मनुष्य का विकास एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण घटना के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के विकास के साथ ही कई अन्य बिंदु भी हमारे समक्ष प्रस्तुत हुए उसी बिंदुओं में पक्षी जगत एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। विल्सन की बायोफीलिया (Wilson's biophilia) परिकल्पना में यह सिद्ध हुआ है जो कि मनुष्य में जीवन को जीने व उनकी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करने की एक महत्वपूर्ण समझ होती है। इस लेख में हम बायोफीलिया की परिकल्पना कर यह समझने की कोशिश करेंगे कि मनुष्य पक्षियों के आकर्षण में किस प्रकार से आया और उसने किस प्रकार से कई रोगों का पता लगाया। सर्वप्रथम हम बायोफीलिया परिकल्पना के विषय में जानने की कोशिश करते हैं, बायोफीलिया परिकल्पना एडवर्ड ओ विल्सन (Edward O. Wilson) ने अपनी पुस्तक जोकि 1984 में लोकप्रिय बनी में मनुष्य के प्रकृति और जीवन के अन्य रूपों के बीच के संबंध को उजागर करता है।
बायोफीलिया मनुष्य के जीवन प्रणाली को सहज रूप से परिकल्पित करता है। अरस्तु (Aristotle) ने इस विषय पर अपनी बात रखी है जिसमें वह मनुष्य और पक्षियों के बीच के संबंध को फायदेमंद मानते हैं इनके अलावा पीटर कहन (Peter kahn) और स्टीफन केलर्ट (Stephen Kellert) आदि भी इस विषय अपने विचार साझा किए हैं। यह भी माना जाता है कि पक्षियों एवं जानवरों के प्रति उनका स्नेह ज्यादा बढ़ जाता है जिनके अंदर 1 बच्चे का पोषण वह उसका लालन-पालन का रिश्ता विकसित हो जाता है। पक्षियों के साथ के रवैये से एक यह बिन्दु निकलकर सामने आता है की पंक्षियों से मनुष्य में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ भी आ जाती हैं। मनुष्य पक्षियों के प्रति सौन्दर्य के वशीभूत होकर ही नहीं उनको पालने या देखने का कार्य करता है अपितु उसको खाने का भी कार्य करता है और इस प्रकार से अनेकों बीमारियाँ उसकी जीवन में घर कर जाती हैं उदाहरण के लिए बर्ड फ्लू (Bird flu) को ही लिया जा सकता है। पक्षियों के प्रति मनुष्य का व्यवहार ऐतिहासिक रूप से बड़ा ही जटिल रहा है वह कला ही नहीं अपितु कई रूपों से इनके रंग आकार प्रकार आदि पर मोहित हुआ है यही कारण है की विभिन्न राज्य चिन्हों में पक्षियों का अंकन हमें देखने को मिल जाता है।
उनका यह स्वरूप विभिन्न कलाओं में आज भी हमारे समक्ष प्रस्तुत है लैक्सकॉन में हमें मूर्तियों आदि में इनका चित्रण देखने को सहसा ही प्राप्त हो जाता है। प्रत्येक कलाकार अपने कलाओं में मनुष्यों के पक्षियों के प्रति हुए आकर्षण को प्रस्तुत करने का अनूठा हुनर दिखाया है। विभिन्न संग्रहालय में व प्रदर्शनीयों में हमें इस सौंदर्य को देखने का सुअवसर प्रधान होते रहता है। अक्सर हम इस बिंदु को भूल जाते हैं की पंछियों से मात्र शारीरिक ही नहीं बल्कि उनके पारिस्थितिक और प्रकृति से संबंधित उपयोगिताओं के लिए भी उन से लगाव रखना महत्वपूर्ण है। पक्षी हमारे जगत के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण इकाई हैं परंतु यह भी बिंदु हमें याद रखना चाहिए कि उनके व्यवहार या उनके शिकार आदि से पारिस्थितिक ही नहीं अपितु हमारे आपके जीवन में भी कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं। बायोफीलिया के विषय में यदि गहराई से अध्ययन किया जाए तो यह बिंदु समक्ष आता है कि मनुष्य मातृत्व या फिर प्रेम के वशीभूत हो ऐसे जीवों या पक्षियों से लगाव लगा बैठता है जो उन्हें खुशी प्रदान करता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3p84aGm
https://en.wikipedia.org/wiki/Biophilia_hypothesis
https://bit.ly/3sK8YE8
https://bit.ly/363NHM5
https://bit.ly/392S4su
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र एक पक्षी की चित्रकारी दीवार पर दिखाया गया है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर में बर्ड फ्लू के लिए एक पक्षी का परीक्षण किया जा रहा है। (wikimwdia)
तीसरी तस्वीर में मानव के रूप में पक्षियों की चित्रकारी दिखाई गई है। (unsplash)