वर्तमान समय में किसी भी दृश्य को कैद करने के लिए हम अधिकतर डिजिटल फोटोग्राफी (Digital Photography) का उपयोग करते हैं। किन्तु कुछ वर्ष पहले जब डिजिटल फोटोग्राफी का विकल्प हमारे पास नहीं था, तब फोटोग्राफिक फिल्म (Film) का उपयोग किया जाता था। फोटोग्राफिक फिल्म एक पारदर्शी प्लास्टिक फिल्म बेस (Base) की एक पट्टी या शीट होती है, जिसे एक तरफ से जिलेटिन इमल्शन (Gelatin emulsion) से लेपित किया गया होता है। जिलेटिन इमल्शन में प्रकाश-संवेदनशील छोटे सिल्वर हलाइड क्रिस्टल (Silver halide crystal) होते हैं, जिन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। फिल्म की संवेदनशीलता, विषमता (Contrast) और स्थिरता (Resolution) क्रिस्टलों का आकार और उसकी अन्य विशेषताओं के आधार पर ही निर्धारित होती हैं। सबसे पहली व्यावहारिक फोटोग्राफिक प्रक्रिया डागरेरोटाइप (Daguerreotype) की थी, जिसे 1839 में पेश किया गया था, किंतु इस प्रक्रिया में फिल्म का उपयोग नहीं किया गया था। इसके बाद कॉलोटाइप (Calotype) प्रक्रिया का उपयोग किया गया जिसने पेपर निगेटिव (Paper negatives) को उत्पन्न किया।
1850 के दशक की शुरुआत में, कैमरे (Cameras) में फोटोग्राफिक पायस से लेपी गयी पतली कांच प्लेटों का उपयोग किया जाने लगा। कांच प्लेटों का उपयोग फिल्म की शुरुआत के बाद लंबे समय तक किया जाता रहा और सन् 2000 तक इनका उपयोग एस्ट्रोफोटोग्राफी (Astrophotography) और इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफी (Electron Micrography) के लिए भी किया जाने लगा, किंतु उसके बाद उन्हें डिजिटल रिकॉर्डिंग (Recording) विधियों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। पहली लचीली फोटोग्राफिक रोल (Roll) फिल्म को जॉर्ज ईस्टमैन (George Eastman) द्वारा 1885 में बेचा गया था, जो कि, अत्यधिक ज्वलनशील सेल्यूलोज नाइट्रेट (Cellulose nitrate) फिल्म से बनाया गया था। 1908 में कोडेक (Kodak) द्वारा सेल्युलोज एसीटेट (Cellulose acetate) या ‘सेफ्टी (Safety) फिल्म’ को पेश किया गया, लेकिन शुरूआती समय में इसका उपयोग खतरनाक नाइट्रेट फिल्म के विकल्प के रूप में केवल कुछ विशेष अनुप्रयोगों के लिए ही किया गया था। 1876 में, हर्टर (Hurter) और ड्रिफ़िल्ड (Driffield) ने फोटोग्राफिक इमल्शन की लाइट (Light) संवेदनशीलता पर कार्य करना शुरू किया। 1933 में एक्स-रे (X-ray) फिल्मों का उपयोग किया गया, हालांकि, सेफ्टी फिल्म का इस्तेमाल तब भी किया जाता रहा। 21 वीं सदी की शुरुआत तक फिल्म, फोटोग्राफी का प्रमुख रूप बनी रही, किंतु डिजिटल फोटोग्राफी में प्रगति ने उपभोक्ताओं को कैमरे के डिजिटल स्वरूप की ओर आकर्षित किया।
फिल्म के अप्रचलित होने से पहले यह एक लाभदायक और सुरक्षित बाजार था। 2001 में, दुनिया भर में फिल्म की बिक्री अपने चरम पर थी, लेकिन उसके बाद यह बाजार सिकुड़ता चला गया। बेहतर स्मार्टफोन (Smartphone) और अपेक्षाकृत सस्ते डिजिटल कैमरे ने फिल्म के उपयोग को लगभग मुख्य धारा से बाहर कर दिया। 2010 में, फोटोग्राफिक फिल्म की दुनिया भर में मांग, दस साल पहले मौजूद मांग के दसवें भाग से भी कम हो गई थी। यह बाजार गायब नहीं हुआ, बल्कि बदलता चला गया। 1990 के दशक के इंटरनेट (Internet) और व्यक्तिगत कंप्यूटर के लोकतांत्रिकरण के बाद, उपभोक्ताओं ने डिजिटल कैमरों की खरीद शुरू की। एनालॉग (Analog) से डिजिटल इमेजिंग (Imaging) में संक्रमण ने फिल्म निर्माताओं के लिए अनेकों कठिनाइयों का प्रतिनिधित्व किया। कोडेक, फुजीफिल्म (Fujifilm) जैसे फिल्म निर्माताओं को डिजिटल फोटोग्राफी के चलते काफी नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि, फुजीफिल्म ने इस नुकसान से उभरने में बड़े पैमाने पर सफलता हासिल की। कोडेक जैसी कम्पनियों (Companies) की विफलता का मुख्य कारण जहां डिजिटल दुनिया को अपनाने में इनकी असमर्थता को माना गया, वहीं कम्पनियों की आत्म संतुष्टि को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जो डिजिटल फोटोग्राफी को अपनाने के लिए तैयार नहीं थी। किंतु वास्तव में असफलता का मुख्य कारण विविधीकरण की कमी थी, जिसकी वजह से कंपनियां खराब प्रबंधन के चलते तकनीकी के साथ तालमेल नहीं बैठा पायी।
भले ही डिजिटल युग में, फिल्म फोटोग्राफी सामान्य लोगों के जीवन का हिस्सा न हो, लेकिन पेशेवरों और शौकीन लोगों के बीच यह आज भी लोकप्रिय बनी हुई है। इसका प्रमुख कारण इससे प्राप्त होने वाले आकर्षक परिणाम हैं, जो डिजिटल फोटोग्राफी द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते। फिल्म के द्वारा व्यक्ति फोटोग्राफी में हर रोज कुछ न कुछ सीखता है, जिसके परिणाम बहुत दिनों बाद ही पता चलते हैं। पेशेवरों और शौकीन लोगों के लिए फिल्म विभिन्न मापदंडों पर खरी उतरती है, चाहे फिर वह उसकी टोनल (Tonal) गुणवत्ता हो या फिर प्राकृतिक प्रकाश में तस्वीरें खींचने की क्षमता। इस प्रकार यह उद्योग फिर से उभरता हुआ नजर आ रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में विषाणु के प्रसार को रोकने के लिए जहां फार्मास्युटिकल फर्म्स (Pharmaceutical firms) टीके की खोज करने की ओर अग्रसर हैं, वहीं विशेष रूप से कैमरे बनाने के लिए जाना जाने वाला कोडेक अब दवा निर्माण में संलग्न हो गया है। फोटोग्राफी उद्योग कोडेक कोरोना विषाणु से लड़ने में मदद करने के लिए उन सामग्रियों का निर्माण करेगा, जिन्हें जेनेरिक (Generic) दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि, बड़े पैमाने पर उत्पादन तक पहुंचने में इसे अभी तीन या चार साल का समय लग सकता है। प्रमुख दवा सामग्री के उत्पादन का कोडेक का यह प्रयास अमेरिका की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.