रोगों का निवारण कर अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाली शीतला माता

जौनपुर

 28-12-2020 11:02 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

भारत देश सदियों से विभिन्‍न धर्मों और संस्कृतियों को संजोए हुए है। भारतीय संस्कृति में जहाँ एक तऱफ लाखों देवी-देवताओं की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर प्राचीन धर्म ग्रंथों, शास्त्रों, वेदों का भी विशेष मह्त्व है। इन शास्त्रों और वेदों में कई ऐसे प्राकृतिक तत्वों या जीवों का उल्लेख मिलता है जो प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर नहीं हैं परंतु इनसे प्राप्त तत्व अनेकों प्रकार से उपयोगी और गुणकारी होते हैं। उदाहरण के लिए गाय से प्राप्त दूध जो पोषक तत्वों (Nutrients) से परिपूर्ण है, गौमूत्र जिसमें कीटाणुओं को मारने का गुण है और गाय का गोबर जो खेती में उर्वरक (Fertilizer) की भाँति कार्य करता है एवम्‌ तुलसी का पौधा जिसका प्रयोग औषधि बनाने में किया जाता है। इसी प्रकार न जाने कितने ही तत्व प्रकृति ने हमें दिये हैं, अत: हमारी संस्कृति में इन सभी को ईश्वर के समरूप समझा जाता है।

हिंदु धर्म में वर्णित देवियों में से एक दुर्गा माता का एक रूप और शिव की पत्नी शीतला माता हैं। पूरे देश में मुख्य रूप से दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में इनकी पूजा की जाती है। रंगों के त्योहार होली के आठवें दिन देवी शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला नाम शीतल शब्द से बना हुआ है। संस्कृत में जिसका शाब्दिक अर्थ है ठंडा या शांत, और शीतला का अर्थ है ठंडक या शांति प्रदान करने वाली। शीतला माता को घावों एवम्‌ विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने वाली माता कहा जाता है। बंगाली (Bengali) 17 वीं शताब्दी की शीतला-मंगल, शुभ कविता जैसे शाब्दिक ग्रंथों में शीतला माता का उल्लेख मिलता है। इनको भारत और विश्व के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए भारत के उत्तर पूर्व भाग (North East) की कई जनजातियों और गांवों के लोग इन्हें ग्राम देवी के नाम से जानते हैं। दक्षिण भारत (South India) में इन्हें देवी कारू मरियमन (Goddess Karu Mariamman) के नाम से जाना जाता है और वहाँ ऐसी मान्यता है कि वह छोटा चेचक (Small Pox) जैसे विभिन्न रोगों का निवारण करती हैं।

एक हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार एक जरासुर (Jvarasura) नाम का राक्षस था, जिसका जन्म तप करते हुए शिव के ललाट (fore-head) के पसीने से हुआ। वह ज्वर अथवा बुखार का दानव था। इस दानव के प्रकोप से सभी देवी-देवता भयभीत थे। जरासुर ने अपनी शक्ति से सभी बच्चों को बुखार से ग्रसित कर दिया था। तब देवी कात्यायनी ने शीतला माता का रूप लेकर सभी बच्चों के रक्त से बुखार के जीवाणु को नष्ट करके रक्त को शुद्ध किया। उसके बाद ज्वरासुर माता शीतला का सेवक बन गया। अत: इसी कारण शीतला माता को रोग दूर कर अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाली और रक्त को अपने आशीर्वाद से शुद्ध कर शीतलता प्रदान करने वाली देवी कहा जाता है। शीतला चौकिया धाम मंदिर (Sheetala Chaukia Dham Temple) उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है। सोमवार और शुक्रवार के दिन यहाँ भारी संख्या में लोग आते हैं। साथ ही नवरात्री के दौरान भी यहां श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ रहती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण जौनपुर के अहीर शासकों के समय में हुआ था। 'अहीर' (Ahir) एक उपनाम था जो उस कबीले (clan) के वंशज रखते थे।
शीतला माता को केवल हिंदु धर्म के लोग ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म और कई आदिवासी समुदाय (Tribal Communities) के लोग भी पूजनीय मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने से रक्त कोशिकाओं (Blood Cells) को मजबूती मिलती है। शीतला माता को कभी-कभी रक्तावती (Raktavati) रक्त की देवी के साथ चित्रित किया जाता है, कभी-कभी उनकी पूजा ओलादेवी (Oladevi) के साथ की जाती है। ओलादेवी मायासुर की पत्नी थी, जो असुरों, दानवों के प्रसिद्ध राजा और एक वास्तुकार थे। बंगाल (Bengal) में ओलादेवी की अर्चना हैजा की देवी (Goddess of Cholera) या हैजा के रोग से मुक्त करने वाली देवी के रूप में की जाती है। बंगाल के मुस्लिम लोग इन्हें ओलाबीबी या बिबीमा (Olabibi or Bibima) नाम से जानते हैं, एक प्रचलित कहानी के अनुसार ओलाबीबी एक कुंवारी मुस्लिम राजकुमारी (Virgin Muslim Princess) जो एक रहस्यमय तरीके से गायब हो गई और राज्य के मंत्री के बेटों का इलाज करते हुए एक देवी के रूप में प्रकट हुई। शीतला माता की तरह पौराणिक कथाओं में कई देवियों का वर्णन मिलता है जो भक्तों के दु:खों (Sorrows) और कष्टों (Sufferings) का अन्त करती हैं और उन्हें स्वास्थ (Health), समृद्धि (Prosperity) का आशीर्वाद देती हैं।

संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/Shitala
https://en.wikipedia.org/wiki/Sheetala_Chaukia_Dham_Mandir_Jaunpur
https://en.wikipedia.org/wiki/Jvarasura
https://siddhalalitha.org/web/online/writeups/shitala.php
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में शीतला माता की 2 अलग-अलग मूर्तियाँ दिखाई गई हैं। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर शीतला माता मंदिर को दर्शाती है। (Wikimedia)


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