ठंड के मौसम में मुख्य रूप से आने वाली पत्तेदार सब्जियों में पालक का नाम सबसे ऊपर है। इस हरी सब्जी में कई पोषक तत्वा मौजूद हैं, जो कहीं और नहीं मिल सकते। कई कार्टून (Cartoon) जैसे पोपए (Popeye) में दिखाया गया है कि कैसे पोपए पालक खाने के बाद काफी ताकतवर हो जाता था, वास्तविकता में भी कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि हरी पत्तेदार सब्जी वास्तव में मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाती है। पालक में मौजूद अकार्बनिक नाइट्रेट (Nitrate) इसकी ताकत के पीछे का रहस्य है। वहीं चूहों में किए गए एक अध्ययन में चूहों को नाइट्रेट मीक्षित पानी दिया गया और पाया गया कि उनके पानी ने दो प्रमुख प्रोटीनों को उत्तेजित करके मांसपेशियों को काफी मजबूत कर दिया। नाइट्रेट की मात्रा जो चूहों को मिली थी, वह लगभग एक व्यक्ति को प्रतिदिन 200 से 300 ग्राम ताजा पालक या दो से तीन चुकंदर खाकर प्राप्त होने के बराबर थी।
ऐसा माना जाता है कि पालक प्राचीन फारस (Persia) या वर्तमान के ईरान (Iran) और आसपास के देश में पाया गया था। वहां से यह भारत में पहुंचा, लेकिन यह ज्ञात नहीं है कि इसे वहां कौन लाया था? प्राचीन चीन (China) में यह भारत से आया और इसे "फारसी सब्जी" का नाम दिया गया। वहाँ पालक का पहला लिखित उल्लेख मिलता है, जो कहता है कि ‘यह 647 वर्ष के आसपास नेपाल (Nepal) से होकर चीन आया था’। सार्केन्स (Saracen - जो कि बाद के मध्ययुगीन काल में यूरोपीय (Europeans) कहे जाने वाले मुसलमान थे) वर्ष 827 में सिसली (Sicily) से पालक लाए थे। भूमध्यसागर (Mediterranean Sea) में पालक का उल्लेख करने वाले पहले ग्रंथ 10वीं शताब्दी में लिखे गए थे। उस समय के दौरान जब अरब (Arabs) ने भूमध्यसागर में अधिकार किया था, तब पालक बहुत लोकप्रिय था और समय के साथ में यह स्पेन (Spain) में आया था, इसके बाद यह पूरे विश्व भर में फैल गया।
पालक की बेल ऊंचाई में 30 सेंटीमीटर तक बढ़ सकती है और इसकी पत्तियों की चौड़ाई 15 सेंटीमीटर तक और लंबाई 30 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसके बीज बहुत छोटे फलों (त्रिज्या में 10 मिलीमीटर) से आता है और ये फल भी समान रूप से छोटे फूलों (5 मिलीमीटर) से आते हैं। हालांकि भारतीय पालक की उत्पत्ति एशिया से होती है लेकिन अब इसे अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसे आमतौर पर पकाकर खाया जाता है लेकिन कुछ इसे सलाद में कच्चे रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। भारतीय पालक एक मुलायम तने वाली बेल है, जो मोटे हरे पत्ते और अर्ध-रसीले होते हैं। डंठल हरे या पीले रंग के होते हैं, लेकिन कुछ किस्मों में वे बैंगनी या लाल रंग के हो सकते हैं। ये गर्म उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाए जाते हैं और 10 मीटर की लंबाई तक पहुँच सकते हैं।
पालक विटामिन ए (Vitamin A), विटामिन सी (Vitamin C), विटामिन के (Vitamin K), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), विटामिन बी6 (Vitamin B6), विटामिन ई (Vitamin E), कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (Potassium), आहार फाइबर (Dietary Fiber), मैग्नीशियम (Magnesium), मैंगनीज (Manganese), फोलेट (Folate) और आयरन (Iron) का एक बड़ा स्रोत है। 100 ग्राम पालक में केवल 23 कैलोरीज (Calories) होती है। यद्यपि इसमें उच्च मात्रा में आयरन (मांस से अधिक) होता है, लेकिन इसमें ऑक्सालेट (Oxalate) भी होता है जो आयरन का अवशोषण और अवरोधक पदार्थ होता है, और यह आयरन को अवशोषित करने से रोकता है, इसलिए इससे इसका संपूर्ण लाभ नहीं प्राप्त होता है। ऑक्सालेट कैल्शियम के अवशोषण को भी रोकता है और इसकी वजह से, शरीर पालक से केवल 5% कैल्शियम को अवशोषित कर सकता है।
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