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भारत एक विशाल जनसंख्या वाला विकासशील राष्ट्र है। इसकी अधिकतर आबादी लगभग 70% ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार की कमी होने से यहां के लोग शहरों की ओर आकृष्ट होकर पलायन करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की ओर पलायन भले ही बेहतर जीवन-स्तर के अवसर उपलब्ध कराता हो, परंतु इससे शहरों की आधारभूत संरचना और सीमित संसाधनों पर दबाव बनता है। अनियोजित शहरीकरण (unplanned urban development) इस पलायन से बढ़ते दबाव का ही परिणाम है।
अनियोजित शहरीकरण का सबसे बड़ा उदाहरण है झुग्गी-झोपड़ियाँ। लगभग हर बड़े शहर में झुग्गी-झोपड़ियां मिलती हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में ही 2019 में लगभग 750 झुग्गी-झोपड़ियां थी। 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुल 609 झुग्गी-झोपड़ियां थीं जिनमें प्रदेश की लगभग 27% आबादी रहती है।
अनियोजित शहरीकरण से शहर में आवास, जल, निकास एवं आवागमन में असुविधा होती है। इन जगहों में साफ सफाई ना होने की वजह से कई बीमारियां भी फैलती हैं। ऐसी स्थिति से शहर को निकालने के लिए सरकार कई तरह की संस्थाएं एवं प्राधिकरणों का गठन करती है। शहरी विकास प्राधिकरण एक ऐसी ही सरकारी संस्था है जो शहर में आधारभूत संरचनाओं (infrastructure) के विकास, व्यवसायिक परियोजनाओं (commercial schemes), आवासीय (residential schemes) योजनाओं, सुविधाओं, झुग्गियों के पुनर्वास, महा योजनाओं (master plans) की तैयारी और उनके कार्यान्वयन, पर्यावरण हितैषी योजनाओं (eco-friendly schemes) एवं परिवहन (transportation) के लिए जिम्मेदार है। सबसे पहला शहरी विकास प्राधिकरण (urban development authority) 1957 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) (DDA) के रूप में बना। उसके बाद 1976 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (Maharashtra Housing and Area Development Authority) (MHADA) और 1977 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (Haryana Urban Development Authority) की स्थापना की गई। इन प्राधिकरणों से निश्चित ही शहरों की दिखावट में बदलाव आया है और शहर अधिक व्यवस्थित रूप से बढ़े हैं।
जौनपुर लगभग 45 लाख की आबादी वाला 2011 की जनगणना के अनुसार गंगा के मैदान में स्थित उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस शहर में व्यवस्थित विकास के लिए बहुत पहले से ही परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। वर्ष 1973 में जौनपुर के लिए विनियमित क्षेत्र का गठन हुआ ताकि शहर का व्यवस्थित विकास हो सके। परंतु यह कारगर साबित नहीं हो पाया और वर्ष 2001 में संशोधन करके 2021 तक के लिए एक महायोजना का गठन किया गया। इस अंतराल में शहर की आबादी 3 लाख से 45 लाख तक पहुंच गई और शहर बेतरतीब बढ़ता गया। आज यहां अनियोजित शहरीकरण के कारण अतिक्रमण, रास्ता जाम एवं जलभराव जैसी कई समस्याएं आ रही हैं। इस वजह से ही यहां एक शहरी विकास प्राधिकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
शहरी विकास प्राधिकरण बनने से शहर को एक नया व्यवस्थित और सुंदर रूप मिलेगा। यहां सुगम यातायात के लिए चौड़ी सड़कें, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के साथ ही जल निकासी के भी बेहतर प्रबंध होंगे। व्यावसायिक क्षेत्रों में व्यवस्थित रूप से विकास होगा और शहर पहले से अधिक तरक्की करेगा। यही कारण हैं कि नवागत जिलाधिकारी कुमार वर्मा के प्रयासों से जौनपुर शहर के लिए एक विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। शासन से मंजूरी मिलते ही जौनपुर विकास प्राधिकरण का गठन हो जाएगा और शहर के व्यवस्थित विकास की शुरुआत होगी।
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