क्या सबकी पसंदीदा जलेबी की उत्पत्ति भारत में हुई थी?

जौनपुर

 05-01-2021 02:40 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

कोविड-19 (Covid-19) तालाबंदी के कारण आस-पास की मिठाई की दुकानें बंद हो गईं, जिस कारण अधिकांश लोग समोसा, चिकन मोमोज और जलेबियों के लिए तरस गए और लगभग अधिकांश लोगों ने इंटरनेट की मदद से घर पर ही समोसे, मोमोज, जलेबियाँ और यहाँ तक कि गोलगप्पे बनाने लगे। गूगल (Google) खोज रुझानों के अनुसार, रेसिपी (Recipe) संबंधी खोजों ने रविवार 19 अप्रैल को एक नया उच्च कीर्तिमान बनाया है। दिलचस्प बात तो यह है कि मई के महीने में हालांकि केक की रेसिपी को सबसे अधिक खोजा गया, साथ ही लोगों ने समोसा, जलेबी, मोमोज, ढोकला, पानी पूरी, डोसा और पनीर के व्यंजन बनाने के तरीके के बारे में भी यूट्यूब (Youtube) में देखा। इसके अलावा फिल्मों (Films) और किसी विषय के अर्थ के बाद कोरोनावायरस (Coronavirus) अप्रैल के दौरान भारत में तीसरा सबसे अधिक खोजा जाने वाला विषय था। उड़द-दाल के बैटर (Batter) से बनी, इमरती जलेबी की अधिक मात्रा वाली चचेरी बहन है, जो पतली, कुरकुरी और मैदे के आटे का उपयोग करके बनाई जाती है। जौनपुर की इमरती व्यापक रूप से जानी जाती है और कई लोगों की पसंदीदा है लेकिन निकट संबंधी जलेबी का क्या।
दरसल रसभरी कुरकुरी मीठी जलेबियों को ज़ुलबिया और ज़लाबिया के नाम से भी जाना जाता है जो एशिया की लोकप्रिय मिठाईयों में से एक है। आप अकेले या समोसे के साथ जलेबी के स्वाद का आनंद ले सकते हैं, लेकिन इसको मलाईदार रबड़ी के साथ भी खाया जा सकता है। हरिद्वार और इंदौर जैसे कई भारतीय शहरों में कुरकुरे गर्म जलेबियों के साथ एक गिलास दूध पसंदीदा नाश्ता है। अधिकांश लोगों द्वारा पसंद की जाने वाली यह जलेबी अपना रसभरा स्वाद कैसे प्राप्त करती है वह नुस्खा इसकी विधि में निहित है, तो चलिए एक नज़र डालते हैं इसे बनाने की विधि पर। जलेबी को प्रायः आटे, मैदे, या सूजी से बनाया जाता है। इनमें से किसी भी एक सामग्री को लेकर उसे दही के साथ फेंटा जाता है तथा एक पेस्ट (Paste) का रूप दिया जाता है। इसके बाद इस पेस्ट को लगभग 8 घण्टे तक किण्वित होने के लिये छोड़ दिया जाता है। तैयार मिश्रण को एक कपड़े में बांधकर उसमें छेद किया जाता है और गर्म कढाई में गोल और घुमावदार आकृति बनाकर तब तक तला जाता है जब तक कि यह सुनहरी और कुरकुरी नहीं हो जाती। अंत में इसे चाशनी की कढाई में कुछ समय के लिए डुबाया जाता है जहां से यह अपना मीठा और रसभरा स्वाद प्राप्त करती है। सबसे रोचक बात तो यह है कि 500 वर्षों में, जलेबी को कई अवतारों में रूपांतरित किया गया है, जिन्हें आप निम्न पंक्तियों में देख सकते हैं:
• जलेबा: एक जलेबा का वजन 300 ग्राम तक होता है और यह इंदौर के रात के बाजारों में प्रसिद्ध है।
• पनीर जलेबी: कम कुरकुरी और भारी; इसको जलेबी के बैटर में पीसा हुआ पनीर डालकर बनाया जाता है।
• चनार जिलिपी: बंगाल में लोकप्रिय, यह मिठाई जलेबी के रूप में एक प्रकार का बंगाली गुलाब जामुन है।
• मावा जलेबी: टुकड़े किया हुए मावे को पीसा जाता है और दूध में मिलाया जाता है। 1 घंटे के बाद इसे मैदा और दही के नियमित मिश्रण में जोड़ा जाता है, और बाकी की प्रक्रिया समान होती है।
लेकिन क्या आपको पता है कि आपकी पसंदीदा जलेबी, भारतीय नहीं बल्कि पश्चिम एशियाई (West Asian) या फ़ारसी (Persian) आयात है? जलेबी की उत्पत्ति भारत में नहीं हुई, बल्कि पश्चिम एशियाई "ज़ोलबिया" या "ज़लाबिया" का एक संस्करण है। ईरान (Iran) में, ज़ालबिया को समारोह (खासकर रमज़ान के इफ्तार समारोहों के दौरान) में दावत में परोसा जाता था, जिसका आनंद हर कोई उठाता था। 13 वीं शताब्दी में, प्रसिद्ध लेखक मुहम्मद बिन हसन अल-बगदादी (Muhammad bin Hasan al-Baghdadi) ने उस समय के सभी व्यंजनों को एकत्र किया और उन्हें अपनी रसोई की किताब 'किताब अल-तबीख (Kitab al-Tabeekh)' में चित्रित किया, जहाँ ज़ालबिया का पहली बार उल्लेख किया गया था। मध्यकाल में भारतीय तटों पर तुर्की (Turkey) और फ़ारसी व्यापारियों और कारीगरों के हमले के साथ ज़ालबिया को भारतीय भोजन में पेश किया गया और इसके बाद यह भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न अंग बन गया।
15 वीं शताब्दी तक, जलेबी उत्सव के अवसरों, शादियों और यहां तक कि मंदिर के भोजन में एक मुख्य आधार बन गई। जैन (Jain) लेखक जिनसुरा (Jinasura) द्वारा रचित एक प्रसिद्ध जैन ग्रंथ, प्रियांकर्णप्रकाश (Priyamkarnrpakatha), की रचना लगभग 1450 ईस्वी सन् में हुई थी, जिसमें उल्लेख किया गया है कि कैसे अमीर व्यापारियों की सभाओं में जलेबी का आनंद लिया जाता था। 16 वीं शताब्दी में, जलेबी का उल्लेख 'भोजाना कुतुहला (Bhojana Kutuhala)' में किया गया है, जो रघुनाथ द्वारा लिखित व्यंजनों और खाद्य विज्ञान की पहली उपमहाद्वीप की किताब है। पुस्तक में जिस रेसिपी का जिक्र किया गया था, वह आज भी जलेबी तैयार करने के लिए प्रचलित है। 1600 से पहले एक अन्य संस्कृत रचना गुन्यगुनबोधिनी (Gunyagunabodhini), पकवान की सामग्री और नुस्खा को सूचीबद्ध करता है, जो आज जलेबियों को तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सामग्री और नुस्खे के कुछ समान हैं।

संदर्भ :-
https://en.wikipedia.org/wiki/Jalebi
https://bit.ly/2GRCqBF
https://bit.ly/3o5G1jj
https://bit.ly/2kvR5Ld
https://bit.ly/38bHmzI
https://bit.ly/355kEqG
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में जलेबी को दिखाया गया है। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर जलेबी के बक्से को दिखाती है। (Prarang)
तीसरी तस्वीर जौनपुर में एक मिठाई की दुकान में मेनू दिखाती है। (Prarang)


RECENT POST

  • जौनपुर के युवा, जानिए, सब्सक्रिप्शन आधारित ई-कॉमर्स में व्यवसायिक अवसरों और चुनौतियों को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:26 AM


  • सूर्य की ऊर्जा और सुप्त पृथ्वी में, जीवन के संचार का प्रतीक हैं, लोहड़ी के अलाव की लपटें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:20 AM


  • आइए जानें, भारत में मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े अवसरों और चुनौतियों को
    मछलियाँ व उभयचर

     13-01-2025 09:21 AM


  • आइए देखें, लोहड़ी को कैसे मनाया जाता है
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:21 AM


  • चलिए, अवगत होते हैं, तलाक के मामलों को सुलझाने में परामर्श और मध्यस्थता की भूमिका से
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:19 AM


  • एल एल एम क्या है और कैसे ये ए आई तकनीक, हिंदी के विकास में योगदान दे रही है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     10-01-2025 09:26 AM


  • चलिए समझते हैं ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी में इसके अनुप्रयोग के बारे में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:22 AM


  • आइए जानें, आज, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, कितने अदालती मामले, लंबित हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:19 AM


  • विश्व तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में, इस्पात उद्योग की भूमिका और रुझान क्या हैं ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:36 AM


  • भारत में, परमाणु ऊर्जा तय करेगी, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id