तांबे का इतिहास बताता है कि धातु ने कैसे पिछले 11,000 वर्षों से मानव सभ्यता का विकास किया। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान रहा है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्व है। इसका रसायनिक संकेत Cu है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। तांबा उन कुछ धातुओं में से एक है जो प्रकृति में परिष्कृत रूप में उपलब्ध है अर्थात इसका सीधा प्रयोग किया जा सकता है।
ताम्र पाषाण युग या तांबा युग यह नवपाषाण युग के बाद शुरू होता है लगभग 2000 ईसापूर्व से 1500 ईसा पूर्व के आस पास साथ ही इसे कांस्य युग का ही एक भाग माना जाता है। इस काल में मनुष्य पत्थर के औजार से तांबे के औजार उपयोग करने लग गया था। मध्य पूर्व विश्व में तांबे के उपयोग का इतिहास 9000 ईसा पूर्व का है; उत्तरी इराक (Iraq) में एक तांबे की लटकन पायी गयी थी जो 8700 ईसा पूर्व की है। तांबे की समय रेखा बताती है कि इस धातु ने पिछले 11,000 वर्षों से मानव सभ्यता के विकास में कैसे अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। प्रागैतिहासिक काल में तांबा युग (Copper Age) के दौरान स्वाभाविक रूप से तांबा देशी धातु था, जिसके साक्ष्य कई पुरानी सभ्यताओं में देखने को मिलते हैं। मध्य पूर्व में तांबे के उपयोग का इतिहास 9000 ईसा पूर्व पुराना है। प्राचीन काल में सोने और चांदी जैसी धातुएं भी अस्तित्व में थी परंतु इनकी कम उपलब्धता के कारण इनका इतना व्यापक उपयोग नहीं हो सका जितना की तांबे का हुआ। प्रमाण बताते हैं कि तांबे से पहले केवल सोना और उल्कापिंड लोह (meteoric iron) मानव द्वारा उपयोग किए जाने वाले धातु थे। तांबे को गला कर उससे वस्तुओं को बनाने का आविष्कार संभवतः 2800 ईसा पूर्व चीन में, 600 ईस्वी के आसपास मध्य अमेरिका में, 9 वीं या 10 वीं शताब्दी ईस्वी पश्चिम अफ्रीका (West Africa) जैसे विभिन्न स्थोनों में खोजा गया था।
प्राकृतिक कांस्य (bronze) जोकि सिलिकॉन (silicon), आर्सेनिक (arsenic) और टिन (tin) जैसे समृद्ध अयस्कों से बना तांबे का एक प्रकार था, 5500 ईसा पूर्व के आसपास बाल्कन (Balkans) में सामान्य उपयोग में लाया गया। कांस्य – युग की बात करें तो मनुष्य ने तांबे के साथ मिश्रित धातु कांसे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा लौह युग के बीच में पड़ता है। तांबे और कांस्य मिश्रण की सुमेरियन (Sumerian) और मिस्र (Egyptian) की कलाकृतियां 3000 ईसा पूर्व पुरानी हैं। कांस्य युग की शुरुआत दक्षिण-पूर्वी यूरोप में लगभग 3700-3300 ईसा पूर्व, पश्चिमोत्तर यूरोप में लगभग 2500 ईसा पूर्व हुई थी, जोकि लौह युग की शुरुआत के साथ समाप्त हुआ। नवपाषाण काल में पत्थर के औजारों के साथ तांबे के उपकरण भी उपयोग किये जाते थे। इसके बाद पीतल, तांबा और जस्ता का एक मिश्र धातु के रूप में प्रयोग में लाया जाने लगा। प्राचीन समय में तांबे का खनन पहली बार प्राचीन ब्रिटेन (Britain) में 2100 ईसा पूर्व में किया गया। प्राचीन भारत में, शल्य चिकित्सा उपकरणों और अन्य चिकित्सा उपकरणों के लिए समग्र चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में तांबे का उपयोग किया जाता था।
भारत में ऐतिहासिक रूप से तांबे का खनन 2000 वर्ष से अधिक समय से होता आ रहा है। लेकिन औद्योगिक मांग को पूरा करने के लिए इसका उत्पादन 1960 के मध्य से शुरू किया गया था। विश्व के कुल तांबा उत्पादन में भारत की केवल 2 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जबकि परिष्कृत तांबे के उत्पादन का लगभग 4% हिस्सेदार है तथा परिष्कृत तांबे की खपत में भारत 8वें स्थान पर है। भारत का संभावित आरक्षित क्षेत्र 60,000 किमी2 तक सीमित है, जिसमें 20,000 किमी2 क्षेत्र अन्वेषण के अधीन है। आज भारत (India), चीन (China), जापान (Japan), दक्षिण कोरिया (South Korea) और जर्मनी (Germany) के साथ तांबा उत्पादन में बड़े आयातकों में से एक है। यहां पर खनन ओपनकास्ट (Opencast) और भूमिगत दोनों तरीकों से किया जाता है। देश में झारखण्ड, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में ताँबे की प्रमुख खदानें विद्यमान हैं। राजस्थान का खेतड़ी तांबे की बेल्ट, काफी पुराने समय से ही ताँबा उत्खनन का प्रमुख क्षेत्र रहा है। झारखण्ड राज्य की सिंहभूमि तांबे की बेल्ट ताँबा तथा मध्य प्रदेश में मलाजखंड तांबे की बेल्ट भी उत्खनन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। पिछले 18 वर्षों में पहली बार भारत 2018-19 में तांबे का शुद्ध आयातक बन गया। इसने तांबे के तार निर्माताओं और मोटर निर्माताओं जैसे नीचले तांबे के उत्पाद निर्माताओं को भारी झटका दिया था, जिनके लिए कच्चे माल की लागत उनके उत्पादन की कुल लागत से बहुत अधिक होती है।
तांबा पानी के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है, लेकिन वायुमंडलीय ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है जिससे इसके ऊपर भूरे-काले रंग की कॉपर ऑक्साइड (Copper Oxide) की एक परत बन जाती है, यह परत लोहे पर जंग लगने से बचा सकती है। पुरानी तांबे की संरचनाओं पर अक्सर हरे रंग की परत देखी जा सकती है, जो इन संरचनाओं को जंग से बचाती है। कुछ सल्फर यौगिकों के संपर्क में आने पर तांबा धूमिल हो जाता है, जिसके साथ यह विभिन्न कॉपर सल्फाइड (Copper Sulfide) बनाने के लिए प्रतिक्रिया करता है। इसके साथी ही तांबा एक प्रमुख आहार खनिज के रूप में सभी जीवों के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह श्वसन एंजाइम (Respiratory Enzyme) जटिल साइटोक्रोम सी ऑक्सीडेज (Complex Cytochrome C Oxidase) का एक प्रमुख घटक है। मोलस्क (Molluscs) और क्रस्टेशियंस (Crustaceans) में, तांबा रक्त वर्णक हेमोसायन (Hemocyanin) का एक घटक है, जिसे मछली और अन्य कशेरुकियों में लोहे के जटिल हीमोग्लोबिन (hemoglobin) द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। मनुष्यों में, तांबा मुख्य रूप से यकृत, मांसपेशियों और हड्डी में पाया जाता है। वयस्क शरीर में शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम 1.4 और 2.1 मिलीग्राम तांबा होता है।
1852 में, एक चिकित्सक विक्टर बर्क (Victor burke) ने पेरिस के 3rd एरोनडिस्समेंट (Aerondissement) में एक तांबा स्मेल्टर (copper smelter) का दौरा किया, जहां लोग लाल-भूरे रंग की धातु को निकालने के लिए ऊष्मा और रसायनों का उपयोग कर रहे थे। यह एक गंदा और खतरनाक काम था। बर्क ने देखा की यहां के लोगों की स्थिति दयनीय थी। 1832, 1849 और 1852 में हैजे से पूरा शहर प्रभावित हुआ किंतु तांबे के संपर्क में कार्य करने वाले इससे प्रभावित नहीं हुए। जब बर्क को इस तथ्य का पता चला तो उन्होंने इस पर अध्ययन प्रारंभ कर दिया। 1854 से 1855 में हैजा की महामारी में बर्क ने पाया कि जौहरी, सुनार, सेना में पीतल के वाद्ययंत्र बजाने वाले संगीतकार आदि में से कोई भी महामारी से नहीं मारा गया। 1865 में पेरिस में फैली महामारी में, 1,177,000 लोगों की आबादी में से 6,176 लोग मारे गए। लेकिन तांबे के विभिन्न उद्योगों में काम काम करने वाले 30,000 लोगों में से केवल 45 की मृत्यु हुई। तब से किए गए अध्ययनों से ज्ञात हुआ कि तांबा रोगाणुरोधी है, यह बैक्टीरिया और वायरस को मारता है। बिमारीजनक रोगाणु चार से पांच दिनों तक किसी भी कठोर सतह पर रह सकते हैं। जब हम उन सतहों को छूते हैं, तो रोगाणु हमारे नाक, मुंह या आंखों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें संक्रमित कर देते हैं, कोविड-19 (COVID-19) इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। तांबे की सतहों पर, बैक्टीरिया (Bacteria) और वायरस (Virus) मर जाते हैं। जब एक रोगाणु तांबे की सतह पर आता है, तो तांबा आयनों (Anion) को जारी करता है, जो विद्युत आवेशित कण होते हैं। वे कॉपर आयन (Copper ion) बाहरी झिल्लियों के माध्यम से विस्फोट करते हैं और रोगाणुओं के डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA) सहित पूरी कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। अत: बैक्टीरिया या वायरस तांबे पर सक्रिय नहीं कर सकते हैं। प्राचीनकाल की विभिन्न सभ्यताओं में इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जाता था।
कोरोना के बाद आयी आर्थिक मंदी के बाद बाजार में धातुओं की मांग भी प्रभावित हुयी है। पेरू (Peru) में तांबे की खानों को लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बंद कर दिया गया था, और चिली (Chile) में यह कार्य सरकार के दिशा-निर्देश के अंतर्गत चलता रहा। पिछले साल की तुलना में जनवरी-अप्रैल में चिली के राष्ट्रीय उत्पादन में 3.6% की वृद्धि हुई। बाजार के आकार के सापेक्ष, बैंक का अनुमान है कि तांबा खदान की आपूर्ति पर जस्ता या निकल की तुलना में कम प्रभाव पड़ा है, जबकि परिष्कृत धातु की आपूर्ति के संदर्भ में, तांबे को आधार धातुओं में सबसे कम नुकसान हुआ है। कोविड-19 (COVID-19) महामारी के तेज होने के कारण धातु निर्माता मांग, उत्पादन और राजस्व पर दबाव का अनुभव कर सकते हैं। औद्योगिक उपयोग के लिए धातुओं के निर्माता (तांबा, एल्यूमीनियम और स्टील, दूसरों के बीच) इन धातुओं और धातु उत्पादों के अंतिम-उपयोगकर्ताओं जैसे ऑटोमोटिव (Automotive), तेल और गैस, और इंजीनियरिंग (Engineering) और निर्माण क्षेत्रों के रूप में मांग में कमी आयी है। मांग में कमी का सीधा विपरित प्रभाव रोजगार पर पड़ता है। धातु उत्पादकों को उत्पादन सामग्री और उत्पादों के बीच सही संतुलन हासिल करने के लिए सार्वजनिक-निजी समन्वय के एक नए युग में प्रवेश करने की उम्मीद करनी चाहिए जो देश की महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/2ZBClen
https://pwc.to/3dvc6yC
https://bit.ly/2NSbU1m
https://bit.ly/3uom3E7
https://bit.ly/3qJ7Vmy
https://bit.ly/3brEOOi
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र तैयार किए गए तांबे को दिखाता है।] (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर में तांबा युग के उपकरण दिखाए गए हैं। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में तांबे के उत्पादन में लगे कार्यकर्ता को दिखाता है। (पिक्साबे)