अंतरिक्ष पर अपने कदम रखना हर देश का सपना होता है, तथा यह सपना भारत का भी है। इस सपने को पूरा करने के लिए भारत निरंतर प्रयासरत है और इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो - ISRO) द्वारा वर्ष 2007 में इंडियन ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम (Indian Human Spaceflight Programme) शुरू किया गया, ताकि उस तकनीक को विकसित किया जा सके, जिसकी सहायता से मानव युक्त अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में लॉन्च (Launch) किया जा सके। इसके कुछ समय बाद ही दो सदस्यीय चालक दल को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने के लिए एक पूर्ण स्वायत्त कक्षीय वाहन का विकास शुरू किया गया। सरकार ने उस समय इस परियोजना से सम्बंधित पहलों या कार्यों के लिए 95 करोड़ रुपये का आवंटन किया। यह अनुमान लगाया गया कि, मानव युक्त अंतरिक्ष यान के लिए लगभग 12,400 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, तथा इसके विकास में कम से कम सात साल लगेंगे। योजना आयोग ने अनुमान लगाया कि, मानव युक्त अंतरिक्ष यान के प्रारंभिक कार्य के लिए 2007-2012 के दौरान 5,000 करोड़ रुपये का बजट (budget) आवश्यक था। यदि यह मिशन (mission) समय पर सफल हो जाता है, तो सोवियत संघ / रूस (Russia), संयुक्त राज्य अमेरिका (America) और चीन (China) के बाद भारत स्वतंत्र मानव अंतरिक्ष यान का संचालन करने वाला चौथा देश बन जायेगा। अपने सपने को साकार रूप देने के लिए भारत ने जीएसएलवी मार्क III रॉकेट (GSLV Mark III rocket) पर गगनयान नामक अंतरिक्ष यान के जरिए उड़ान भरने की योजना बनायी। मानव अंतरिक्षयान गगनयान को दूसरे मानव रहित मिशन, जिसे वर्ष 2022-23 में लॉन्च (launch) किया जाना है, के बाद लॉन्च किया जाएगा। इसरो ने इस साल दिसंबर में मानव रहित परीक्षण उड़ान का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस मिशन में मानव-संशोधित जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III रॉकेट (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III rocket) को शामिल किया जायेगा। गगनयान की औपचारिक घोषणा अगस्त 2018 में की गयी थी, जिसके बाद दिसंबर 2020 में पहले मानव रहित मिशन को लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी।
किंतु कोरोना महामारी के कारण इन तिथियों को आगे बढ़ाया गया। पहले मानवयुक्त मिशन में एक बैकअप (Backup) के साथ तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। कार्यक्रम के लिए चुने गए चार पायलटों (Pilots) को रूस में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत के अंतरिक्ष विभाग ने हाल ही में "अंतरिक्ष नीति में मानव” (Humans in Space Policy) नामक मसौदा जारी किया है। दस्तावेज़ में कहा गया है, कि विकास, नवाचार तथा राष्ट्रीय हितों के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक साधन के रूप में यह नीति, अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति का लक्ष्य रखती है। चूंकि, मानव अंतरिक्ष यान की प्रकृति बहु-विषयक और सहयोगपूर्ण है, इसलिए इसके लिए एक ऐसी रूपरेखा और नीति का होना आवश्यक है, जो न केवल साझेदारी को बढ़ावा दे, बल्कि मौजूदा नीतियों, कानूनों और समझौतों से सम्बंधित विषयों के विस्तार और उनकी स्वीकृति में सहायता रहें। वास्तविक लाभ प्रदान करने के लिए मानव-स्पेसफ्लाइट (Spaceflight) कार्यक्रम को लंबे समय तक बनाए रखने की आवश्यकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि सहयोग, बुनियादी ढांचे का विकास, सुविधाओं का आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी विकास और मानव संसाधन विकास के द्वारा विश्वसनीय, मजबूत, सुरक्षित और किफायती साधनों के माध्यम से पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव की निरंतर उपस्थिति को सक्षम बनाया जाये। मानव-स्पेसफ्लाइट मिशन को सफल बनाने के प्रयास में भारतीय सरकार द्वारा बजट (budget) 2021-22 में अंतरिक्ष के लिए 13,949 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल के बजट में यह राशि लगभग 13,479 करोड़ रुपये थी। हालाँकि, विश्व में फैली कोरोना महामारी के कारण अंतरिक्ष विभाग इस राशि को खर्च नहीं कर पाया। 2020-21 के लिए निर्धारित 13,479 करोड़ रुपये की राशि को 9,500 करोड़ रुपये कर दिया गया। विभिन्न देशों में मानव युक्त मिशन को सफल बनाने के लिए मानव स्पेसफ्लाइट में नये और स्थायी सार्वजनिक निवेश किये जा रहें हैं। इस बात का जहां विरोध किया जाता रहा है, वहीं समर्थन भी किया जाता है। इस सम्बंध में यह तर्क दिया जाता है, कि चालकों और जांचकर्ताओं के रूप में अंतरिक्ष में मनुष्य की उपस्थिति अंतरिक्ष गतिविधियों में महत्वपूर्ण है। मानवयुक्त अन्वेषण, बाह्य अंतरिक्ष पर वास्तविक विजय का प्रतिनिधित्व करेगा तथा मानव रहित अन्वेषण, मानव युक्त अन्वेषण का उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता है। अंतरिक्ष की स्थितियों का उपयुक्त अन्वेषण केवल मानव द्वारा ही सम्भव है, मशीनों द्वारा नहीं। इस प्रकार, मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का प्राथमिक औचित्य अन्वेषण ही है।
अन्वेषण का एक नैतिक आयाम भी है, क्यों कि यह मानव जीवन की प्रकृति और उसके अर्थ से भी सम्बंधित है। अंतरिक्ष में अद्वितीय स्थितियों का दोहन करके वैज्ञानिकों ने भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में कई मूलभूत प्रक्रियाओं की जांच करना शुरू कर दिया है, जिनकी जानकारी आमतौर पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उपलब्ध नहीं हो पाती है। जो भी प्रयोग अंतरिक्ष शटल (Shuttle) और अंतरिक्ष स्टेशनों (Stations) पर हुए हैं, उन्होंने पहले ही नए सिद्धांतों के विकास और नई घटनाओं के अंवेषण में योगदान दिया है। यह अनुप्रयोगों के लिए अच्छी संभावनाओं या स्थितियों को पेश करता है, जो समाज के लिए समग्र रूप से लाभदायक होगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3ddc1z0
https://bit.ly/2QoKrFS
https://bit.ly/3tkxlYV
https://bit.ly/3slGwae
https://bit.ly/3uPxV1f
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र इसरो मानव अंतरिक्ष यान को दर्शाता है। (हिन्दू)
दूसरा चित्र भारतीय मानव अंतरिक्ष यान को दर्शाता है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर में चंद्रयान 2 दिखाया गया है। (फ़्लिकर)