उत्तर प्रदेश अपने खाद्य व्यंजनों के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है और यही कारण है कि यहाँ की अवधी पाक शैली और रामपुरी पाक शैली इतनी मशहूर है। हम अक्सर लखनऊ के कोरमा और रामपुर के तार गोस्त के विषय में सुनते या चखते हैं लेकिन इनके अलावां एक और भी स्थान है जहाँ का तीखा और सुगन्धित मसालों से बने खाने के विषय में बहुत कम ही जानते हैं, जिसमे प्याज नहीं बल्कि दही का प्रयोग किया जाता है। यह खाना कहीं और का नहीं बल्कि हमारे जौनपुर का है। जौनपुर की पाक शैली आज बहुचर्चित नहीं है लेकिन इसके और उत्तर प्रदेश के अन्य पाक कलाओं के विषय में बात करें तो यहाँ के तीन पाक कला- अवधी, रामपुरी और जौनपुरी में जौनपुरी पाक कला ही एक ऐसी कला है जो की सबसे प्राचीन है। जौनपुर शहर की स्थापना 1360 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक के द्वारा किया गया था, तथा यह तुगलकों के बाद शर्कियों के राज्यक्षेत्र में रहा। शर्कियों ने जौनपुर को अपनी राजधानी बनाया था। सिकंदर लोदी के आक्रमण के बाद इसे दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया तथा कालांतर में यह मुगलों के अधिकार क्षेत्र में आगया। जौनपुरी पाक कला उसी समय की देन है लेकिन समय का फेर देखिये की आज जौनपुर में रहने वाले हम जौनपुरियों को भी यहाँ के पाक कला के विषय में वो ज्ञान नहीं है जो की होना चाहिए। वर्तमान समय में यदि खोजा जाए तो कुछ ही ऐसे खानसामे हैं जो की जौनपुरी खाना बनाने का हुनर जानते हैं, ये खानसामे आज शादियों आदि समारोहों में ही खाना बनाने जाते हैं तथा शेष बचे साल वे बेरोजगार ही रहते हैं। इस वाक्य से हम यह समझ सकते हैं की जौनपुरी पाक कला जानने वाले खानसामे वर्तमान समय में बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। जौनपुर के पाक कला में शायद ही टमाटर का प्रयोग किया जाता है और अवधी तथा रामपुर के उलट यहाँ पर खाना बनाने में घी का नहीं बल्कि सरसों के तेल का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता था। जौनपुरी पाक कला हांलाकि मुस्लिम व्यंजनों से ताल्लुख रखता है लेकिन बावजूद इसके इस पाक कला में सब्जियों की अत्यधिक विविधता देखने को मिलती है। यहाँ के खाद्य के मध्य में इतनी विविधता वास्तव में हिन्दू और मुस्लिम धर्म के मध्य के रिश्ते को प्रदर्शित करते हैं।
जौनपुर की पाक कला में लाल रोटी और रोगनी नान अत्यंत ही मुलायम व्यंजन है जिसके साथ यहाँ के अन्य पकवानों को खाया जाता है, यहाँ की रोटी मिट्टी के बर्तन में कोयले पर पकाया जाता है। यहाँ का व्यंजन बिना प्याज के बनाए जाने पर भी अवधी व्यंजनों से काफी हद तक मिलता है, जौनपुर के व्यंजन में हल्दी का भी प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है जो की अवधी और रामपुरी पाक कला में देखने को नहीं मिलता है। जौनपुरी व्यंजनों में लाल मुर्ग, बदिजन बुरनी अदि हैं।
बदिजन के विषय में बात की जाए तो बदिजन बुरनी संभवतः ईरान (Iran) के रास्ते जौनपुर आया क्यूंकि बदिजन एक फारसी शब्द है बैगन को संबोधित करने का। इस खाने को पकाने के लिए पहले बैगन को नरम होने तक पकाया जाता है फिर उसे दही और मसालों के साथ मसला जाता है तथा इसमें फिर प्याज और जीरा मिलाया जाता है। यह एक अत्यंत ही स्वादिष्ट व्यंजन है जिसे की रोटी के साथ या ब्रेड (Bread) के साथ खाया जा सकता है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.