कोविड (Covid) महामारी की दूसरी लहर वर्तमान में घातक और तेज गति से पूरे भारत में घूम रही है। पहले फरवरी के मध्य तक हर दिन सिर्फ़ 11 हज़ार मामले आ रहे थे, हर दिन मरने वालों का साप्ताहिक औसत भी घट कर 100 के नीचे पहुँच गया था। इस तरह पिछले साल के अंत से ही कोरोना वायरस को ख़त्म करने का जश्न मनाना शुरू हो गया था, राजनेताओं से लेकर नीति-निर्माताओं और मीडिया के एक हिस्से ने सचमुच यह मान लिया था कि भारत अब इस मुश्किल से निकल चुका है। लेकिन फ़रवरी के आख़िर में चुनाव आयोग ने पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया। इन राज्यों की 824 सीटों पर खड़े उम्मीदवारों को चुनने वाले वोटरों की संख्या 18.60 करोड़ है। 27 मार्च से शुरू हुई वोटिंग को एक महीने से भी अधिक समय तक चलना था, पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव का एलान किया गया, इसके बाद चुनाव प्रचार पूरे ज़ोर-शोर से शुरू हो गए। इन चुनाव क्षेत्रों में न तो कोई सेफ़्टी प्रोटोकॉल (safety protocols) अपनाया जा रहा था और न सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन हो रहा था। हज़ारों लोग नेताओं की चुनावी रैलियों में इकट्ठा हो रहे थे। फिर इसके एक महीने के अंदर मुसीबतों का सिलसिला शुरू हो गया, भारत एक बार फिर कोरोना संक्रमण की गिरफ़्त में आ गया। कोरोना संक्रमण की यह दूसरी लहर बहुत ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो रही है और इसने भारत के शहरों को बुरी तरह से जकड़ लिया है। कोरोना की इस दूसरी लहर में मध्य अप्रैल तक हर दिन संक्रमण के लगभग एक लाख मामले सामने आने लगे। रविवार तक भारत में कोरोना संक्रमण के 2,70,000 केस दर्ज किए गए थे और 1600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी,यह एक दिन में संक्रमण और मौतों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था। लांसेट कोविड-19 आयोग (Lancet Covid-19 Commission) की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तूफ़ानी रफ़्तार से बढ़ रहा यह संक्रमण काबू नहीं हुआ, तो मध्य जून तक हर दिन मौतों का आँकड़ा 2300 से भी पार कर सकता है।
इसके बाद कुंभ स्नान के लिए भी नदियों के किनारे मेला लग गया, इससे भी कोरोना में इजाफा हुआ। वर्तमान में अस्पतालों के बाहर मृतकों के रोते-बिलखते परिवार दिखाई पड़ रहे हैं, बेहाल मरीज़ों से लदे एंबुलेंसों की क़तारें हैं, मुर्दाघरों में लाशों के लिए जगह नहीं है, कई बार एक बेड पर दो मरीज़ों को लिटाने की ज़रूरत पड़ रही है।ज़्यादातर महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की अभी और लहरें आ सकती हैं, क्योंकि भारत अभी हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) हासिल करने से काफ़ी दूर है, और यहाँ टीकाकरण की दर भी कम है।प्रोफ़ोसर रेड्डी कहते हैं, हम ज़िंदगी को चलने से तो नहीं रोक सकते, लेकिन अगर हम भीड़ भरे शहरों में एक दूसरे से पर्याप्त दूरी न रख पाएँ, तो कम से कम यह तो पक्का कर लें कि हर कोई सही मास्क (Mask) पहने, साथ ही मास्क को सही ढंग से पहनना भी ज़रूरी है। मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को धीमा करने में सहायता कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO))भी स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ-साथ हर ऐसे व्यक्ति के लिए चिकित्सा मास्क या एन 95 (N95) की सिफारिश करता है, जिसके पास कोरोना मरीज हो या जो किसी ऐसे व्यक्ति की देखभाल कर रहा हो, जिसे कोरोना हो। डब्ल्यूएचओ उन व्यक्तियों के लिए मेडिकल मास्क की भी सिफारिश करता है जो गंभीर रूप से बीमार होने का अधिक जोखिम रखते हैं। कोविड के फिर से आगमन के साथ फेस मास्क (face mask) पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित हुआ है।
जैसा की हमें ज्ञात है कि श्वसन संक्रमण (Respiratory infections) सूक्ष्मजीवी-युक्त बूंदों (> 5-10 μm) (microorganism-containing droplets) और एयरोसोल्स (aerosols) (≤5 μm) के संचरण के माध्यम से होते हैं जो सांस लेने, बोलने, खांसी और छींकने के दौरान संक्रमित व्यक्तियों से बाहर निकलते हैं। परंतु जिसका जोखिम फेस मास्क पहनकर कम किया जा सकता है। कुछ अध्ययनों में जांच की कि आसपास की हवा में मास्क पहनने वालों के द्वारा माइक्रोन-स्केलएयरोसोल कणों (micron-scale aerosol particles) की उत्सर्जन मात्रा बोलने और खांसने के दौरान औसतन 90% तक कम हो जाती हैं। अर्थात यदि कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता है और उसने मास्क लगाया है तो 90% एयरोसोल कणों को बाहर फैलने से रोका जा सकता है, और अन्य लोगों तक महामारी पहुंचने से बचाया जा सकता है। कोरोना जैसे संक्रामक श्वसन रोगों के प्रसारण में विभिन्न श्वसन गतिविधियों (जैसे, साँस लेना, बात करना, खाँसना और छींकना) के दौरान सूक्ष्मजीव-युक्त एरोसोल और बूंदों का उत्सर्जन होता है। इससे अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में इन उत्सर्जित बूंदों और एरोसोल में वायरस का संचरण सतहों के संपर्क के माध्यम से हो सकता है, इसलिये मास्क पहनना महत्वपूर्ण हो जाता है, ताकि इसके प्रसारण को रोका जा सके।बहुत से अनुसंधान ने संकेत दिया है कि मास्क पहनने वाले व्यक्तियों को महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, हालांकि इस तरह के लाभों को प्राप्त करने के लिए उचित मास्क की फिटिंग महत्वपूर्ण है, ध्यान रखे कि मास्क ऐसे पहने की मुंह और नाक पूरी तरह ढकें और कोशिश करें कि आपके मास्क और मुंह के बीच कोई गैप ना रहे। यह संभावित रूप से संक्रमित व्यक्तियों द्वारा बाहरी संचरण को कम कर सकते हैं, दूसरों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए श्वसन गतिविधियों से एरोसोल और बूंदों के बाहरी संचरण को कम करने में विभिन्न प्रकार के मास्क की प्रभावकारिता को समझना महत्वपूर्ण है।
रोग संचरण को कम करने में मास्क की प्रभावशीलता का आकलन करने वाले वैज्ञानिक और नैदानिक अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि मास्क पहनने से खांसी से उत्पन्न कणों के प्रसार को सीमित किया जा सकता है।सभी श्वसन रोगों के संचरण को कम करने में मदद करने के लिए मास्क एक उपयोगी हथिहार साबित हो सकते हैं। हाल ही के महीनों में डबल मास्क (Double mask) का चलन भी सुर्खियों में हैं। अधिकांश लोगों को लगता है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए डबल मास्क एक बेहतर विकल्प हो सकता है। शीर्ष अमेरिकी संक्रामक-रोग विशेषज्ञ और मुख्य चिकित्सा सलाहकार ने डबल मास्किंग (double masking) का समर्थन किया क्योंकि लेयरिंग मास्क (layering masks) आपके चेहरे को ढंकने के साथ-साथ छिद्र को कम कर देता है और संक्रामक श्वसन बूंदों से बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। कुछ डॉक्टोरों का यह भी कहना है कि एक परत वाले कपड़े के मास्क में दो मास्क पहनना मददगार हो सकता है। कुछ लोगों को लगता है कि दो मास्क पहनने से संक्रमण नहीं होगा और यह अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है, डॉ. सुरेश कुमार, निदेशक (Director), लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल, दिल्ली ने बताया कि ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो कहता है कि डबल मास्किंग अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा। दो मास्क पहनना महत्वपूर्ण नहीं है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, एन95 मास्क का उपयोग एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें मुंह के चारों ओर एक बेहतर सील होती है।जर्मनी और फ्रांस (Germany and France) जैसे देशों में, नागरिकों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हुए और सुपरमार्केट में जाते समय या किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में मेडिकल-ग्रेड (medical-grade) या सर्जिकल मास्क (surgical mask) पहनना आवश्यक है।वर्तमान में कई तरह के मास्क उपलब्ध हैं लेकिन इस क्रम में एन95 मास्क उपयोगी बताए जा रहे हैं। अब तो आप समझ ही गये होंगे की मास्क चाहे जो भी हो, उसे पहनना अति आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से ही महामारी को फैलने से रोका जा सकता है।
संदर्भ:
https://mayocl.in/2QJUiq4
https://go.nature.com/32EIacw
https://bit.ly/3nildWk
https://bbc.in/3sHFDZG
चित्र सन्दर्भ:
1.COVID-19 परीक्षण स्थल पर अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ एक चेहरा ढाल पहने हुए एक चिकित्साकर्मी(wikimedia)
2.फ्लो विज़ुअलाइज़ेशन के साथ और बिना साँस छोड़ना वाल्व के साथ फेस मास्क प्रभावकारिता की तुलना करते हुए, इस चिंता को दर्शाते हुए कि साँस छोड़ना वाल्व सांस की बूंदों को निकटता में दूसरों तक पहुंचने की अनुमति देता है और इसलिए स्रोत नियंत्रण रणनीतियों में उचित नहीं होगा।(wikimedia)