प्राचीन काल से ही उपचार के लिए किया जा रहा है कीड़ों का उपयोग

जौनपुर

 06-12-2020 06:11 AM
तितलियाँ व कीड़े

कीड़े एक मिलियन प्रजातियों वाले जीवों का सबसे विविध समूह हैं। जो पूर्वी एशिया में, खाद्य कीड़े पोषक तत्वों के स्रोत के रूप में अपना महत्व बनाए हुए हैं। इनमें से, रेशम के कीड़े और मधुमक्खियाँ भोजन के प्रसिद्ध स्रोत हैं और इनका उपयोग बड़ी संख्या में मानव विकारों के उपचार के लिए भी किया जाता है। खाद्य पदार्थों (एंटोमोफैगी (Entomophagy)) के साथ-साथ औषधीय गुणों (एंटोमोथेरेपी (Entomotherapy- कीड़ों से सम्बंधित उपचार को एंटोमोथेरेपी के रूप में जाना जाता है)) से भरपूर कीड़ों की मांग काफी उच्च है। एंटोमोथेरेपी विधा से प्राचीन और आधुनिक काल में भी इलाज किया जाता है। पारंपरिक रूप से यह माना जाता था कि कई कीड़ों और जीवों के शरीर के कुछ अंग मनुष्यों से मिलते जुलते हैं, ऐसे में कई सभ्यताओं में उन कीड़ों का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता था।
कीड़े और उनसे निकाले गए पदार्थों का उपयोग बड़ी संख्या में विश्व भर के मानव समूहों ने औषधीय संसाधनों के रूप में किया है। यदि देखा जाए तो चिकित्सा के अलावा कीड़ों का प्रयोग कई संस्कृतियों में कई बीमारियों के उपचार में रहस्यमय और जादुई भूमिका निभाई है। कीड़ों द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी उपचारों पर दुनिया भर में कई वैज्ञानिकों ने बेहतर तरीके से शोध आदि किये जिसमें यह पाया गया कि कई प्रकार के रोगों के उपचार में कीड़ों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है, उदाहरण के तौर पर जब हम बात करते हैं तो मधुमेह की बिमारी के दौरान घाव आदि लग जाने पर कीड़ों के जरिये ही इलाज किया जाता है। आज दुनिया भर में कीड़ों के आधार पर कई बीमारियों का उपचार किया जा रहा है और यह एक अत्यंत ही सुलभ उपचार के रूप में निकल कर सामने आया है। भारत में प्राचीन काल से ही इन कीड़ों का प्रयोग उपचार में किया जाता जा रहा है, इसके कई लेख आयुर्वेद में हमें देखने को मिल सकते हैं। आयुर्वेद में दीमक का प्रयोग विशिष्ट और अस्पष्ट दोनों प्रकार की बीमारियों में किया जाता था। दीमक का प्रयोग नासूर, रक्ताल्पता और आमवाती जैसे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता था तथा इसको ही दर्द निवारक के रूप में भी लिया जाता था। जेट्रोफा (Jatropha) के पत्ते पर पाया जाने वाला एक अन्य कीट भी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, इस कीट को काट के उबाल कर एक घोल बनाया जाता है और इस घोल के प्रयोग से बुखार, जठरान्त्र आदि जैसी बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि भारत में प्राचीन काल से ही कीड़ों का प्रयोग किया जाता जा रहा है। यद्यपि लगभग प्रत्येक महाद्वीप पर चिकित्सा उपचार के लिए पूरे इतिहास में कीड़े का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था, लेकिन जीवाणुनाशक दवाओं के क्रांतिकारी आगमन के बाद से अपेक्षाकृत कम चिकित्सीय कीटविज्ञानिक शोध किए गए हैं। आर्थ्रोपोड्स (Arthropod) नए औषधीय यौगिकों के एक समृद्ध और बड़े पैमाने पर अनन्वेषित स्रोत का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं मैगोट (Maggots) का उपयोग माया (Maya) और स्वदेशी आस्ट्रेलियाई (Australians) लोगों द्वारा घाव भरने के लिए किया जाता था। उनका उपयोग पुनस्र्त्थान यूरोप (Europe) में, नेपोलियनिक (Napoleonic) युद्धों में, अमेरिकी नागरिक युद्ध में, और पहले और दूसरे विश्व युद्धों में किया गया था। साथ ही मधुमक्खी उत्पाद रोगाणुरोधी कारकों की एक विस्तृत सारणी और प्रयोगशाला अध्ययनों में प्रदर्शित होते हैं और जीवाणुनाशक प्रतिरोधी जीवाणु, अग्नाशयी कैंसर (Cancer) कोशिकाओं और कई अन्य संक्रामक रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए जाना गया है।
इसके अलावा भारत और चीन में भी इस प्रकार से कीड़ों से सम्बंधित इलाज अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं। अब आधुनिक दौर में एंटोमोथेरेपी की बात करें तो इसका प्रयोग कई जीवाणुनाशक आदि दवाओं का निर्माण कीटों के आधार पर ही किया जाता है। भारत के न्येशी और गालो जनजाति जो कि अरुणांचल प्रदेश में पाए जाते हैं, अपने इलाज के लिए कीड़ों का प्रयोग बड़े पैमाने पर करते हैं। ये जनजातियां गुबरैला आदि का भी प्रयोग स्वास्थ सम्बंधित मामलों के लिए करती हैं। भारत में मधुमक्खी उत्पाद शहद का उपयोग कई आयुर्वेदिक योगों में किया जा रहा है, पुरातन समय से और यमकवा (Yamakawa) ने दिखाया है कि कीड़े आमतौर पर, प्रतिरक्षाविज्ञानी, पीड़ाहर, जीवाणुरोधी, मूत्रवर्धक, संवेदनाहारी और आमवातरोधी दवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संदर्भ :-
https://en.wikipedia.org/wiki/Insects_in_medicine
https://bit.ly/3gxvKc7
http://www.bioscience.org/2020/v25/af/4802/fulltext.htm
https://hicare.in/blog/entomotherapy-medical-uses-insects/
https://ethnobiomed.biomedcentral.com/articles/10.1186/1746-4269-7-5
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में विभिन्न कीटों द्वारा प्राप्त पोषक तत्वों को दिखाया गया है। (Youtube)
दूसरे चित्र में दीमकों को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
तीसरे चित्र में जेट्रोफा (Jatropha) पर पाए जाने वाले औषधीय कीट को दिखाया गया है। (Freepix)


RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id