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वर्तमान समय में बंदूक जैसे घातक हथियारों का प्रचलन अत्यधिक बढ़ गया है। पूरी दुनिया में बंदूकों का उपयोग किसी की हत्या करने या आत्महत्या के लिए किया जा रहा है। 2016 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, पूरी दुनिया में बंदूकों द्वारा होने वाली मौतों की संख्या ब्राजील (Brazil - 43200) में सबसे अधिक थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (37200) का स्थान है। इस सूची में भारत तीसरे स्थान (26500) पर था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के अनुसार, 2010 और 2014 के बीच बंदूक से संबंधित मौतों की संख्या 3,063 से बढ़कर 3,655 हुई। 2014 में वैध बंदूकों से मारे जाने वाले लोगों की संख्या जहां केवल 14 प्रतिशत थी, वहीं बाकी लोग अवैध बंदूकों से मारे गए थे। इस संख्या को रोकने के लिए गैर-घातक हथियारों का विकल्प आवश्यक है, ताकि घातक हथियारों तक लोगों की पहुंच को कम किया जा सके।
टेजर (Taser) गैर घातक हथियार का ही एक रूप है, तथा वर्तमान समय में इसका उपयोग कुछ परिस्थितियों में घातक हथियार के विकल्प के तौर पर किया जा सकता है। हालांकि, पुलिस के पास टेजर जैसे गैर-घातक हथियार मौजूद हैं, लेकिन इनका उपयोग हर समय नहीं किया जा सकता। इसका प्रमुख कारण यह है कि, उन्हें किसी खतरनाक या घातक स्थिति के लिए बन्दूक का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। टेजर ऐसी परिस्थितियों के लिए नहीं बने हैं, जहां सुरक्षा बल की जान को खतरा हो। पुलिस विभाग अपने अधिकारियों को टेजर का उपयोग करने का आदेश केवल तब ही देते हैं, जब उनकी या आस-पास मौजूद लोगों की जान को अपराधी से कोई खतरा न हो। यदि अपराधी के पास घातक हथियार या बन्दूक मौजूद है, तो उस स्थिति में सुरक्षा बल को भी बचाव के लिए घातक हथियार का उपयोग करना होगा। दूसरी बात यह है कि, टेजर हमेशा गैर-घातक नहीं होते, अर्थात इन पर पूर्ण रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता। यह एक निश्चित दूरी तक ही प्रभावी हैं, यदि अपराधी पुलिस के बहुत निकट है, तब इसका इस्तेमाल अपराधी की जान ले सकता है।
अक्सर कई ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जहां बन्दूक का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फिर भी पुलिस द्वारा अपराधी पर गोली चलाई जाती है। उदाहरण के लिए यदि कोई अपराधी पुलिस से छिप कर भाग रहा है, तो उस स्थिति में भी उसे मार दिया जाता है। अपराधी पुलिस या अन्य लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन फिर भी वह मारा जाता है। ऐसी समस्याओं को देखते हुए ही विभिन्न देशों में टेजर के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। पुलिस के पास घातक या बन्दूक जैसे हथियारों के साथ टेजर जैसे गैर घातक हथियारों का होना आवश्यक है ताकि, वह निशस्त्र, अर्धशस्त्र या मानसिक रूप से ग्रसित अपराधी को बिना किसी क्षति के आसानी से नियंत्रित कर सकें। टेजर के उपयोग से जहां व्यक्ति केवल निष्क्रिय होगा, वहीं दंगों में अपना जीवन दांव पर लगाने वाले निर्दोष नागरिकों को भी कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा तथा कानूनी रूप से भी इसका इस्तेमाल लाभदायक होगा।