जौनपुर एक कृषी प्रधान जिला है। यहाँ की 60 प्रतिशत से ज्यादा की जनसंख्या खेती पर ही आश्रित है। प्रमुख उत्पादों में यहाँ पर आलू, गेहूँ, धान, दलहन होते हैं। वर्तमान काल में खाद्य व फसल से सम्बन्धित कई उद्योग कम्पनियाँ हैं जो विभिन्न स्थानों पर संविदा के आधार पर खेत लेकर अपने मतलब की फसल उगाते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस प्रकार की योजनाओं के कुछ फायदे हैं परन्तु इसके कई नुकसान भी हैं जिसपर हम अपनी नजर डालेंगे। संविदा या पट्टे पर खेत लेने की प्रक्रिया विभिन्न उद्योग इस लिये करती हैं ताकी वो अपने मतलब की फसल उगा सके। यह नमूना उन कम्पनियो के लिये काफी फायदेमंद भी होता है।
जैसा की जौनपुर में आलू का उत्पाद बड़े पैमाने पर होता है तो कई चिप्स और नमकीन बनाने वाली कम्पनियाँ यहाँ पर खेत पट्टे पर लेती हैं तथा जमीन मालिक को कुछ पैसे देती हैं। इस प्रकार की योजनाओं के बारे में कई बड़े शोध हुए हैं जिनसे कुछ प्रमुख बिंदु सामने निकल कर आए।
पहला बिंदु यह की भारत सदैव कृषी प्रधान देश रहा है, परन्तु कृषी, शिक्षा और शोध पर सरकारी बजट का मात्र 2 प्रतिशत मिलता है। इतने कम मिले बजट पर इन तीनों को व्यापक रूप से चला पाना असंभव सा प्रतीत होता है। दूसरा बिंदु यह की यदि खेतों को कम्पनियों के आधार पर पट्टे पर दे दिया गया तो रोजमर्रा के फसलों की भारी किल्लत पूरे देश को झेलनी पड़ सकती है। तृतीय बिंदु के अनुसार यह कम्पनियाँ यदि रूपया खर्च रहीं हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि यह भी कमाना चाहेंगी। इस लिये यह मात्र नकद फसल की खेती करेंगी ना की अन्य रोजमर्रा के फसलों की।
यदि इन तीन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाये तो इस योजना से खाद्य संकट आने की पूरी गुंजाइश दिखती है। रुपये के मामले में यदि देखा जाए तो जिस किसान की जमीन है उसे कम्पनी के अनुसार चलना पड़ेगा तथा वह अपनी जमीन पर नही अपितु कम्पनी के रहम पर आश्रित हो जायेगा। वीजू कृष्णनन के अनुसार यह योजना किसानों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगी क्युँकी इस योजना के अनुसार खेत पूरी तरह से कम्पनी के आधार पर कार्य करेगा। वीजू कृष्णनन अपने रिपोर्ट में आई.टी.सी., पेप्सीको, टाटा आदि कम्पनियों का जिक्र करते हैं तथा उन्होंने इस योजना पर एक शोध पत्र भी प्रस्तुत किया है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी पट्टे पर की जाने वाली खेती से उत्पन्न कई समस्याओं से अवगत कराया है। जौनपुर आलू के पैदावार के लिये जाना जाता है, इस लिये यहाँ पर चिप्स आदि की कम्पनियाँ पट्टे पर खेती करवाने की योजनाये चला रही हैं। इससे यहाँ पर अन्य फसलों की पैदावार पर संकट उठने के आसार पैदा हो गये हैं, क्यूँकी बड़े क्षेत्र में सिर्फ एक ही फसल की खेती की जा रही है।
1- https://newsclick.in/contract-farming-whose-interest-does-it-serve