विटामिन-सी (Vitamin-C) से भरपूर आंवला हमारी सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है, यह आंखों, बालों और त्वचा के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही इसके और भी कई फायदे हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। 100 ग्राम (Gram) के आंवले में कुल 720 एम.जी. (MG) तक विटामिन सी (Vitamin-C) की मात्रा पायी जाती है। यदि बात की जाएं आंवले के स्वाद कि तो वास्तव में इसमें छह स्वादों में से पांच स्वाद : खट्टा, मीठा, तीखा, कड़वा और कसैला होते हैं। आंवले का वैज्ञानिक नाम फाईलेंथस एम्ब्लिका (Phyllanthus Emblica) है तथा यह करौंदा प्रजाति का पेड़ है।
आंवले का घरेलु चिकित्सा विधियों में भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है तथा दवा के अलावा इसका प्रयोग अचार, मुरब्बा और चटनी आदि बनाने के लिए भी किया जाता है। वहीं आंवले का वृक्ष मध्यम आकार का होता है तथा इसका आकार करीब 26 फुट (Foot) तक हो सकता है। आंवले की कुछ अन्य प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं जिनका आकार आम के वृक्ष के जितना भी होता है। इस वृक्ष की पत्तियां हल्के हरे रंग के साथ इमली की पत्तियों की तरह दिखती हैं। आंवले के वृक्ष में फल से पहले हरे-पीले रंग के पुष्प खिलते हैं। शरद ऋतु में आंवलों के पकने पर इन्हें ऊपरी शाखाओं पर चढ़कर तोड़ा जाता है।
हिन्दू धर्म में आंवले के वृक्ष को एक धार्मिक वृक्ष के रूप में पूजा जाता है तथा ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु इस वृक्ष में निवास करते हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि आंवले का वृक्ष अमृत की बूंदों से बना हुआ वृक्ष है। केवल इतना ही नहीं हिन्दू धर्म में आंवला एकादशी नामक एक त्यौहार भी मनाया जाता है, इस दिन स्त्रियां इस वृक्ष की पूजा करती हैं और इस वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करती हैं। धार्मिक महत्व होने के कारण लोगों का इस वृक्ष के प्रति आस्था और विश्वास बना रहता है। इंडियन गूस्बेरी (Indian gooseberry) के नाम से जाना जाने वाले आंवले से संबंधित कई कहानियाँ मौजूद है, ये कहानियाँ ज्यादातर हमारे पवित्र विद्या में पाई जाती हैं जो इस अभूतपूर्व पेड़ और इसके फलों के वास्तविक गुणों की पुष्टि करती हैं। बौद्ध धर्म में इस फल से जुड़ी अत्यंत महत्वपूर्ण कहानियाँ भी प्रचलित है: एक कथा के अनुसार सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध संघ को अंतिम विदाई में उपहार के रूप में आधा आंवला दिया था, जिसका विवरण अशोकावदान में हमें देखने को मिलता है। इसके अलावा थेरवाद बौद्ध धर्म में फुस्स बुद्ध (इक्कीसवें बुद्ध) द्वारा बोधि प्राप्त करने के लिए आंवले वृक्ष का उपयोग किया गया था।
आंवला पीढ़ियों से सौंपे गए पारंपरिक ज्ञान का हिस्सा बन चुका है, यह घरेलू फल आम बीमारियों के इलाज के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध है।
• आंवले का सेवन खांसी, सर्दी और फ्लू (Flu) को रोकने और इलाज करने में मदद करता है साथ ही यह प्रतिरक्षा और पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है।
• रोजाना एक या दो आंवला खाने से भी त्वचा और बालों के विकास में सुधार हो सकता है।
• इसमें प्रतिउपचायक, सूजनरोधी, जीवाणुरोधी और कैंसर (Cancer) विरोधी गुण होते हैं।
• यह तनाव को कम करने और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ करने में बहुत प्रभावी है; गुर्दे की खराबी को रोकने में इसका बुढ़ापा विरोधी कृत्य विशेष रूप से फायदेमंद है।
• आंवला हमारे यकृत की रक्षा करता है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और यदि इसका सेवन शहद के साथ किया जाए तो यह दृष्टि में सुधार करता है।
• प्रसिद्ध च्यवनप्राश (जो 80 प्रतिशत आंवला से बना होता है), को अक्सर सर्दियों के महीनों के लिए अनुशंसित किया जाता है क्योंकि यह श्वसन प्रणाली में मदद करता है।
• आंवले के पेड़ के सभी भागों में औषधीय गुण होते हैं। सहस्राब्दी से आयुर्वेद विभिन्न बीमारियों के लिए आंवले का उपयोग करते रहे हैं।
उपरोक्त दी गई पंक्तियाँ आंवले के गुणों के बारे में जानकारी प्रदान करती है, किसी भी रोग में इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें।
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