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भारत की मृदा सम्पदा पर देश के उच्चावच तथा जलवायु का व्यापक प्रभाव परिलक्षित होता है। देश में इनकी विभिन्नताओं के कारण ही अनेक प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती हैं। भारत में मिट्टी को मुख्यतः पांच भागों, जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी, लाल मिट्टी, लैटराइट (Laterite) मिट्टी तथा मरु मिट्टी में विभाजित किया गया है। कृषि की दृष्टि से भारत में आठ मिट्टी प्रमुख हैं: जलोढ़ मिट्टी; काली मिट्टी; लाल एवं पीली मिट्टी; लैटराइट मिट्टी; शुष्क मृदा; लवण मृदा; दलदली मृदा और वन मृदा। जौनपुर में उपजाऊ खेती योग्य भूमि (गोमती के किनारे होने के कारण जलोढ़ मिट्टी) का एक बड़ा क्षेत्र है जो विभिन्न खाद्य और नकदी फसलों के लिए उपयोग की जाती है। वहीं मुख्य रूप से जौनपुर में रेतीली और दोमट, जलोढ़, रेतीली, क्षारीय प्रकृति वाली रेतीली दोमट मिट्टी पाई जाती है।
जलोढ़ मिट्टी : जलोढ़ मिट्टी को जल द्वारा बहाकर लाया जाता है तथा किसी अन्य स्थान पर एकत्रित किया जाता है। यह भुरभुरी अथवा ढीली होती है। जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू और बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं। यह मृदा लगभग 15 लाख वर्ग कि.मी. या कुल क्षेत्र के लगभग 46% हिस्से का आवरण करती है तथा सबसे बड़ी मृदा समूह है। यह सबसे अधिक उत्पादक कृषि भूमि प्रदान करते हुए भारत की 40% से अधिक आबादी का समर्थन करती है। इस मृदा में नाइट्रोजन (Nitrogen) का अनुपात कम होता है तथा पोटाश (Potash), फॉस्फोरिक एसिड (Phosphoric Acid) और क्षार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं और इसका पीएच मान (PH value) 6.6-8 है।
यदि हम भारत में इसकी उपलब्धता की बात करें तो यह उत्तर पूर्वी क्षेत्र (गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में इंडो-गैंगेटिक (Indo-gangetic) मैदानी इलाकों) में पाया जाता है, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश। वहीं तम्बाकू, कपास, चावल, गेहूं, बाजरा, ज्वार, मटर, अरहर, चना, काला चना, हरा चना, सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, अलसी, तिल, जौ, जूट, मक्का, कोई भी तिलहन, सब्जियाँ और फल आदर्श सिंचाई के तहत इस मिट्टी में उगाए जा सकते हैं।
दोमट मिट्टी : दोमट मिट्टी रेत, गाद और मिट्टी का एक संयोजन है और इसमें प्रत्येक के लाभकारी गुण मौजूद रहते हैं। इसकी नमी और पोषक तत्वों को बनाए रखने की क्षमता की वजह से इसे खेती के लिए बेहतर माना जाता है। ऐसी दोमट मिट्टी को कृषि मृदा कहा जाता है क्योंकि इसमें तीनों प्रकार की मिट्टी की सामग्री का मिश्रण होता है जिसमें रेतीली, चिकनी मिट्टी और गाद होती है, और ह्यूमस (Hummus) भी निहित होता है। दोमट मिट्टी में गाद, रेत और चिकनी मिट्टी के अंश मिश्रित होने की वजह से भिन्न-भिन्न प्रकार की दोमट बनती हैं जैसे रेतीली दोमट, गाद दोमट, चिकनी दोमट, रेतीली चिकनी दोमट आदि। इनके अलावा, इसके अजैवी स्रोतों के कारण इसमें कैल्शियम (Calcium) और पीएच का स्तर अधिक होता है। इसमें गाद मृदा की तुलना में जल रिसाव और जल निकासी की अधिक प्रबल क्षमता होती है। इसकी यही जलावशोषण क्षमता इसे फसल उगाने के लिए आदर्श बनाती है।
गेहूं, गन्ना, कपास, दलहन और तिलहन सहित कई फसलों को उगाने के लिए दोमट मिट्टी आदर्श है। इस दोमट मिट्टी में, सब्जियां भी अच्छी तरह से उगती हैं। टमाटर, मिर्च, हरी सेम, खीरे, प्याज, और सलाद पत्ता आम सब्जियों और फसलों के कुछ उदाहरण हैं जो एक दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगते हैं। मीठी मकई, भिंडी, मूली, बैंगन, गाजर, सेम की फली, प्याज और पालक अन्य आम सब्जियां हैं जो रेतीले दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगती हैं। सामान्य तौर पर, रेतीले दोमट मिट्टी में जड़ वाली सब्जियों और पत्तेदार सब्जियों के पौधे अच्छी तरह से विकसित होते हैं।
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