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अलगाव-एकांत में रचनाओं को नई दिशा देने का बेहतर अवसर

जौनपुर

 15-02-2021 10:06 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
विशेषज्ञ विश्वव्यापी कोरोना (Corona) संकट से जूझ रहे लोगों के उपचार के साथ-साथ क्वारंटाइन और आइसोलेशन (Quarantine and self-isolation) या अलगाव को इस प्रकार के रोगों को फैलने से बचाने का कारगर उपाय मानते हैं। ऐसा करने से रोगी अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आ पाते हैं और रोग के प्रसारण की संभावना काफी कम हो जाती है। किंतु लम्बे समय तक क्वारंटाइन में रहने के कारण कोई भी व्यक्ति तनावग्रस्त हो सकता है। अकेलापन मनुष्य को हृदय रोग, मोटापा, चिंता, अवसाद, अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease), उच्च रक्तचाप आदि रोगों से ग्रसित कर सकता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस खाली समय का सदुपयोग कर कोई रचनात्मक कार्य किया जाए, ताकि मन प्रसन्न और मस्तिष्क दुरुस्त रह सके। एकांत में रहकर हम अपनी रचनात्मक शैली को और अधिक उभार सकते हैं और नए विचारों की उत्पत्ति के लिए एकांत सबसे अच्छा माना जाता है। विश्व प्रसिद्ध कलाकार और वैज्ञानिक एकांत में रहकर ही नई खोजों का निर्माण करने में सक्षम हो पाते हैं। शोध से पता चला है कि अलगाव और अकेलेपन में रहना कई नकारात्मक मनोवैज्ञानिक पहलुओं की ओर इशारा करता है और इसे अवसर के रूप में प्रयोग करना एक जटिल कार्य है। कई लोगों के मन में अकेले रहने का भय होता है। लोग अपने जीवन में एकांत चाहते है परंतु लम्बे समय के लिए अकेले रहना तनावपूर्ण होता है। हालाँकि आजकल सोशल मीडिया (Social Media) की बदौलत अकेले रहते हुए भी अकेलापन महसूस करना असम्भव है फिर भी एक समय के बाद सामाजिक मेल-मिलाप आवश्यक हो जाता है फिर चाहे व्यक्ति बहिर्मुखी हो या फिर अंतर्मुखी।
अलगाव को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो अकेले में हम वह सब कर सकते हैं जिसकी हम केवल कल्पना करते हैं। अपने सपनों को पूरा करने का यह सबसे अच्छा समय होता है। सोलो ट्रिप (Solo Trip) या अकेले भ्रमण, मनपसंद फिल्म देखना, मनपसंद रेस्ट्रॉंट (Restaurant) में खना खाना, मनपसंद गायक या बैण्ड (Band) के गाने सुनना, कोई नया कौशल सीखना इत्यादि ऐसे कार्य हैं जिन्हें अकेले रहकर भली-भाँति किया जा सकता है। इतिहास में कई ऐसे महान कलाकारों, लेखकों और वैज्ञानिकों इत्यादि के नाम दर्ज हैं जिन्होंने एकांत वातावरण में रहकर महत्वपूर्ण खोजों और रचनाओं के माध्‍यम से विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त की है। आइज़क न्यूटन (Isaac Newton), चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin), जॉन मिल्टन (John Milton) और लॉर्ड बायरन (Lord Byron) आदि विज्ञान और साहित्य जगत के उन्हीं महान लोगों में से हैं। इन सभी ने अपने जीवन में एक लम्बा समय अकेले रहकर गुजारा और उसी दौरान अपनी महान रचनाओं का स्वरूप तैयार किया। ईसा पूर्व 1665-56 के समय जब कैंब्रिज (Cambridge) में प्लेग (Plague) के कारण कई लोगों की मृत्य हो रही थी उसी दौरान सर आइजैक न्यूटन ग्राम लिंकनशायर (Lincolnshire) में अपने पारिवारिक फार्म हाऊस (Farm House) वूल्स्टोर्प मनोर (Woolsthorpe Manor) आ गए और लम्बी अवधि यहीं एकांत में रहते हुए बिताई। यही वह समय था जब सर न्यूटन ने अपने गुरुत्वाकर्षण के नियमों पर अपने सिद्धांतों, अ‍ॅप्टिक्स (optics), कैलक्यूलस (calculus) की थीयोरी (Theory) और गति के नियमों का आधार रूप तैयार किया। चार्ल्स डार्विन अपनी लम्बी बिमारी के चलते अलगाव में रह रहे थे और उनका मानना था कि इस समय ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें पूरी तरह से अपने अनुसंधान के लिए समर्पित होने में सक्षम बनाया। लॉर्ड बायरन जो वर्ष 1811 में हैजा की बीमारी से उभरे थे और इसी कारण उन्हे माल्टा में क्वारांटाइन (Quarantine) रहना पड़ा था। उन्होंने इसी दौरान माल्टा को एक विदाई कविता लिखी थी जो बहुत प्रसिद्ध हुई। वर्तमान समय में जब पूरा विश्व कोरोनावायरस से फैली महामारी से लड़ रहा है। इस रोग से बचने के लिए अलगाव को बचाव का ज़रिया माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी परिस्थिति में सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि वर्तमान परिस्थिति को स्वीकार किया जाए और उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग किया जाए।
वर्ष 2020 में वैश्विक रूप से अलगाव की स्थिति अपनाई गई। इस क्वारांटाइन में समय का सदुपयोग कर भारत में जन्मी भौतिक विज्ञानी डॉ. अमृता घाडगे ने क्वांटम टेक्नोलॉजी (Quantum Technology) का प्रयोग करके घर पर ही मैटर (Matter) का पांचवा चरण अर्थात बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (Bose-einstein condensate (BEC)) बनाया है। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि यह खोज पानी या अंतरिक्ष के अंदर क्वांटम तकनीक के ब्लू प्रिंट्स (Blue prints) तैयार करने में सक्षम हो सकती है। एंटोमोलॉजिस्ट (Entomologist) ब्रायन ब्राउन ने दो महीने के भीतर ही फ़ॉरिड मक्खियों (Phorid Flies) की नौ नई प्रजातियां खोज निकाली हैं। इसी प्रकार जॉन पाल्मसिनो (John Palmasino) और एन-सोफी रोन्न्सकॉग (N-Sophie Rönskog) ने "महासागरों में परिवर्तन," का एक 30-स्क्रीन वीडियो इंस्टॉलेशन (Screen video installation) बनाया, जो समुद्र के डेटा को कला में परिवर्तित करता है। इस बात से यह सिद्ध होता है कि महान खोजें और रचनात्मक कार्य अलगाव में रहकर कुशलता से संपन्न किए जा सकते हैं और भविष्य के लिए नई और महत्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tXkdJU
https://bit.ly/2Nobuje
https://bit.ly/37bTm2Y
https://go.nature.com/2NopXvx
https://bit.ly/3ahGFWk
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र लंबी पैदल यात्रा को दर्शाता है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर एक सोलो ट्रिप में एक बाइक को दिखाती है। (unsplash)
तीसरी तस्वीर बोस आइंस्टीन को घनीभूत दिखाती है। (विकिमीडिया)


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