व्हेल (Whale) पृथ्वी पर सबसे बड़े समुद्री जानवरों में से एक हैं, जो अधिकांश रूप से खुले समुद्र में पाए जाते हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, महासागरों में अपने भोजन के वितरण में परिवर्तन के परिणामस्वरूप लगभग 2-3 मिलियन साल पहले व्हेल का विशाल आकार विकसित हुआ था। ब्लू व्हेल (Blue Whale) का अधिकतम वजन 173 टन (Tonnes) है और इसकी लंबाई 29.9 मीटर तक बढ़ सकती है। हालांकि, कुछ मिलियन साल पहले तक व्हेल का आकार शायद ही कभी 10 मीटर से अधिक हुआ करता था। शोधकर्ताओं द्वारा पता लगाया गया कि लगभग 4.5 मिलियन साल पहले व्हेल के शरीर का आकार बढ़ना शुरू हुआ होगा और, लगभग उसी समय के आस-पास व्हेल की छोटी प्रजातियां भी गायब होने लगीं। वहीं कुछ शोधकर्ताओं का कहना यह भी है कि हिम युग की शुरुआत में हुई विकासवादी पारी, जलवायु परिवर्तन से मेल खाती है, जिसने दुनिया के महासागरों में व्हेल के भोजन की आपूर्ति को नया आकार दिया होगा।
इस परिवर्तनकाल के समय, बैलेन व्हेल (Baleen whales), जो समुद्री जल से छोटी मछलियों (जैसे क्रिल) का सेवन करती हैं, को काफी उच्च मात्रा में क्रिल प्राप्त होने लगी और उसने इस मौके का अच्छी तरह से लाभ उठाया। बैलेन व्हेल के चयनात्मक आहार प्रणाली, जो लगभग 30 मिलियन साल पहले विकसित हुई थी, वास्तविकता में मूल आकार वृद्धि के लिए मूल रूप से चरण निर्धारित करती है। जैसे-जैसे शिकार के समृद्ध स्रोत विशेष स्थानों और वर्ष के समय में केंद्रित होते गए, इसने व्हेल की खाद्य आपूर्ति को बढ़ाया और इस तरह-दशकों में उनके शरीर के आकार में क्रमिक विकास हुआ। वास्तव में, सबसे बड़ी ब्लू व्हेल इतनी विशाल हैं कि वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्होंने आकार कि प्राकृतिक सीमा को पार कर दिया है। जब वे भोजन करने के लिए अपने चौड़े मुंह को खोलते हैं तो वे एक बड़े कमरे जितना पर्याप्त पानी भरते हैं। इसलिए उन्हें फिर से बंद करने में 10 सेकंड (Seconds) तक का समय लग सकता है।
व्हेल एक समुद्री स्तनधारी होती हैं, जो हवा में सांस लेती हैं, दूध का उत्पादन करती हैं, जन्म देती हैं और गर्म रक्त वाली होती हैं। इस तथ्य के बावजूद कि ये स्तनधारी समुद्र में पाई जाती हैं, व्हेल ताजे पानी के वातावरण में लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकती हैं। वास्तव में व्हेल की सभी ज्ञात प्रजातियाँ ताजे पानी के बजाय खारे पानी के वातावरण में रहती और पनपती हैं, इसके पीछे भी कई कारण मौजूद हैं। व्हेल और उनके शिकार खारे पानी के प्राकृतिक गुणों से जैविक रूप से अनुकूलित होते हैं। जैसे खारे पानी में लवण और खनिज होते हैं, जो एक व्हेल को शार्क (Shark) या अन्य व्हेल से लड़ने के कारण लगी चोट और घावों को संक्रमणों से दूर करने में और भरने में सहायता करते हैं। वहीं खारे पानी में व्हेल को पर्याप्त भोजन प्राप्त हो जाता है, जो आमतौर पर समुद्र में पाया जाता है, न की ताजे पानी में। यह भी एक आम कारण है कि क्यों व्हेल ताजे पानी में नहीं पाई जाती है। साथ ही जैसा कि हम जान चुके हैं कि व्हेल काफी भारी होते हैं, इसलिए जितना संभव हो उतना कम प्रयास करके पानी की सतह पर तैरना उनके लिए काफी जरूरी होता है, और खारे पानी के गुण व्हेल को पानी में आसानी से तैरने में मदद करते हैं।
हिंद महासागर व्हेल अभयारण्य व्हेल की कई प्रजातियों का घर है, निम्न भारत में पाई जाने वाली व्हेल की कुछ प्रजातियों की सूची दी गई है :
ब्लू व्हेल :- ब्लू व्हेल सबसे बड़ा समुद्री स्तनपायी है, जो हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर में पाया जाता है और इसकी सबसे बड़ी आबादी अंटार्कटिक (Antarctic) में पाई गई थी।
फिन व्हेल (Fin Whale) :- फिन व्हेल या फिनबैक व्हेल ब्लू व्हेल के बाद पृथ्वी पर दूसरा सबसे बड़ा स्तनधारी है, जो भारत में बंगाल के हिंद महासागर और खाड़ी के आसपास पाया जाता है।
हम्पबैक व्हेल (Humpback Whale) :- हम्पबैक व्हेल, व्हेल की सबसे लोकप्रिय प्रजाति है और व्हेल के विशेषज्ञों के समक्ष प्रसिद्ध है, ये हिंद महासागर सहित सभी प्रमुख महासागरों में पाई जाती है।
स्पर्म व्हेल (Sperm Whale) :- स्पर्म व्हेल एक समुद्री स्तनधारी है और हिंद महासागर में पाए जाने वाले दांतेदार व्हेलों में सबसे बड़ा है।
मिंक व्हेल (Minke Whale) :- मिंक व्हेल दूसरी सबसे छोटी बलेन व्हेल है, जिसे कदाचित ही कभी हिंद महासागर में देखा जा सकता है।
ब्रायड्स व्हेल (Bryde’s Whale) :- ब्रायड्स व्हेल मुख्य रूप से प्रशांत सार्डीन का सेवन करती है और हिंद महासागर में भी पाई जाती है।
मेलन हेडेड व्हेल (Melon Headed Whale) :- आमतौर पर डॉल्फिन (Dolphin) प्रजाति के साथ हिंद महासागर के गहरे पानी में पाए जाने वाली यह व्हेल का संबंध पयागम्य किलर व्हेल (Pygmy killer whale) और पायलट व्हेल (Pilot whale) से निकटता से संबंधित है।
दरसल भारत में व्हेल के संरक्षण के लिए हिंद महासागर व्हेल अभयारण्य को बनाया गया है। यह हिंद महासागर का वह क्षेत्र है जहां अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग (International Whaling Commission) द्वारा सभी प्रकार के वाणिज्यिक व्हेलिंग पर प्रतिबंध लगाया है। हिंद महासागर व्हेल अभयारण्य की स्थापना 1979 में हुई थी और प्रत्येक 10 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग द्वारा हिंद महासागर व्हेल अभयारण्य की स्थिति की समीक्षा की जाती है। हिंद महासागर व्हेल अभयारण्य की अब तक 1989, 1992, 2002 और 2012 में चार बार समीक्षा की जा चुकी है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/2O5WFlU
https://bit.ly/2KPhKME
https://bit.ly/3sA4TS1
https://bit.ly/3b3hVl8
https://nyti.ms/2ZVfASY
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र व्हेल और हिंद महासागर के क्षेत्र को दर्शाता है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर में जहाज के पास ब्लू व्हेल को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर व्हेल डाइविंग दिखाती है। (फ़्लिकर)