City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1245 | 94 | 0 | 0 | 1339 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने 2008 में जिलेवार मानव विकास सूचकांक की गणना शुरू की थी। इसके बाद दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र ने 2008 में, तीसरे और चौथे स्थान पर क्रमशः मिजोरम और दिल्ली ने 2013 में मानव विकास सूचकांक की गणना शुरू की। आज उत्तर प्रदेश जिलों के मानव विकास सूचकांक स्कोर (Score) की गणना करने के लिए दो अलग-अलग अभ्यास कर रहा है। पहला अभ्यास मानव विकास सूचकांक गणना के लिए चर के रूप में शिशु मृत्यु दर, साक्षरता दर और प्रति व्यक्ति आय को केंद्रित करता है जबकि दूसरा अभ्यास अधिक समावेशी है और शिशु मृत्यु दर, संस्थागत प्रसव, साक्षरता दर, सकल नामांकन राशन और प्रति व्यक्ति आय अर्थात पांच संकेतकों को केंद्रित करता है। नीति निर्माण और अनुसंधान में वर्तमान अध्ययन एक महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यह संकेतकों की एक श्रृंखला के लिए जिला-स्तरीय मानव विकास के नवीनतम अनुमान प्रदान करता है। मानव विकास सूचकांक के मामले में उत्तर प्रदेश के 72 जिलों में से, जौनपुर 59 वें स्थान पर है, हालाँकि जौनपुर की गरीबी दर सभी जिलों में सबसे कम है।
किसी भी देश के विकास के स्तर पर नजर रखने के लिए मानव विकास सूचकांक की आवश्यकता होती है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष अपनी वार्षिक विवरण में जारी मानव विकास सूचकांक विवरण के आधार पर देशों को पंक्तिबद्ध करता है। देश के विकास के स्तर पर नज़र रखने के लिए मानव विकास सूचकांक सबसे अच्छे साधन में से एक माना जाता है, क्योंकि यह आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को जोड़ता है। मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय साधन है जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक और आर्थिक आयामों में समग्र उपलब्धि को मापने के लिए किया जाता है। किसी देश के सामाजिक और आर्थिक आयाम लोगों के स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा के स्तर और उनके जीवन स्तर पर आधारित होते हैं। मानव विकास सूचकांक का निर्माण पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा 1990 में किया गया जो आगे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा देश के विकास को मापने के लिए उपयोग में लाया गया। मानव विकास सूचकांक के बारे में आप ओर अधिक हमारे प्रारंग की इस लिंक (https://bit.ly/3qcDPHr) में जाकर पड़ सकते हैं। अनुक्रमणिका की गणना चार प्रमुख सूचकांको को जोड़ती है जिनमें स्वास्थ्य के लिए जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के लिए प्रत्याशित वर्ष, स्कूली शिक्षा के लिए औसत वर्ष और प्रति व्यक्ति आय शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश ने अपना पहला मानव विकास सूचकांक वर्ष 2003 में और दूसरा 2008 में बनाया। दोनों रिपोर्टों ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme) पद्धति के अनुसरण में अपने सूचकांकों का निर्माण किया। इन विवरणों ने न केवल एक अंतर-राज्य तुलनात्मक रूप से उत्तरप्रदेश को प्रस्तुत किया बल्कि यह राज्य के जिलों के मानव विकास की स्थिति के विश्लेषण को भी सामने लाया। विश्लेषण वर्ष 1991, 2001 और 2005 के लिए किया गया था। महाराष्ट्र (2012), मिजोरम (2013) और दिल्ली (2013) सरकार अपने मानव विकास विवरण के साथ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्य सरकारों को भी अपने मानव विकास विवरण को नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अद्यतन करने की चुनौती दी।
उत्तर प्रदेश के मामले में, कुछ शोधकर्ताओं ने जिलेवार मानव विकास सूचकांक का आकलन करने की कोशिश की है लेकिन पुराने आंकड़ों का इस्तेमाल किया है। राज्य में प्रचलित सामाजिक और स्थानिक असमानताओं को देखते हुए, यह उन सभी जिलों में सापेक्ष मानव विकास की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए महत्वपूर्ण है जो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं। इसके अलावा, सत्तारूढ़ सरकारों में बार-बार बदलाव और नए जिलों को बनाने और नए नाम आदि प्रदान करने के उनके शौक भी कुछ राजनीतिक कारण हैं जो जिलों के मानव विकास स्तरों का नियमित अध्ययन करने के लिए कहते हैं। पिछले दशक में आर्थिक विकास, ढांचागत विस्तार और संरचनात्मक परिवर्तनों के विकास के स्तर में वृद्धि के साथ लोगों के अधिकारों और योग्यता के स्तर में भी वृद्धि हुई है। जिलेवार मानव विकास सूचकांक का अनुमान लगाने के लिए बुनियादी आंकडे 2011 की जनगणना वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट, उत्तर प्रदेश 2011-12, जिला प्राथमिक शिक्षा रिपोर्ट 2011-12, और आर्थिक गतिविधि 2011-12, आर्थिक और सांख्यिकी विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार से लिया गया।
चूंकि अध्ययन उत्तर प्रदेश के जिलों के मानव विकास की स्थिति का विश्लेषण और तुलना करने का एक प्रयास है, इसलिए राज्य के सभी 75 जिलों के आंकड़ों को अच्छी तरह से खोजा गया। भारत में जिला स्तर पर आंकड़ों की उपलब्धता की सीमाओं को देखते हुए, केवल 72 जिलों के आंकड़ों का उपयोग और संकलन किया गया। वर्तमान अभ्यास हेतु 72 जिलों के लिए मानव विकास सूचकांक के दो समूहों की गणना की गयी है, पहला तीन संकेतकों के आधार पर और दूसरा पांच संकेतकों के आधार पर। सूचकांकों का निर्माण तीन आयामों अर्थात् स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के लिए किया गया। वहीं अंतिम मानव विकास सूचकांक की गणना में दो चरण शामिल हैं। पहला चरण प्रत्येक संकेतक के लिए व्यक्तिगत आयाम सूचकांक की गणना है और दूसरा प्रत्येक जिले के लिए संयुक्त सूचकांक अर्थात मानव विकास सूचकांक की गणना है। प्रत्येक सूचक के लिए आयाम सूचकांक की गणना निम्न सूत्र का उपयोग करके की जाती है:
आयाम सूचकांक = वास्तविक दर – न्यूनतम दर/ अधिकतम दर – न्यूनतम दर
शिशु मृत्यु दर जैसे नकारात्मक संकेतक के लिए, निम्न सूत्र का उपयोग किया जाता है:
आयाम सूचकांक = अधिकतम दर – वास्तविक दर/ अधिकतम दर – न्यूनतम दर
राज्य में यदि शहरी और ग्रामीण प्रवास की बात की जाए तो ग्रामीण से शहरी प्रवासियों के वितरण के संदर्भ में, पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों के शहरी क्षेत्र प्रवासियों को लगभग समान रूप से (प्रत्येक में 40 प्रतिशत से अधिक) आकर्षित करते हैं। बाहरी राज्य से उत्तर प्रदेश में आर्थिक प्रवास काफी कम है। उत्तर प्रदेश में राज्य के भीतरी क्षेत्रों से पुरुष आर्थिक प्रवासी मध्यम आयु वर्ग (25-44) के होते हैं। ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जाने वाली आबादी में प्रवासियों की निरक्षर आबादी अधिक है। राज्य के भीतर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जाने वाले प्रवासियों में उन लोगों या प्रवासियों की आबादी अधिक है जिनके पास माध्यमिक शिक्षा है जबकि राज्य में स्नातक आबादी शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जाते हैं, यह प्रतिरूप सबसे अधिक सम्भावित सार्वजनिक क्षेत्र के स्थानांतरण को दर्शाता है। उनकी वर्तमान आर्थिक स्थिति के संदर्भ में, ग्रामीणों से शहरी क्षेत्रों में जाने वाले प्रवासियों के अपवाद के साथ शीर्ष प्रवासियों के बीच पुरुष प्रवासियों का बहुत अधिक प्रतिनिधित्व है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.