कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा लगायी गयी तालाबंदी के कारण लोग अपने घरों के अंदर बंद होने पर मजबूर हुए, तथा टेलीविजन देखने में अधिक समय बिताने लगे।चूंकि, कोरोना प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए विभिन्न प्रतिबंधों के कारण लोगों को घर पर ही रहना पड़ा, इसलिए टेलीविजन दर्शकों की संख्या में महामारी से पूर्व की अपेक्षा 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (Broadcast Audience Research Council - BARC) के अनुसार, तालाबंदी के कारण 2020 में भारत में टेलीविजन के उपयोग में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई, तथा लोगों द्वारा टेलीविजन देखने में बिताए गए मिनटों की कुल संख्या 99900 करोड़ पहुंची। प्रत्येक दर्शक द्वारा बिताया गया औसत समय 2020 में 4 घंटे और 2 मिनट प्रतिदिन हुआ, जबकि 2019 में यह 3 घंटे 42 मिनट था।
BARC के अनुसार, रामायण और महाभारत के पुन: प्रसारण ने बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित किया तथा पिछले सालों के लगभग सभी रिकॉर्ड तोड़े। टीवी दर्शकों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि दिल्ली और मुंबई जैसे कुछ सबसे बड़े महानगरों में दर्ज की गई। इस समय भारत में कुल टीवी दर्शकों की संख्या में 15-21 आयु वर्ग के लोगों का योगदान 16 प्रतिशत रहा। ऐसे शहर जहां कोरोना के मामले सबसे अधिक पाए गए, में समाचार देखने वालों की संख्या में पहले 251 प्रतिशत का तथा बाद में 177 प्रतिशत का इजाफा देखा गया।इसके अलावा मनोरंजक धारावाहिकों और फिल्मों को देखने वालों की संख्या में भी पहले की अपेक्षा अधिक इजाफा हुआ।हालांकि,टेलीविजन दर्शकों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करने के बाद दर्शकों की संख्या में धीमी गिरावट भी अनुभव की गयी, जिसका मुख्य कारण प्रतिबंधों में छूट मिलना था।भारत में, कोई भी टेलीविजन चैनल यह आसानी से ज्ञात कर सकता है, कि उनका प्रकरण या शो कितने लोग देख रहे हैं। इससे सम्बंधित डेटा BARC द्वारा एकत्रित किया जाता है। BARC मूल रूप से डेटा एकत्र करने के लिए ऑडियो वॉटरमार्किंग (Audio Watermarking) तकनीक का इस्तेमाल करता है।इसमें किसी वीडियो के प्रसारण से पहले उसमें ऑडियो वॉटरमार्क को डाला जाता है।यह ऑडियो, मानव नहीं सुन सकता, लेकिन सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के माध्यम से इसकी पहचान की जा सकती है। वॉटरमार्किंग, टेलीविजन सिग्नल के ऑडियो चैनल में डाला गया एक कोड है, जो वितरण प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रसारित होता है। प्राप्त जानकारी को बार-ओ-मीटर (BAR-O-meters) द्वारा दर्ज किया जाता है।यह तकनीक BARC इंडिया की रेटिंग द्वारा उत्पन्न डेटा की विश्वसनीयता को बढ़ाती है।टेलीविजन देखने वाले दर्शकों की संख्या की जानकारी यह बताने में सहायक होती है, कि लोग किसी विशिष्ट समय में क्या देखना पसंद करते हैं या उनकी रूचि किसमें है।
कोरोना महामारी के दौरान एक और महत्वपूर्ण बदलाव जो देखने को मिला, वह है,ओवर द टॉप (Over the top - OTT) प्लेटफॉर्म के उपयोग में अपेक्षाकृत अत्यधिक वृद्धि।मूल वेब श्रृंखलाओं के अलावा, विभिन्न भारतीय भाषाओं में कम से कम 35 फिल्में पहले OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज की गईं। दिसंबर 2020 तक, भारत में लगभग 3550 लाख OTT दर्शक बने।साल-दर-साल इसमें 35% की वृद्धि हुई है।डिज्नी प्लस हॉटस्टार (Disney+ Hotstar), एमाजॉन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video), नेटफ्लिक्स इंडिया (Netflix India), सोनी लिव (Sony Liv), जी5 (Zee5), ऑल्ट बालाजी (Alt Balaji) आदि अब मनोरंजन क्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गए हैं।कोरोना महामारी के कारण थिएटर बंद कर दिए गए, जिसकी वजह से लोगों ने फिल्मों को देखने या अन्य प्रकार के मनोरंजन के लिए OTT प्लेटफॉर्म का सहारा लिया।
यूं तो, पिछले कुछ वर्षों से OTT प्लेटफॉर्म धीरे-धीरे गति कर रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में इसने वह प्रगति देखी, जिसमें शायद 4-5 साल का समय लग सकता था। कोरोना के कारण टेलीविजन चैनलों में नया प्रकरण प्रसारित नहीं हुआ, जिसने लोगों को OTT प्लेटफॉर्म की ओर आकर्षित किया।OTT प्लेटफॉर्म के उपयोग और उपयोगकर्ताओं में वृद्धि के साथ पेड सब्सक्राइबर्स (Paid subscribers) की संख्या में भी भारी वृद्धि आंकी गयी।अपनी विभिन्न विशेषताओं के कारण OTT प्लेटफॉर्म अब पारंपरिक 'डायरेक्ट टू होम' (Direct To Home - DTH) ऑपरेटरों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चूंकि, इसकी सहायता से ढेर सारा प्रकरण एक ही जगह पर उपलब्ध हो जाता है, जिसे कभी भी और कहीं भी देखा जा सकता है,इसलिए लोग OTT प्लेटफॉर्म का उपयोग करना अधिक पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा किफायती मोबाइल डेटा कीमतें भी लोगों को OTT प्लेटफॉर्म की ओर आकर्षित कर रही हैं। वहीं बात करें,DTH की, तो यह एक डिजिटल सेटेलाइट सेवा है, जो सेटेलाइट संचरण के माध्यम से देश में कहीं भी ग्राहकों को प्रत्यक्ष या सीधे तौर पर टेलीविजन देखने की सेवाएं प्रदान करता है। इसमें सिग्नल की प्रकृति डिजिटल होती है तथा इन्हें सीधे सेटेलाइट से प्राप्त किया जाता है। DTH और OTT के प्रकरण और संदर्भ पूरी तरह से अलग हैं। OTT प्लेटफॉर्म बहुत ही व्यक्तिगत होते हैं, जबकि DTH कनेक्शन की प्रकृति अधिक सामाजिक होती है। अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के चलते OTT प्लेटफॉर्म,DTH से आगे निकल चुका है।मोमैजिक (MoMAGIC) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 55% भारतीय OTT प्लेटफॉर्म पसंद करते हैं, जबकि 41% दर्शक अभी भी DTH का उपयोग करना पसंद कर रहे हैं।OTT प्लेटफॉर्म अब भारत में 5000 करोड़ रुपये का उद्योग बन गया है। देश में 2020 की शुरुआत में लगभग 40 OTT सेवाएं मौजूद थीं।हालांकि,साल के अंत तक ऐसे प्लेटफार्मों की कुल संख्या में अधिक वृद्धि नहीं हुई, लेकिन उनका व्यवसाय कई गुना बढ़ गया है।
संदर्भ:
https://bit.ly/2RuR2zD
https://bit.ly/2SczVTm
https://bit.ly/2RnEvhz
https://bit.ly/3otUeYi
https://bit.ly/3ou94hz
https://bit.ly/3yotD3C
https://bit.ly/3uWW5ax
https://bit.ly/3f6LODn
https://bit.ly/3wp0zXV
चित्र संदर्भ
1. टीवी पर ऑनलाइन प्लेटफार्म के आइकॉन का एक चित्रण (Unsplash)
2. रामायण देखते दर्शक का एक चित्रण (youtube)
3. नेटफ्लिक्स बटन के साथ शार्प एक्वोस रिमोट कंट्रोल का एक चित्रण (wikimedia)
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