अमरूद आदि आवृत्तबीजी वनस्पतियां बड़ी संख्या में पायी जाती हैं। आवृत्तबीजी प्रकार से ही सम्बन्धित लकड़ी लताओं की 24 नस्लें, जो 12 परिवार से सम्बन्धित हैं, पायी जाती हैं। चित्र में जलीय कुमुदनी व आम को फल, बीज, वृक्ष, व पुष्प के साथ दिखाया गया है।
1. ए सर्वे ऑफ़ इंडीजीनस सेमी-एक्वेटिक एण्ड एक्वेटिक एंजियोस्पर्म बायोडाइवर्सिटी ऑफ़ डिस्ट्रिक्ट जौनपुर, उत्तरप्रदेश: ए.त्रिपाठी, जी.के. द्विवेदी, ओ.पी. सिंह
2. स्टडीज़ ऑन द स्पिसीज डाइवर्सिटी एण्ड फाइटोसोशियोलॉजिकल इंपॉर्टेंस ऑफ़ वुडी क्लाइंबर्स ऑफ़ डिस्ट्रिक्ट जौनपुर, उत्तरप्रदेश: जी.के. द्विवेदी, ए.त्रिपाठी, अरविंद कुमार सिंह
3. एक्सप्लोरेशन ऑफ़ फ्लोरेस्टिक कम्पोज़ीशन एण्ड मैनेजमेंट ऑफ़ गुजर ताल इन डिस्ट्रिक्ट जौनपुर: मयंक सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह
4. सी. डैप जौनपुर
5. नेशनल वेटलैंड उत्तरप्रदेश
6. http://culture.teldap.tw/culture/index.php?option=com_content&view=article&id=800
7. http://www.checklist.org.br/getpdf?SL115-08