कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संक्रमण से दुनिया के लगभग सभी देश प्रभावित हो चुके हैं। दुनिया भर में लाखों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और कई लोगों की मौत तक हो चुकी है। देश-दुनिया में प्रतिदिन कोरोना वायरस के नए मामले सामने आ रहे हैं, जिस वजह से सार्वजनिक स्थानों पर लोग मास्क पहनने के लिये मजबूर हो गये है। कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी भी है। यह बोलने, छींकने और खांसने के दौरान बाहर निकलने वाले ड्रॉपलेट्स को रोकता है और कीटाणुओं के प्रसार को सीमित करने में मदद करता है। मास्क का उपायोग संक्रमण को रोकने और जीवन बचाने के उपाय के तौर पर किया जाना चाहिए।
अब यदि मास्क पहनने के तरीके की बात की जाए तो, इसे ठीक तरह से पहनना और उतारना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि गलत तरीके से मास्क पहनने और उतारने से संक्रमण से बचाने वाला मास्क ही नई मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है। इसलिये हमें पता होना चाहिए कि मास्क पहनते और उतारते समय हमें क्या सावधानियां रखनी चाहिये। ताकि वे असरदार हो और संक्रमण को बढ़ने से रोके।
मास्क को पहनते वक्त इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है-
• मास्क को छूने से पहले अपने हाथों को साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ कर लें।
• मास्क पहनने से पहले सुनिश्चित कर लें कि मास्क कोई छेद तो नहीं है। अगर मास्क खराब हो गया है तो उसे तुरंत किसी साफ और सूखे मास्क से बदल दें।
• ध्यान रखें कि आप मास्क सीधा ही पहने। मास्क को ध्यान से पहनें और पक्का करें कि यह आपके मुंह और नाक को ठीक तरह से कवर कर रहा हो।
• पहनने के दौरान मास्क को छूने से बचें इसे ईयर लूप (Ear loops) के माध्यम से पकड़े और अच्छी तरह से कानों के चारों ओर लूप लगा लें। यदि मास्क बाधने वाला है तो उसे अच्छे से सिर के पीछे बांध लें।
• सिंगल यूज मास्क को दोबारा उपयोग में न लाएं। एक बार उपयोग के बाद ठीक तरह से डिस्पोज कर दें।
• यदि आप ऐसे स्थान पर जा रहे है जो संक्रमण से जोखिम भरा ना हो वहां आप फैब्रिक मास्क पहनें, ताकि भीड़ के आपको हवा ठिक से मिलती रही।
• परंतु यदि आप 60 वर्ष से अधिक हैं, चिकित्सालय में काम करते है, अस्वस्थ है या आपके परिवार का कोई सदस्य बिमार है तो सर्जिकल मास्क ही पहने। कोशिश करे कि FFP2, FFP3, N95, N99 माक्स ही पहने।
मास्क को उतारते वक्त इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है-
• मास्क को छूने से पहले अपने हाथों को साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ करें। मास्क को छूने से बचें, क्योंकि मास्क के सामने का हिस्सा दूषित होता है। अगर आपने अनजाने में मास्क का सामने का हिस्सा छू लिया है तो हाथ साफ करने के लिए एल्कोहल हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। इसे हमेशा लूप या किनारे से उतारे।
• इसके बाद उसे किसी बैग में रखे और कूड़े में फेंक दें। अपने हाथों को साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ करें।
• इसे कभी भी पुनरावृत्ति कचरे या जैविक कचरे के साथ ऐसे ही ना फेंके, पहले इसे प्लास्टिक बैग और बैग को मजबूती से बांधें उसके बाद ही फेंके। यदि आप संक्रमित है या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में है तो अतिरिक्त सावधानी बरतें बैग फेंकने से पहले उस पर लिख दे “इससे कोरोना संक्रमण फैलने का जोखिम हो सकता है”।
• मास्क को ऐसे ही फेंक देने से संक्रमण का खतरा तो होता ही है परंतु इससे अलावा इससे पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है। ये हमारे पर्यावरण के लिए विनाशकारी बनते जा रहे हैं, क्योंकि दुनिया में ज्यादातर लोग टीएनटी (TNT) से बने मास्क का उपयोग कर रहे हैं, जो व्यावहारिक और सस्ते होते हैं, लेकिन इन्हें धोने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है और ये नष्ट होने में 400 से 450 वर्ष लेते है। हाल के महीनों में, जब महामारी बढ़ी, तो डिस्पोजेबल मास्क जिन्हें सही तरीके से फेंका नहीं गया था वे हर जगह इधर उधर फेले हुये नजर आये जिनसे वन्यजीव और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा। मार्च में, हांगकांग में पर्यावरणविदों के समूहों ने बताया कि बड़ी संख्या में ये मास्क समुद्र तटों पर दिखाई देने लगे। उन्होनें चेतावनी दी कि यह अपशिष्ट मानव जीवन, समुद्री जीवन और वन्यजीव आवासों के लिए खतरा है। यदि इसे अनदेखा किया गया तो यह अपशिष्ट नए प्रकार के कोरोनावायरस को जन्म दे सकता है। इसलिये इनको साकधानी पूर्वक फेंकना अति आवश्यक है।
हालांकि कोरोना महामारी के इस दौर में संक्रमण से बचने के लिए हर किसी को मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है परंतु ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या बच्चों के लिये भी मास्क जरूरी है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने अब बच्चों के मास्क पहनने को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इस नई गाइडलाइन के मुताबिक 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को वयस्कों की तरह ही मास्क (Mask) पहनना चाहिए परंतु 5 साल या इससे कम उम्र के बच्चों को मास्क नहीं पहनना जरूरी नहीं है (जब तक कि वो शारीरिक रूप से बीमार व्यक्ति के करीब ना हो) क्योंकि छोटे बच्चे न तो मास्क पहन सकते हैं और न ही उतार सकते हैं। वहीं 6 से 11 साल की उम्र के बच्चों को उन जगहों पर मास्क जरूरी है जहां कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा है या फिर उन जगहों पर जहां पर भीड़ काफी ज्यादा है। इसके अलावा माता पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह बच्चों के मास्क पहनने और उतारने के तरीकों पर ध्यान दें। बेहतर होगा कि उन्हें सही से मास्क पहनना व उतारना सिखाएं। शारीरिक रूप विकलांग या बिमार बच्चों के लिए मास्क का उपयोग उनकी स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करता है यदि बच्चों को मास्क पहनने से श्वास लेने में परेशानी होती है तो मास्क पहनना उनके लिये अनिवार्य नहीं है।
ऐसा नही हे कि केवल बच्चों को ही मास्क पहनने में दिक्कत होती है, बड़ों को भी होती है। क्या आपको पता है पगड़ी पहनने वाले सिखों को मास्क पहनने में दिक्कत होती थी क्योंकि पगड़ी की वजह से उनके कान ढंके रहते है और इनकी दाढ़ी भी बड़ी हुई रहती है। परन्तु इस समस्या को ध्यान में रखकर डिज़ाइनर सनी डेलाइला (Sunnie Delilah) ने ऐसा मास्क बनाया है जिसे पगड़ी के साथ आसानी से पहना जा सकता है। सनी ने अपने सिख ससुर के संघर्ष को देखने के बाद इस मास्क पर काम करना शुरू किया, और आज उनको दुनिया भर से इसके ऑडर आ रहे हैं।
इनके अलावा निर्मन सिंह भी मास्क पहनने की इस समस्या परेशान थे, फिर उन्होने सिंगापुर की एक कंपनी के साथ व्यावसायिक रूप पगड़ी वाले पुरुषों के लिए अनुकूलित फेस मास्क डिजाइन और बनाने का फैसला किया। इसके बाद सिंगापुर में सभी सिख समुदाय इसका उपयोग करने लगे। ये शायद सिंगापुर में इस तरह के पहले मास्क हैं। इस मास्क की खासियत यह है कि मास्क के आगे के हिस्से बड़ा बनाय गया है और इसकी डोर कान तक ना जाकर सिर के पीछे तक जाती है।
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