त्योहारों के अवसर पर हमारे घरों तथा बाज़ारों में एक अलग ही रौनक दिखाई पड़ती है। पूरा वातावरण बच्चों की खिलखिलाहट और स्वादिष्ट पकवानों की खुशबु से महक उठता है। पकवानों की यह खुशबू एक लोकप्रिय त्यौहार ईद-उल-फ़ित्र (मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है) के अवसर पर और अधिक गहरी हो जाती है। ईद उल-फितर मुस्लिम समुदाय के सबसे पवित्र महीने रमजान अथवा रामदान के अगले महीने के पहले दिन मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय में यह त्योहार भाईचारे तथा आपसी समझ को मजबूत करने के परिपेक्ष्य में मनाया जाता। है। यह त्यौहार सभी लोगों के द्वारा एकजुटता के साथ मनाया जाता है, और लोग अल्लाह से सुख-शांति और बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं। ईद उल-फितर पहली बार 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद पैगम्बर मुहम्मद ने मनायी थी। रमजान के पूरे महीने में अल्लाह के मोमिन बंदे रोज़े रखते है, और अल्लाह की इबादद करते हैं साथ ही कुरान की तिलावत करके अपनी रूह को पवित्र करते हैं।
ईद उल-फितर का अवसर दान-पुण्य के नज़रिये से बेहद अहम् होता है। इस मोके पर कि इसमें ग़रीबों को “फितरा” देना बेहद ज़रूरी होता है। दरसल फितरा का मतलब किसी ज़रूरतमंद की सहायता करने से होता हैं। अतः इस मोके पर मुस्लिम समुदाय गरीबों को धन तथा ज़रूरतमंद व्यक्ति को भोजन आदि वितरित करते हैं। वे ऐसा मानते हैं की इस पावन अवसर पर किसी भी व्यक्ति को भूखा न सोना पड़े, जिससे गरीब और मजबूर लोग भी सही मायनों में ईद का आनंद ले सकें, नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें। ईद के पाक अवसर पर लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और आपसी संबंध मजबूत करने, प्यार बढ़ाने तथा नफरत को कम करने का संदेश देते हैं। रमजान के पूरे महीने 29 कई बार 30 दिन का उपवास रखने के बाद व्रत समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं, कि “अल्लाह ने उन्हें महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी”। ईद के दौरान लज़ीज व्यंजन बनाये जाते हैं, और बढ़िया नए कपडे भी सिलाये अथवा खरीदे जाते हैं। रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। बड़े पैमाने पर दावतें आयोजित की जाती हैं, और ईद का भरपूर आनंद लिया जाता है। ईद के पावन अवसर पर हर मुसलमान का यह फ़र्ज़ होता है की वह मस्जिदों में इबादद से पूर्व दान या भिक्षा दे। इस मान्यता को ज़कात उल-फ़ितर कहा जाता है। इस दान पुण्य में प्रायः 2 किलो से अधिक वजनी कोई भी चीज शामिल हो सकती है, जैसे खाने की कोई चीज अथवा दो किलोग्राम की किसी वस्तु का मूल्य भी दिया जा सकता है। ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले के चाँद को देखकर होता है। चाँद दिखने के अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत में एक दिन बाद दिखाई देता है, जिस कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय में यह एक बेहद महत्वपूर्ण पर्व होता अनेक देशों में इस अवसर पर सरकारी दफ्तरों तथा स्कूलों आदि की छुट्टी रहती है।
धरती के विभिन्न देशों में अलग-अलग परंपराओं तथा मान्यताओं के साथ मनाया जाता है।
• तुर्की:- ईद अल-फ़ित्र की छुट्टी के दौरान रेतीले तटों पर मछली पकड़ना, तैरना, और अन्य मज़ेदार गतिविधियों का लुफ्त उठाने के लिए कई तुर्क समुद्र तट पर आते हैं। तुर्की में मुसलमानों की आबादी 98% के करीब है, कई परिवार ईद उल फितर की छुट्टी के दौरान रिश्तेदारों से मिलने के लिए विभिन्न प्रांतों में जाते हैं।
• सिंगापुर:- गेलांग सेराई (Geylang Serai) सिंगापुर की सबसे पुरानी मलय बस्तियों में से एक है। यहाँ का बाजार सिंगापुर में रहने वाले मुसलमानों के लिए ईद अल-फ़ित्र समारोह का केंद्र होता है। इस अवसर पर यहाँ की सड़कें शानदार रौशनी से जगमगा उठती हैं। ईद के मोके पर लज़ीज़ व्यंजन यहाँ का मुख्य आकर्षण होते हैं
• आइसलैंड:- में ईद अल-फितर का उत्सव सबसे अनूठा होता है। यहाँ पर गर्मियों में सूरज लगभग आधी रात को अस्त होता है, और आधी रात को केवल दो घंटे अस्त होने के बाद फिर सूर्योदय हो जाता है। यही कारण है कि आइसलैंड में रहने वाले मुसलमानों को रोजाना 22 घंटे तक उपवास करना पड़ता है। आइसलैंडिक मुसलमान सऊदी अरब के सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के आधार पर अपने उपवास को तोड़ने का विकल्प चुन सकते हैं।
• ऑकलैंड:- में ईद अल-फितर जश्न सुबह की प्रार्थना और सफाई के सामान्य अनुष्ठानों के साथ शुरू होता है। इसके बाद लोग यहाँ के प्रसिद्द ईडन पार्क (Eden Park) में त्यौहार का आनंद लेने चल पड़ते हैं। ईडन पार्क में सभी प्रकार के कार्निवल मज़े जैसे यांत्रिक बैल, मानव फ़ॉस्बॉल लिए जा सकते हैं। जबकि ईद का दिन परिवारों और दोस्तों के लिए इस अवसर को एक साथ मनाने के लिए एक सुनहरा अवसर होता है। इस विशेष अवसर के दौरान मुस्लिम समुदाय को अधिक बेहतर समझने और गले लगाने जैसी परम्पराएं निभाई जाती हैं।
विभिन्न पश्चिमी देशों में इस उत्सव की शुरुआत सुबह की सफाई के साथ होती है, जिसे "घुसल" से सम्बोधित किया जाता है। यह आध्यात्मिक अशुद्धियों से छुटकारा पाने के लिए शरीर को धोने की प्रक्रिया है। उसके बाद, नए कपडे पहने जाते हैं और महिलाएं हाथों में मेहंदी भी लगवाती हैं। सउदी में लोग इस पाक अवसर पर अपने घरों को सजाते हैं तथा परिवार और दोस्तों के लिए शानदार भोजन तैयार करते हैं। वे त्योहार के लिए नए कपड़े और जूते भी खरीदते हैं यहाँ घर परिवार के बुजुर्गों द्वारा छोटे बच्चो को उपहार देने का प्रचलन है। भारत में यह अवसर दावत, आनन्द और अल्लाह को शुक्रिया अदा करने का होता है। रमजान के पाक महीने से ही त्यौहार की तैयारी शुरू कर दी जाती है ईद का दिन आने पर बच्चों, बड़ो को तोहफे दिए जाते हैं, बाज़ारों में मेले लगते हैं, भारत में अनिवार्य रूप से सरकारी छुट्टी की जाती है। हमारे जौनपुर शहर के बाजारों में भी इस अवसर पर खासा रौनक दिखाई देती है। मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के बाद विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। यह पर्व मुस्लिम समुदाय के साथ ही साथ अन्य समुदायों में भी भाईचारे के सन्देश के साथ धूम-धाम से मनाया जाता है। परन्तु कोरोना महामारी ने अन्य सभी की तरह इसकी रौनक को भी प्रभावित किया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3xY8ME5
https://bit.ly/33z1atv
https://bit.ly/3heuwWd
https://bit.ly/3bi2B42
https://bit.ly/2RNoelua
चित्र संदर्भ
1. नमाज़ अदा करने वाले बच्चे का एक चित्रण (Flickr)
2. उपहार का एक चित्रण (Unsplash)
3. ईद के भोजन का एक चित्रण (Wikimedia)
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