हमारा शरीर एक जटिल संरचना है और हम प्रतिदिन जो भी भोजन ग्रहण करते हैं उसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। दीर्घकालिक स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक है कि हम अपने आहार में संतुलित और पौष्टिक भोजन को सम्मलित करें। विभिन्न प्रकार के फल तथा सब्जियों के उत्तम स्वाद और उनमें उपस्थित पौष्टिक तत्वों से तो हम सभी परिचित हैं। एक सब्जी जो भारतीय रसोइयों में अक्सर देखी जा सकती है वह है ड्रमस्टिक (Drumstick)जिसे सेंजन, मुंगा, मुरुंगई या सहजन आदि नामों से भी जाना जाता है।इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है। हममें से कई लोगों ने इसे खाया तो अवश्य होगा परंतु इसमें छुपे गुणों से कम ही लोग अवगत होंगे। साधारण सी दिखने वाली सहजन की सब्जी और इसके पौधे का प्रत्येक भाग हमारे लिए अत्यंत लाभदायक होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा वर्ष 2007, 2011 और 2012 में इस वृक्ष को "वर्ष का वानस्पतिक" (Botanical of the Year) की मान्यता दी गई थी और यह एक चमत्कारिक वृक्ष के रूप में जाना गया। इसकी पत्तियों, फलों और फूलों में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व विद्यमान होते हैं। यह भारत सहित फिलीपीन्स (Philippines), मैक्सिको (Mexico), श्रीलंका (Sri Lanka), मलेशिया (Malaysia) जैसे कई देशों में बड़ी मात्रा में उपयोग में लाया जाता है।दक्षिण भारत में यह वृक्ष साल भर फली देता है जबकि उत्तर भारत में यह मात्र साल में एक बार ही फली देता है।
इसका इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है। अफ्रीका (Africa) के कई सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भुखमरी और कुपोषण से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए इस पौधे के पत्तों को सुखाकर इसका रस पिलाया जाता है। ड्रमस्टिक से बने कैप्सूल (Capsule) और पाउडर (Powder) उत्पाद कई ऑनलाइन स्टोर (Online Store) में उपलब्ध हैं। ड्रमस्टिक को कई प्रकार से अपने भोजन का हिस्सा बनाया जा सकता है।सांभर में यह एक अहम भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, हल्दी, मिर्च, टमाटर, प्याज, लहसुन, काली मिर्च और यहां तक कि दूध के साथ भी इसका स्वाद लाजवाब होता है।ड्रमस्टिक कटलेट (Drumstick Cutlet) तो बच्चों के पसंदीदा भोजनों में से एक है जो स्वाद और पोषण दोनों में श्रेष्ठ होता है।इसके पत्तों को रोटियों में आटा गूंधते समय भी मिलाया जा सकता है।मुरुंगई का अचार, चटनी भी स्वाद और पोषण से भरपूर होती है। इसके सफेद फूलों को थाई (Thai) व्यंजनों में काफी बड़ी मात्रा में शामिल किया जाता है। यही नहीं विटामिन सी से भरपूर इसके बीजों को भी नाश्ते में खाया जा सकता है। इसके पत्तों को सुखाकर और कूटकर सूप और सॉस बनाया जाता है। इसके पत्ते पशुओं के लिए भी पौष्टिक चारे का कार्य करते हैं।इन पत्तों के रस को पानी में मिलाकर एक घोल तैयार किया जाता है।इस घोल का छिड़काव फसलों पर करने से उपज अच्छी होती है और कीट इत्यादि भी फसल से दूर रहते हैं।
ड्रमस्टिक को मोरिंगा ओलीफ़ेरा (Moringa Oleifera) की एक तेजी से विकसित होने वाली प्रजाति के रूप में भी जाना जाता है।जल शोधन और दवा बनाने के उद्देश्य से इसकी बड़ी मात्रा में खेती की जाती है। मोरिंगा का पेड़ मुख्य रूप से अर्ध-शुष्क, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पनपता है। वैसे तो यह किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगता है परंतु रेतीली या दोमट मिट्टी और थोड़ा अम्लीय जिसका पीएच (pH) 7.0 हो इसके लिए उत्तम मानी जाती है। यह सूर्य की गर्मी, कम जल,कम देख-भाल और कम सिंचाई तकनीकों के इस्तेमाल से आसानी से उगाई जा सकती है।ड्रमस्टिक डाइट्री फाइबर (Dietary Fiber), पोटेशियम (Potassium), मैग्नीशियम (Magnesium) और मैंगनीज (Manganese) का एक अच्छा स्रोत है। इसकी पत्तियाँ विटामिन बी (Vitamins B), विटामिन सी (Vitamins C), प्रोविटामिन ए का बीटा-कैरोटीन (Provitamin A as Beta-Carotene), विटामिन के (Vitamin K) और प्रोटीन (Protein) का भंडार हैं। साथ ही इनमें कैल्शियम (Calcium) के कुछ अंश कैल्शियम ऑक्सीलेट (Calcium Oxalate) का स्तर 430 मिलीग्राम / 100 ग्राम से 1050 मिलीग्राम / 100 ग्राम तक पाया जाता है।सैकड़ों गुणों से भरपूर सहजन का पौधा और इसके अलग-अलग भाग 300 से भी अधिक रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं।इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स (Multivitamins), 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट (Anti-Oxidants) गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड (Amino Acid) पाए जाते हैं। दूध की तुलना में सहजन 4 गुना अधिक कैल्शियम और दुगना प्रोटीन से भरपूर होता है। यह रक्तशर्करा को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।
यदि सहजन के पौधे के विभिन्न भागों के औषधीय गुणों की बात करें तो इसकी फली वात व उदरशूल, उच्च-रक्तचाप के इलाज में उपयोगी साबित होती है।इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से नेत्ररोग, शियाटिका,गठिया, पक्षाघात, वायु विकार आदि रोगों में लाभ मिलता है।सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी और जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी कटकर शरीर से बाहर निकल जाती है। इसकी जड़ दमा, जलोधर, प्लीहा आदि रोगों के इलाज में भी उपयोगी साबित होती है। इसकी छाल का उपयोग शियाटिका, गठिया, दाँत के दर्दको रोकने के लिए किया जाता है। इसकी छाल में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ (Cough) से राहत मिलती है। पत्तियों को सरसों के तेल में अच्छी तरह पकाकर मोच वाले स्थान पर लगाने से बहुत आराम मिलता है।इसकी पत्तियों का काढ़ा मोटापा, मिर्ग़ी, सर्दी-जुकाम को कम करने में सहायक होता है। सहजन का जूस गर्भवती के लिए भी लाभदायक होता है।इसके अलावा, यह त्वचा-संबंधी समस्याओं में भी लाभ प्रदान करता है।इस प्रकार जड़ से लेकर फल के बीज तक यह वृक्ष हर प्रकार से हमारे लिए प्रकृति द्वारा दिया गया एक वरदान है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3eX3tvW
https://bit.ly/3xT2XaR
https://bit.ly/3urjY9P
https://bit.ly/3ercluB
https://bit.ly/3bbrT3I
चित्र संदर्भ
1.सहजन के वृक्ष का एक चित्रण (Wikimedia)
2.मोरिंगा ओलिफेरा की फली का एक चित्रण (Wikimedia)
3.सहजन फली का एक चित्रण (Youtube)
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