विंगसूट फ्लाइंग (Wingsuit flying) या विंगसूटिंग एक ऐसा खेल है, जिसमें एक विंगसूट का उपयोग करके हवा के माध्यम से उड़ान भरी जा सकती है। विंगसूट मानव शरीर के सतही आकार में वृद्धि करता है, जिससे मानव एक लंबी उड़ान भर पाने में सक्षम हो पाता है। आधुनिक विंगसूट को पहली बार 1990 के दशक के अंत में विकसित किया गया था, जिसमें मानव के पैरों और बाजुओं के बीच कपड़े की मदद से सतही क्षेत्र बनाया गया था। विंगसूट को कभी-कभी ‘बर्डमैन सूट’ (Birdman suits), ‘स्क्विरल सूट’ (Squirrel suits), और ‘बैट सूट’ (Bat suits) भी कहा जाता है। विंगसूट के द्वारा उड़ान भरने का प्रारंभिक प्रयास 4 फरवरी 1912 को एक 33 वर्षीय दर्जी, फ्रांज रीचेल्ट (Franz Reichelt) द्वारा किया गया था, जो पैराशूट और विंग के संयोजन के अपने आविष्कार का परीक्षण करने के लिए आइफिल टॉवर (Eiffel Tower) से कूदा था। उसका आविष्कार आधुनिक विंगसूट के समान था। रीचेल्ट ने गार्ड को यह कहकर गुमराह किया, कि वह अपना प्रयोग एक डमी के साथ कर रहा है।
आइफिल टॉवर से कूदने से पहले वह काफी देर तक झिझकता रहा, किंतु कूदने के बाद सिर पर चोट लगने के कारण वह मारा गया। विंगसूटर आगे की गति, दिशा और उड़ान को नियंत्रित करने के लिए अपने शरीर का उपयोग करता है। कुशल उड़ान प्राप्त करने और प्रदर्शन को अधिकतम करने हेतु सूट के "एंगल ऑफ अटैक” (Angle of attack - सापेक्षिक हवा और विंग पर संदर्भ रेखा के बीच बना कोण) को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए कई वर्षों तक अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। एक कुशल विंगसूटर 25mph (एक नियमित स्काइडाइवर की तुलना में 80% कम) जितनी अवतरण या डिसेंट (Descent) दर तथा 220mph तक की क्षैतिज गति प्राप्त कर सकता है। विंगसूट कुछ सबसे असाधारण, जीवंत और आनंदमय वीडियो के लिए उत्तरदायी है, जिन्हें हम देख सकते हैं। तो आइए, उनमें से कुछ वीडियो पर एक नज़र डालें, जिनमें भारतीय वायु सेना का विंग सूट जंप भी शामिल है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3okZZHy (भारत की सबसे ऊंची विंगसूट उड़ान)
https://bit.ly/3bwc2g2
https://bit.ly/33LNfk8
https://bit.ly/3olnujL
https://bit.ly/2RX1GiB (भारतीय वायु सेना)