क्या होगा यदि आपके गुजरे हुये दादा जी एक पुरानी तस्वीर से आपको देख कर मुस्कुराए? आज की तकनीक ने ऐसा संभव कर दिया है। इन दिनों सोशल मीडिया पर डीप नॉस्टैल्जिया एआई (Deep Nostalgia AI) टूल (tool) वायरल (Viral) हो रहा है| दरअसल ये एक टूल है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर आधारित है, इस टूल के जरिए पुरानी तस्वीरों को ऐसा बना दिया जाता है जिसे देख कर आपको लगेगा फोटो में भाव (Expression) आ गये हो। डीप नॉस्टैल्जिया एआई का उपयोग लोगों के ऐतिहासिक चित्रों से लघु वीडियो क्लिप (Short Video Clips) बनाने के लिए किया जा रहा हैं। इसे इजरायल (Israeli) की कंप्यूटर विजन फर्म डी-आईडी (Computer Vision Firm D-ID) द्वारा विकसित किया गया है जो "रेनेक्टमेंट टेक्नोलॉजी" (Reenactment Technology) में माहिर है। यह तकनीक ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram) पर वायरल हो रही है, जहां लोगों ने इसका इस्तेमाल से ऐतिहासिक शख्सियतों की तस्वीरों को पुन: जीवित करने की कोशिश की है। महात्मा गांधी और भगत सिंह से लेकर कई ऐसे लोगों की तश्वीरों को इस टूल से एनिमेट (Animate) किया जा रहा है। लोग अपनी फैमिली (Family) के सदस्यों (जो अब नहीं हैं) उनकी तस्वीरें इस टूल से एनिमेट करके शेयर कर रहे हैं। इस टूल द्वारा बनाए गए एनिमेशन को एमपी4 (mp4) फाइलों के रूप में डाउनलोड (download) किया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्विटर (Twitter) या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों (Social Media Platforms) पर आसानी से पोस्ट (Post) किया जा सकता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता इस फीचर को पॉवर (Power) देने में अहम भूमिका निभा रहा है जो आपको आश्चर्य में डाल देगा। ये टूल आपकी तश्वीर से छोटी छोटी बारीकि को कलेक्ट (Collect) करता है, जैसे कैसे आप ब्लिकं (Blink) करते हैं, किस तरह से स्माइल (Smile) करते हैं, इन सब के आधार पर ये टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए अपना काम करता है। यह आइओएस (iOS) लाइव 'फोटो फीचर' (Live 'Photos Feature') की तरह है, जो स्मार्टफोन फोटोग्राफरों को बेहतरीन शॉट लेने में मदद करने के लिए कुछ सेकंड के वीडियो जोड़ता है। द वर्ज (The Verge) के अनुसार, यह एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक है जिसे ऑनलाइन जेनैलोजी कंपनी माइहेरीटेज (Online Genealogy Company - MyHeritage) में एड (Add) किया गया है। इस प्रभाव को बनाने के लिए डी-आईडी (D-ID) से लाइसेंस प्राप्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया है। यह टूल यूजर्स (Users) की पुरानी फोटोज (photos) पर फेशियल एनिमेशन (Facial Animation) लाता है और उसे पहले से बेहतर बनाने में मदद करता है। डीप नॉस्टैल्जिया की मदद से आप अपने पूर्वजों को मुस्कुराते हुए, पलक झपकाते हुए और अपना सिर घुमाते हुए देख सकते है। यह वास्तव में आपकी तस्वीरों में जीवन भर देता है। द वर्ज ने बताया कि उपयोगकर्ता इस एप को मुफ्त में साइन अप (Sign-up) कर सकते है, फिर एक फ़ोटो अपलोड (Upload) करनी होगी और वहां से प्रक्रिया स्वचालित होती है, जिसके बाद छवि को एनिमेट करके एक जिफ (GIF) बन जाती है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते है। यह केवल चेहरे के हाव-भाव को नियंत्रित करने में सक्षम है, और मुफ्त खाते से आप एक दिन में केवल एक ही फोटो एनिमेट कर सकते है और कुल पांच तस्वीरें ही एनिमेट कर सकते है, ज्यादा फोटो एनिमेट करने के लिये आपको इसे खरीदना होगा जो कि 16.58 अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) प्रति माह के शुल्क पर उपलब्ध है। यह एप डीप फेक (Deepfake) जैसा ही है। डीप फेक, ‘डीप लर्निंग’ (Deep Learning) और ‘फेक’ (Fake) का सम्मिश्रण है। इसके तहत डीप लर्निंग नामक एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता सॉफ्टवेयर का उपयोग कर एक मौजूदा मीडिया फाइल (फोटो, वीडियो या ऑडियो) (Photo, Video or Audio) की नकली प्रतिकृति तैयार की जाती है और यह पता करना बहुत ही कठिन हो जाता है कि प्रस्तुत फोटो/वीडियो असली है या डीप फेक।
मशीन लर्निंग ने पूर्व से लेकर वर्तमान तक एक लंबा सफर तय किया है। आपने देखा होगा कि सिरी, एलेक्सा, और गूगल असिस्टेंट (Siri, Alexa, and Google Assistant) प्रतिदिन बेहतर होते जाते हैं, उसमें काफी सुधार हुआ है। प्रत्येक वर्ष मशीन लर्निंग में होते सुधार से एआई क्षमताओं में सुधार हुआ है। 2014 में, आधुनिक मशीन-शिक्षण तकनीकों का उपयोग करने का कार्य शुरू हुआ जिसमें एआई की कई क्षमताओं को उत्पन्न किया। पांच साल से भी कम समय में वह सब बदल गया। चेहरा पहचानने की तकनीकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से बनाये गये चेहरे किसी जीवित इंसान से कम नहीं होते। ऑनलाइन दुनिया में अब वर्चुअल इंसान (Virtual Human) भी मिलने लगे हैं। आधुनिक मशीन लर्निंग अक्सर एक तकनीक का उपयोग करता है जिसे एक जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क (Generative Adversarial Network-GAN) कहा जाता है। एआई के लिए हर चेहरा एक गणित एआई सिस्टम चेहरे को एक जटिल गणितीय आंकड़े की तरह दिखता है। कंप्यूटर पर कुछ चेहरों की तस्वीरें अपलोड की जाती हैं जिनके फीचर का अध्ययन कर यह नया चेहरा बनाता है। इयान गुडफेलो (Ian Goodfellow), ने 2014 में इस तकनीक का आविष्कार किया था। यह चेहरे के हर फीचर को वह ऐसे अंको में ढालता है जिन्हें बदला जा सके। इन्हीं अंको को बदलकर किसी चेहरे के आकार और बनावट आंखों, कान, नाक आदि में परिवर्तन कर नया चेहरा बनाया जा रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल वर्तमान में मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों के उपचार के लिये भी हो रहा है। दुनिया की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित आभासी दोस्त रेप्लिका एआई (Replika AI) ने अलगाव (Isolation) के दौरान हजारों लोगों की मदद की। मानसिक रोग होने पर बहुत से लोग चिकित्सक के पास जाने से डरते हैं। तनावपूर्ण समय में किसी से बात नहीं कर पाते है। ऐसे में रेप्लिका एआई एक दोस्त और मनोचिकित्सक की तरह कार्य करता है।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A.I.) की बात करे तो पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न कारणों और मुद्दों को लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता बराबर चर्चा में बनी हुई है, ये केवल तकनीक ही नहीं स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसका काम बुद्धिमान मशीन बनाना है। सरलतम शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। यह भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए भी एक प्रभावी उपाय सिद्ध हो सकती है। 2015 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 16150 मिलियन लोग मानसिक रोगों से ग्रसित है और उन्हें उपचार की तत्काल आवश्यकता है, परंतु मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों की संख्या केवल 100000 है। इससे निजात पाने के लिये जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (District Mental Health Program -DMHP) को शुरू करके एक नेक पहल की गई थी, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को देश के प्राथमिक स्तर तक पहुँचाने के लिये ज़िला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) की शुरुआत की गई थी। परंतु हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये सरकार ने तनाव, मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए एक कदम उठाया है और चिकित्सा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोगी डाटा विश्लेषण पर संस्थागत सहयोग को प्रोत्साहित किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहयता से ऐप (app) तैयार करे जा सहे है जो मानसिक बीमारियों से निजात दिलाने और उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने में लोगों की सहायता करेंगे। उम्मीद है कि इस तरह के ऐप (App) से हम आखिरकार मानसिक स्वास्थ्य को लेकर होने वाले भ्रम को दूर कर पाएंगे, और शायद कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित तकनीकें मानसिक बीमारियों से निपटने में मानव की सहायता करने में मदद कर सकती हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3vQQEL2
https://bit.ly/3c5RPhT
https://bit.ly/3fgMCWL
https://bit.ly/2Qw38HV
https://bit.ly/3r4rRzC
https://bit.ly/3c86wRy
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में पुराने स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें दिखाई गई हैं। (गिज़बॉट)
दूसरी तस्वीर माइहेरीटेज ऐप के मुख्य पृष्ठ को दिखाती है। (विश्व गणराज्य)
तीसरी तस्वीर माइहेरीटेज ऐप दिखाती है। (hindiSoftonic)