भारत के छोटे व्यवसायों, विशेष रूप से खुदरा विक्रेताओं ने बड़े ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं की अवैध गतिविधियों जैसे उत्पादों की कीमतें कम करने और अशिष्ट पेशेवर व्यवहार को रोकने के लिए कड़े प्रयास किए हैं,लेकिन वे भी अब ऑनलाइन क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण लोग अपने घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं, तथा ऑनलाइन खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।भले ही पिछले साल कोरोना महामारी को रोकने के लिए जो प्रतिबंध लगाए गए थे, उनमें सरकार द्वारा बाद में थोड़ी ढील भी दी गयी, लेकिन फिर भी लोगों ने ऑनलाइन खरीदारी को अधिक महत्व दिया।चूंकि लोगों को सस्ता डेटा उपलब्ध हो रहा है,तथा करोड़ों लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, इसलिए ई-कॉमर्स (E-commerce) का अत्यधिक विस्तार हो रहा है।भारत में ई-कॉमर्स की अवधारणा की पहली शुरूआत 1990 के दशक के अंत में हुई, तथा इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (Indian Railway Catering and Tourism Corporation - IRCTC) एक सफल ई-कॉमर्स पोर्टल बनाने वाली पहली कंपनी बनी।
1999 में रेडिफ (Rediff) भारत में ई-कॉमर्स की शुरूआत करने वाला पहला शॉपिंग वेब पोर्टल बना। इसके 3-4 महीने बाद ई-कॉमर्स बाजार में इंडिया टाइम्स (India times) का प्रवेश हुआ, हालांकि दोनों ही कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग के लिए लोगों को आकर्षित करने में असफल रहीं। इसके बाद बाजी (Baazee) का प्रवेश हुआ, जहां लोग पुराने उत्पाद खरीद और बेच सकते थे। इसके तुरंत बाद ईबे (eBay) का भी आगमन हुआ। सन् 2002 में IRCTC का आगमन हुआ, जिसके माध्यम से लोग क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके अपनी टिकट ऑनलाइन बुक कर पाने में सक्षम हुए।2005 में मेकमाइट्रिप (MakeMyTrip) की शुरूआत हुई, जिसने यात्रियों को ऑनलाइन फ्लाइट टिकट की सुविधा उपलब्ध करवायी। इसके बाद 2006, 2007, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013 और 2014 के दौरान क्रमशः यात्राडॉटकॉम (Yatra.com), बुकमाइशो (BookMyShow), फ्लिप्कार्ट (Flipkart), मिंत्रा (Myntra), माइडाला (mydala), स्नेपडील (Snapdeal), ग्रुपऑन (Groupon), जैबॉन्ग (Jabong), ऐमज़ॉन (Amazon)जैसे ई-कॉमर्स बाजारों का निर्माण हुआ। कोरोना महामारी अभी भी पूरे विश्व में व्यापक है, जिससे विभिन्न व्यवसायों को अत्यधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अपने उत्पादों को आकर्षक बनाए रखने के लिए व्यवसाय मालिकों को अपने उत्पाद कम दामों पर बेचने पड़ रहे हैं, ताकि उनके ग्राहक बड़ी ऑनलाइन कंपनियों के ग्राहक न बन जाएं। इस नुकसान से बचने के लिए लोगों को अपने व्यवसायों को ऑनलाइन रूप से संचालित करने की अत्यधिक आवश्यकता है, ताकि ग्राहक खुद को सुरक्षित महसूस कर उनके ऑनलाइन स्टोर से सामान खरीद सकें।ई-कॉमर्स व्यवसाय शुरू करना एक कठिन काम है, और इसके लिए आपको समय-समय पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं। सबसे पहले आपको उस उत्पाद की खोज करनी होगी, जिसे आप सीधे अपने ग्राहक को बेचना चाहते हैं। इसके बाद आपको अपने इस विचार का मूल्यांकन करना होगा। मूल्यांकन के बाद उस उत्पाद को प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, जिसे आप बेचना चाहते हैं। लेकिन इससे पूर्व आपको यह पता लगाना होगा, कि आप अपने उत्पाद को कहाँ और कैसे प्राप्त कर सकते हैं। उत्पाद को प्राप्त कर लेने तथा उसकी क्षमता का मूल्यांकन करने के बाद आपको अपनी बिजनेस योजना तैयार करनी होगी। बिजनेस योजना तैयार करते समय या उससे पूर्व आपको अपने प्रतिस्पर्धी पर भी शोध करना होगा, ताकि आप अपने बिजनेस को अपने प्रतिस्पर्धी के बिजनेस से अलग और अच्छा बना सकें। बिजनेस योजना आपके लिए एक तरह से रोडमैप की तरह काम करेगी, ताकि आप अपने विचारों और योजनाओं को एक साथ ला सकें। बिजनेस योजना आपको यह तय करने में मदद करेगी कि, आप किसे प्राथमिकता दें और अपने नए ग्राहक कैसे बनाएं। इसके बाद अगला महत्वपूर्ण चरण व्यवसाय को स्थापित करना है, जिसके लिए सबसे पहले आपको अपने व्यवसाय का नामकरण करना होगा।
सामान को ऑनलाइन बेचने हेतु वास्तविक उत्पाद खोजने के अलावा एक और चुनौतीपूर्णनिर्णय व्यवसाय या ब्रांड के लिए एक अच्छे नाम का चयन करना है। इसके बाद आपको एक प्रतीक चिन्ह या लोगो भी बनाना होगा।इन सब के बाद आपको खोज इंजन अनुकूलन (Search engine optimization) की मूल बातें समझनी होंगी, ताकि आप गूगल (Google) और अन्य खोज इंजनों के लिए अपनी साइट तथा पेज को सही तरीके से निर्मित कर सकें। खोज इंजन की बेहतर समझ के बाद आपको अपना स्टोर तैयार करना होगा। ग्राहकों तक पहुंचने के लिए आपको एक सेल्स चैनल चुनना होगा, जहां ग्राहक पहले से ही खरीदारी कर रहे होते हैं। अपने नए व्यवसाय को लॉन्च करने के बाद आपको मार्केटिंग के लिए अनेकों रणनीतियां सीखनी होंगी,ताकि अधिकाधिक लोग आपके ऑनलाइन स्टोर में पहुंच सकें तथा आपके उत्पादों की अधिकाधिक बिक्री सम्भव हो। ई-कॉमर्स बाज़ार में अपने उत्पादों को सूचीबद्ध करने के लिए सबसे पहले आपको एक विक्रेता के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होता है, जहां आपको अपने कुछ दस्तावेज भी सबमिट करने होंगे। इसके बाद पोर्टल पर अपना सेलर अकाउंट सेट करना होता है, जहां कुछ अन्य जानकारियां भी आपको भरनी होती हैं। सेलर से सम्बंधित सूचनाओं को भरने के बाद उत्पाद की कैटेगरी सेट करनी होती है। कुछ अन्य सूचनाएं जोड़ने के बाद उत्पादों को सूचीबद्ध करने का विकल्प प्राप्त होता है, जहां उत्पाद सूचीबद्ध करने होते हैं, तथा उनका मूल्य निर्धारित करना होता हैई-कॉमर्स से जुड़ना जहां अत्यधिक सरल है, वही इस क्षेत्र में टिके रहना एक कठिन कार्य भी है, क्योंकि ई-कॉमर्स को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, जिनमें बेचने के लिए सही उत्पाद ढूंढना, ग्राहकों को आकर्षित करना, ऑनलाइन स्टोर में ग्राहकों की भीड़ को बनाए रखना, अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखना, सही तकनीक और साझेदार चुनना आदि शामिल हैं। हालांकि, कुछ चीजों पर ध्यान देकर ऑनलाइन व्यापार को सुरक्षित बनाए रखा जा सकता है। इसके लिए ग्राहकों के उत्पाद अनुभव पर जोर देना अत्यंत आवश्यक है। आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाए रखने के लिए उसका पुन: परीक्षण या पुनर्मूल्यांकन करते रहना चाहिए। आपके उत्पादों की गुणवत्ता निरंतर अच्छी बनी रहेगी, इसकी गारंटी देने के लिए आपको अपनी आपूर्ति श्रृंखला और ग्राहक अनुभव पर पूरा ध्यान देना होगा। अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए आपको उसकी गति और स्तर को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। महामारी के इस दौर में यदि आप अपने व्यवसाय पर तीव्र गति से काम करते हैं, तो आप अपने व्यवसाय पर अच्छे अनुप्रयोग कर पाएंगे, जिससे आपके व्यवसाय की निरंतरता बनी रहेगी।
संदर्भ:चित्र संदर्भ:
1.नक़्शे तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (unsplash)
2.ऑफिस कर्मचारियों का एक चित्रण(unsplash)
3.ट्राली का एक चित्रण (unsplash)
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