वर्त्तमान में संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में सबसे अधिक प्रवासी भारत से है । 2019 में पूरी दुनिया में भारतीय प्रवासियों की संख्या 17.5 मिलियन रिकॉर्ड की गई। मेक्सिको विश्व का दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी (11.8 मिलियन) देश है। चीन (10.7 मिलियन), रूस (10.5 मिलियन), सीरिया (8.2 मिलियन), बांग्लादेश (7.8 मिलियन), पाकिस्तान (6.3 मिलियन), यूक्रेन (5.9 मिलियन) , फिलीपींस (5.4 मिलियन) और अफगानिस्तान (5.1 मिलियन) और इस तरह से प्रवासियों की एक लंबी श्रृंखला है।
भारत सरकार इस डायसपोरा (Diaspora) समाज को दो तकनीकी श्रेणियों में विभाजित करती है।1.(एनआरआई) NRI - अनिवासी भारतीय या प्रवासी भारतीय और 2. भारतीय मूल का व्यक्ति: (पीआईओ) PIO - प्रवासी भारतीय जो भारतवंशी तो है पर भारत के बाहर पैदा हुआ हो, और स्थाई रूप से बाहर ही रहता हो। तथा जिस भी देश में वह रहता हो उस देश की नागरिकता उसके पास हो I कम से कम चार सालों से अधिक किसी दूसरे देश में रहता हो।
दूसरी और, भारत अनेक कारणों से बड़ी संख्या में अंतराष्ट्रीय प्रवासियों की पसंद रहा है। 2019 में यहाँ 5.1 मिलियन अंतरराष्ट्रीय प्रवासी पहुंचे, तथा भारत की कुल जनसंख्या में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की भागीदारी 0.4 प्रतिशत (2010 से 2019 के बीच) रही हैं। 2019 में, भौगोलिक तौर पर यूरोप ने (82 मिलियन) अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की मेजबानी की, जो की अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। इसके बाद उत्तरी अमेरिका (59 मिलियन) और उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया (49 मिलियन) का स्थान रहा।
देशों के आधार पर, सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों में से लगभग आधे सिर्फ 10 देशों में रहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या (51 मिलियन) की मेजबानी की है, जो दुनिया के कुल के लगभग 19 प्रतिशत के बराबर है। जर्मनी और सऊदी अरब प्रवासियों की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी संख्या (13 मिलियन प्रत्येक) की मेजबानी करते है। उसके बाद रूस (12 मिलियन), यूनाइटेड किंगडम (10 मिलियन), संयुक्त अरब अमीरात (9 मिलियन), फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ( लगभग 8 मिलियन) के साथ सूची में सम्मिलित हैं।
भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भागीदारी को चिह्नित करने के लिए हर साल 9 जनवरी के दिन भारतीय प्रवासी दिवस का आयोजन किया जाता है। प्रवासी दिवस मनाने के लिए 9 जनवरी के दिन को इसलिए चुना गया, क्यों की 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के पश्चात भारत लौटे थे। 2015 तक यह प्रत्येक 2 सालों में एक बार मनाया जाता था। और देश-विदेश में विभिन्न विषयों के आधार पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों को एकजुट रखने तथा उनके विचार आपस में साझा करने जैसे कार्यक्रम किये जाते हैं।
दुनिया के किसी भी स्थान पर भारतीय जाकर बसे और वहाँ उन्होंने संस्कृति, विचारधारा, रहने के तौर तरीकों को सहर्ष स्वीकार किया। साथ ही प्रवासी भारतीय उन देशों के आर्थिक और राजनीतिक फैसलों में बेहद अहम भागीदारी निभाते हैं। वे मजदूर, व्यापारी, शिक्षक अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर,प्रशासन आदि के तौर पर दुनियाभर में स्वीकार किए गए। प्रवासी भारतीयों की सफलता का श्रेय उनकी दूरदृष्टि, सांस्कृतिक मूल्यों और शैक्षणिक योग्यता को दिया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर सूचना और तकनीकी क्रांति में उनका एक बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साथ ही कई देशों में भारतीय बड़े-बड़े राजनितिक पदों पर अपनी सेवा दे रहे हैं। अनेक देशों में प्रवासी भारतीय उस देश के मूल नागरिकों से अधिक वेतन पा रहे हैं। और अपनी काबिलियत के दम पर सफलता के नए आयाम निर्मित कर रहे हैं।
महामारी ने अनेक प्रकार से दुनिया को प्रभावित किया है। जहाँ एक ओर , राष्ट्रीय लॉकडाउन और हवाई जहाज और लंबी दूरी की ट्रेनों पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता लगभग ठहर सी गयी है। वहीं दूसरी ओर, महामारी के दौरान मजदूर पलायन ने भारत जैसे देशों में हजारों दिहाड़ी मजदूरों के सामने एक विकट समस्या उत्पन्न कर दी है। कोरोना महामारी ने अंतरराष्ट्रीय भारतीय समुदाय के सामने भी विडम्बना की स्थिति उत्पन्न कर दी है। दुनिया भर में लाखों भारतीय महामारी के प्रकोप के कारण अपनी नौकरी से हाथ धो चुके हैं। कितने ही अंतराष्ट्रीय प्रवासी भारतीय अपने घरों को वापस लौटने के लिए मजबूर हैं, और कई अंतराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों के बाद वापस लौट भी नहीं सकते। उनके सामने अपने आधारभूत आवश्य्कताओं की पूर्ती करने जैसे समस्याएं खड़ी हो गयी हैं।
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