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1894 109 0 0 2003

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कोरोना काल में ऑनलाइन लेनदेन एक वरदान है या अभिशाप!

जौनपुर

 24-03-2021 10:01 AM
संचार एवं संचार यन्त्र
एक दौर था जब रोटी, कपड़ा और मकान को ही मनुष्य की आधारभूत आवश्य्कताएँ माना जाता था। परन्तु आज इस सूचि में इंटरनेट भी शामिल हो गया है। इंटरनेट के बढ़ते प्रसार ने आज पूरे विश्व में सूचना क्रांति ला दी है। तकनीकी विकास अपने चरम पर है। सूचनायें, और धन इत्यादि मिली सेकंड की रफ्तार से पूरी दुनिया में घूम रहे हैं। सभी देशों की सरकारें पैसे के डिजिटल लेन-देन को बढ़वा दे रही हैं। डिजिटल लेन-देन का मतलब होता है, अपने पैसे को इंटरनेट के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान में भेजना।
एफआईएस ग्लोबल (FIS Global) की रिपोर्ट के अनुसार केवल भारत में प्रतिदिन 41 मिलियन ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होते हैं। यानी प्रतिदिन करोड़ों-अरबों रुपयों का डिजिटल आदान प्रदान हो रहा है। ऑनलाइन खरीदारी करने में, दुकान पर पेमेंट करने में और कई अन्य लेनदेन प्रक्रियाओं में हम अपने डेबिट-क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने लगे है। पहले डिजिटल ट्रांजेक्शन अपने औसत चाल से चल रहा था, परतु कोरोना महामारी ने इस प्रक्रिया को एक बेहद बड़ा बूस्ट दे दिया है। ऑनलाइन खरीदारी का एक बड़ा फायदा ये है कि इसमें किसी भौतिक करेंसी की आवश्य्कता नहीं पड़ती। डिजिटल माध्यम से आप सीधे अपने बैंक से किसी अन्य बैंक खाते में पैसा आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं। कोरोना काल में इससे फायदा यह हुआ कि कोरोना के संक्रमित वायरस जो की एक स्पर्श से भी फैल सकते हैं, वह संक्रमण रुक गया।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के कई अन्य फायदे भी होते हैं।
1. यह बेहद तेज़ी से होता है।
2. आप बड़ी से बड़ी रकम भी आसानी से भेज सकते हैं।
3. इसमें आपको भौतिक धन की आवश्य्कता नहीं पड़ती।
4. आप देश की सीमाओं के बाहर भी लेनदेन कर सकते हैं।
5. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने पर आपको कैशबैक और अन्य प्रकार के ऑफर भी मिल जाते हैं।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कई माध्यम से किया जा सकता है। जैसे-
1. एटीएम से पैसा निकालना।
2. यूपीआई (UPI) और इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करना।
3. डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिये लेन-देन करना।
डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला भुगतान लम्बे समय से बेहद प्रचलन में है। लोग शॉपिंग करने, प्रॉपर्टी लेनदेन, बिजली बिल या किस्त आदि चुकाने हेतु उनका इस्तेमाल करते हैं। परन्तु इस भुकतान प्रक्रिया के गिने चुने फ़ायदों के बीच अनगिनत नुकसान भी है,। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2009 से लेकर 2019 के बीच ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक डाटा प्रतिपादित किया। इस रिपोर्ट में ये कहा गया था, कि पिछले दस सालों में क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के कुल 1.6 लाख मामले सामने आये। जिसमे की 9 615.39 करोड़ रकम धोखाधड़ी करके बैंक खातों से चुराई गयी। ऑनलाइन मार्केटप्लेस ओएलएक्स द्वारा फ़रवरी 2020 में 7,500 भागीदारों पर एक सर्वे किया गया। जिसमे 52% प्रतिशत लोगों ने अपनी निजी जानकारी जैसे की नाम, मोबाइल नंबर तथा मूल पते साझा किये। अतः लगभग 26% प्रतिशत लोगों ने OTP (वन टाइम पासवर्ड) भी साझा कर दिए। तथा अन्य 26 प्रतिशत लोगों ने अपने बैंक के अकाउंट नंबर, UPI आई-डी यहाँ तक कि पासवर्ड भी आसानी से दे दिए। यह बेहद सोचनीय स्थिति है। लोगों में जागरूकता एक बेहद असुरक्षित स्तर तक कम है।
कोरोना काल में ऑनलाइन लेनदेन के साथ-साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी में भी अभूतपूर्व रूप से बढ़ौती देखी गयी है।
साइबर चोर निम्न तरीकों से किसी की निजी जानकारी हासिल करते हैं।
1. स्कीमिंग (Skimming)
इस प्रक्रिया में ट्रांजेक्शन के समय स्किमर यंत्र से निजी जानकारी को हासिल किया जाता है।
2. कार्ड फँसाना (Card trapping)
इस प्रक्रिया में गुप्त रूप से एटीएम मशीन में एक यंत्र लगाया जाता है जो एटीएम कार्ड से जानकारी प्राप्त करता है।
3. पिन लिख देना (Writing Pin)
किसी का पिन उसके पर्स, डायरी इत्यादि से प्राप्त किया जाता है।
4. धोकाधड़ी कॉल करते हैं (Fraud Call)
यहाँ पर जालसाज बैंक का अधिकारी इत्यादि बनकर कॉल करते हैं और बैंक जानकारी हासिल करते हैं।

ऑनलाइन बाजार असीमित है धोखा देने के तरीके भी असीमित हैं। जागरूकता के अभाव में लोग अपनी निजी जानकारी साझा कर देते हैं। इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए जागरूकता सबसे कारगर और आसान उपायों में से एक है। लोगो को अपनी निजी जानकारी फ़ोन पर साझा करने अथवा बैंक विवरण किसी भी वस्तु में लिखने से बचना चाहिए। साथ ही एटीएम या अन्य प्रकार की मशीनों से पैसे निकालते समय ये देख लेना चाहिए कि उसमें किसी तरह की कोई चिप, पट्टी, अथवा मशीन तो नहीं लगी। बैंक से जुडी किसी भी सन्देश अथवा ईमेल का रिप्लाई करने से पहले उसकी सत्यता की जाँच कर लेनी चाहिए। अपने साथ हुई किसी भी धोखाधड़ी की घटना की जानकारी तुरंत बैंक अथवा पुलिस में दे देनी चाहिए। आज हम सूचना युग में जी रहे हैं, सुरक्षा में हो रहे बदलावों की जानकारी लेती रहनी चाहिए। और पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हमारी आर्थिक जानकारी हमेशा निजी बनी रहे। मेहनत से कमाया गया धन सुरक्षित रहे। तकनीक एक वरदान है ध्यान रहे की ये अभिशाप न बने।

संदर्भ:
https://bit.ly/3vSj6ML
https://bit.ly/2P4jcjN
https://bit.ly/3fgQqH8
https://bit.ly/2QDGFqz
https://bit.ly/3siqa35

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर ऑनलाइन शॉपिंग दिखाती है। (अनस्प्लैश)
दूसरी तस्वीर में यूपीआई लोगो दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर ओटीपी के उदाहरण दिखाती है। (फ़्लिकर)


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D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

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