भारत का उभरता इत्र बाजार

गंध - सुगंध/परफ्यूम
13-03-2021 09:22 AM
Post Viewership from Post Date to 18- Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2896 82 0 2978
* Please see metrics definition on bottom of this page.
भारत का उभरता इत्र बाजार
यदि आप किसी खास मौके अथवा समारोह के लिए तैयार हो रहे हैं, और आप चाहते हैं की लोग आप में रुचि लें। तो एक अच्छी क्वालिटी का इत्र आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। लोग इत्र की खूबसूरत खुशबू से आकर्षित होते हैं, और वे अनायास ही खींचे चले आते हैं।
इत्र अथवा इतर, अनेक प्राकृतिक अवयवों तथा खुशबूदार फूलों से बना एक द्रव्य मिश्रण होता है, जिसको वाष्पीकरण या हाइड्रो-डिस्टिलेशन प्रक्रिया के माध्यम से व्युत्पन्न अथवा अलग किया जाता है। यह बेहद सुगंधित होता है तथा इसकी खुशबू लम्बे समय तक बनी रहती है। लम्बे समय तक खुशबूदार बने रहने के लिए इसकी केवल छोटी सी बूँद ही पर्याप्त होती है। हाइड्रो-डिस्टिलेशन प्रक्रिया के माध्यम से इत्र बनाने का श्रेय एक फारसी चिकित्सक इब्न सिना (Ibn Sina) ( जिनको यूरोप में एविसेना के रूप में भी जाना जाता है।) को दिया जाता है।
सबसे बेहतरीन इत्र का निर्माण प्राकृतिक संसाधनों जैसे - गुलाब, मोगरा और अन्य प्राकृतिक फूलों तथा औषधियों के इस्तेमाल से किया जाता है। प्राकृतिक इत्र के कई अन्य चमत्कारिक फायदे भी होते है। जैसे की- यह तनाव कम करता है, गुस्से और अनिद्रा से भी छुटकारा दिलाता है। साथ ही धार्मिक दृष्टि से भी इत्र को महत्वपूर्ण माना जाता है। परन्तु बड़े वैश्विक बाजार में इसकी बड़ी मांग के कारण रसायनों और सिंथेटिक योजकों के इस्तेमाल से भी इत्र बनायें जाते हैं। इनकी सुगंध भले ही प्राकर्तिक इत्र के कुछ सामान हो परन्तु यह सेहत के लिए फायदे के विपरीत नुकसानदायक साबित हो सकते है।
भारत दुनिया का तेज़ी से उभरता इत्र बाजार है। इब्न सिना की इत्र निष्कर्षण तकनीक का भारत में भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। घरेलू बाजार में सुगंध बाजार का मूल्य $ 500 मिलियन (लगभग 3,600 करोड़) है, जो लगभग 24 बिलियन डॉलर के वैश्विक उद्योग का एक बहुत छोटा हिस्सा है। इसके बावजूद, भारत इत्र उद्योग पूरी दुनिया में तेजी से उभरता हुआ बाजार है। इसके अलावा, भारत इत्र सामग्री के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। बेहतर प्रबंधन, दूरदर्शिता और उचित विपणन प्रणाली के अभाव में, भारत दुनिया के सबसे बड़े इत्र निर्यातकों में से नहीं है। लेकिन इससे यहां के इत्र व्यापारियों में उत्साह की कमी नहीं है। इसके विपरीत, भारतीय प्राकृतिक सुगंध से रोमांचित होते हैं। और इसी रोमांच तथा प्राकृतिक सुगंध संसाधनों की सम्पन्नता ने भारत में खुशबू के बाजार को अस्तित्व में रखा है।
भारत में इत्र का बाजार प्राचीन समय से ही फल-फूल रहा है। परंतु हाल ही में महामारियों ने जिस तरह दुनिया के अनेक उद्योगों को प्रभावित किया, इत्र उद्योग भी इस त्रासदी से अछूता नहीं है। परन्तु अच्छी खबर यह है कि यह उद्योग महामारी की मार से उभर रहा है। लॉकडाउन में सामान की सीमित निर्यात के बाद अब बाजार खुलने से वैश्विक ग्राहक तेज़ी से आकर्षित हो रहा है। उत्तरप्रदेश में जौनपुर जिले के खुशबूदार इत्र का एक समय में पूरी दुनिया में बहुतायत में निर्यात किया जाता था। परन्तु सन 1980 में यह उत्पादन मंद पड़ गया, जिसका प्रमुख कारण चन्दन के तेल की बड़ी कीमतें तथा उसकी उपलब्धता का आभाव था। जिसके कारण बहुत से सुगंधित फूलों की खेती भी बंद कर दी गई। इनमें बेला, रातरानी, गुलरोगन आदि पुष्प शामिल थे। उस समय, इसका वार्षिक व्यापार केवल 12 लाख रुपये प्रति वर्ष हो गया था, जिसने इस उद्योग से जुड़े लगभग 2500 किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया।
परिस्थितियां अभी भी कमोवेश वैसी ही है, परन्तु, बाजार में इत्र की बढ़ती हुई मांग को देखते हुवे, इस उद्योग से जुड़े उद्यमियों को उम्मीद की एक नयी किरण दिखाई दे रही है। जौनपुर के उद्यमियों को भरोसा है कि अगर बुनियादी सुविधाओं और कच्चे माल की उपलब्धता बड़ी, तो जौनपुर का इत्र उद्योग एक बार फिर से फल-फूल सकता है।
इत्र की बढ़ती मांग को देखकर, यह समझना आसान हो जाता है, कि इस क्षेत्र में कुछ सकारात्मक संभावनाएं हैं। जिसका अंदाज़ा हम इस बात से लगा सकते है की भारत सरकार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत यूपी के अलावा उत्तराखण्ड, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों से जुड़े युवाओं को इत्र निष्कर्षण का प्रक्षिशण दिया जा रहा है। इन राज्यों में प्राकृतिक इत्र बनाने की अकूत संभावनाएं है। इत्र उद्योग को स्थापित करने के लिए उद्यमियों को गंध की समझ विभिन्न प्रकार के खुशबूदार फूलों और औषधियों का ज्ञान,और सुगंध के प्रति लगाव महत्वपूर्ण है।
इब्न सिना की इत्र बनाने की तकनीक दशकों बाद भी उपयोग में लायी जा रही है, इस प्रक्रिया में खास फूलों और औषधियों के निश्चित अनुपात को किसी पात्र में एकदम बंद कर दिया जाता है। और उस पात्र को गर्म करने के बाद जो वाष्पित द्रव होता है, उसे अलग किया जाता है। तथा फिर से वाष्पित द्रव को गर्म किया जाता है. यह प्रक्रिया बार-बार दोहरायी जाती है। और आखिर में हमें मिलता है शानदार, मनमोहक, और सुगंधित इत्र।

संदर्भ:
https://bit.ly/2PQLDla
https://bit.ly/3t9Auu0
https://bit.ly/3lauChD
https://bit.ly/2Q0qQvG
https://bit.ly/3bK1Jpr

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर जौनपुर में इतर दिखाती है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर में इब्न सिना की मूर्ति को दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
तीसरी तस्वीर इतर की दुकान दिखाती है। (फ़्लिकर)