मोहम्‍मद के जन्‍मोत्‍सव मिलाद से जूड़े अध्‍याय

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
27-10-2020 09:59 PM
मोहम्‍मद के जन्‍मोत्‍सव मिलाद से जूड़े अध्‍याय

विश्‍व में अनेक धर्मों का अनुसरण किया जाता है और प्रत्‍येक धर्म के कोई ना कोई अराध्‍य या गुरू होते हैं, जिनके बताए मार्ग पर उनके भक्‍त या शिष्‍य चलते हैं। ये लोग अपने अराध्‍य के जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण घटनाओं को बड़े हर्षोल्‍लास के साथ मनाते हैं। जैसे आज इस्‍लाम धर्म के पैगम्‍बर हजरत मोहम्‍मद साहब जी के जन्‍म दिवस 'मिलाद' को मनाया जा रहा है। मिलाद एक अरबी शब्‍द है, जिसका अर्थ होता है “जन्‍म”। इसकी शुरूआत 13वीं शताब्‍दी से हुई थी, मिलाद का प्रचार-प्रसार मुख्‍यत: सूफी काल के दौरान हुआ। मध्य पूर्व से दक्षिण-पूर्व एशिया तक, पूर्वी अफ्रीका से पश्चिमी तक प्रवासी समुदायों के द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न रूप में मिलाद को मनाया गया। कोई इसे मोहम्‍मद के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाता है, तो कोई धार्मिक वार्षिकोत्‍सव के रूप में। इस उत्‍सव में मूल रूप से मिलाद की पुस्‍तक पढ़ी जाती है। इस्‍लाम में मोहम्‍मद को ईश्‍वर के दूत के रूप में पूजा जाता है, जिसने ईश्‍वर के संदेश को संपूर्ण ब्रह्माण्‍ड में फैलाया। मोहम्‍मद की इसी गाथा को मिलाद के रूप में गाया जाता है।
किंतु इसके विषय में कुछ मतभेद भी हैं। कुछ मुस्लिम वर्ग मिलाद को मनाने का समर्थन नहीं करते हैं, उनका मानना है कि मोहम्‍मद ने कभी अपना जन्‍म दिवस नहीं मनाया और न ही उनके समकालीन ने। मोहम्‍मद ने कभी इसकी आज्ञा नहीं दी है। ये मुहम्‍मद को मानवीय श्रेणी से ऊपर मानते हैं। इसके विपरित जो मुस्लिम मिलाद को मानते हैं, उनके लिए इसका विशेष महत्‍व है। यह उनका मोहम्‍मद के प्रति प्रेम है, जो उन्‍हें ईश्‍वर के निकट लाता है। मिलाद वास्‍तव में एक पाठ या भक्‍ति गीत भी है, जिसे विशेष रूप से मोहम्‍मद के जन्‍मोत्‍सव के लिए तैयार किया गया था। इसे कई भाषाओं जैसे अरबी, कुर्दिश, तुर्की आदि में लिखा गया है। मिलाद में मुहम्मद के जीवन की कहानियों का भी वर्णन किया गया या उनके जीवन के कुछ अध्याय, संक्षेप में प्रस्तुत किए गए हैं:
1. मुहम्मद के पूर्वज
2. मुहम्मद के सिद्धान्‍त
3. मुहम्मद का जन्म
4. हलीमा का परिचय
5. बदौंस में युवा मुहम्मद का जीवन
6. मुहम्मद का अनाथ जीवन
7. अबू तालिब के भतीजे की पहली कारवां यात्रा
8. मुहम्मद और ख़दीजा के बीच विवाह की व्यवस्था
9. अल-इसरा
10. अल-मिराज, या स्वर्गारोहण
11. अल-हीरा, पहला रहस्योद्घाटन
12. सर्वप्रथम इस्लाम में परिवर्तित होना
13. हिजरा
14. मुहम्मद की मृत्यु
ये अध्‍याय अलग-अलग समारोहों का हिस्सा हैं। ‍मिलाद को मनाने के भिन्‍न-भिन्‍न तरीके हैं, ये इस पर निर्भर करता है कि इसे कब, कहां और कैसे मनाया जा रहा है। मिलाद में इनकी संस्‍कृति की झलक ‍दिखाई देती है। सबसे प्रसिद्ध मिलादों में से एक तुर्की संस्‍करण है, ‍जिसे सुलेमान चेलेबी द्वारा लगभग 700 वर्ष पहले लिखा गया था। जो कुछ हद तक अब्राहिम की परंपराओं से मेल खाता है, जिनका केंद्र बिन्‍दू एक स्‍त्री अर्थात इनकी माताएं जैसे मुहम्‍मद की मां, यीशू की मां आदि हैं। इनकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं:
कुछ ने कहा इन तीनों आकर्षणों में से
एक चांदनी जैसा चेहरा था
एक निसंदेह लेडी मैरी थी,
और तीसरी एक होरी सूंदरी
फिर यह चन्‍द्रमा के समान आकृतियां मेरे पास आयी
और उन्‍होंने मुझे दयालु होने की शुभकामना दी;
फिर वे मेरे चारों ओर बैठी, और मुझे दिया
मोहम्‍मद के जन्‍म का शुभ संदेश;
और मुझसे कहा: “आपके पुत्र के समान पुत्र
तब से इस दुनिया में नहीं आया है, जब से ईश्‍वर ने इस सृष्टि को बनाया है,”
और सर्वशक्तिमान ने भी पहले इसे नहीं भेजा था
आपका पुत्र बड़ा ही प्‍यारा होगा।
आपको बहुत सौभाग्‍य मिला है,
हे प्रिये ये तुम्हारे पुण्‍यों से पैदा हुआ है!
यह जो आया है वह ज्ञान का राजा है,
सूक्ति और तौहीद [एकेश्वरवाद] की खान है।
उसके प्यार के लिए आकाश घूमता है,
मनुष्‍य और जिन्न उसके चेहरे के लिए तरस रहे हैं।
यह रात वह रात है, जो पूरी तरह शुद्ध है
यह दीप्तिमान प्रकाश को दुनिया में फैलाएगा!
इस रात, धरती स्वर्ग बन गयी है,
इस रात भगवान दुनिया पर दया कर रहे हैं।
इस रात ने दया वालों को खुशी से भर दिया,
यह रात प्रेमियों को एक नया जीवन देती है।
दुनिया के लिए दया मुस्तफा है,
पापियों के मध्यस्थ: मुस्तफा!'
यहाँ मुहम्मद की सर्वोपरि गुणवत्ता रहमतून ली ‘एल-आलमीन ("संपूर्ण सृष्टि के लिए एक दया") का उल्‍लेख किया गया है, जो कुरान के 21: 107 से संदर्भित है। इस गीत के अगले भाग में मोहम्‍मद का स्‍वागत किया गया है:
आपका स्वागत है, हे श्रेष्‍ठ राजकुमार, हम आपका स्वागत करते हैं!
आपका स्वागत है, हे ज्ञान के भण्‍डार, हम आपका स्वागत करते हैं!
आपका स्वागत है, हे पुस्तक के रहस्य, हम आपका स्वागत करते हैं!
आपका स्वागत है, हे दर्द की दवा, हम आपका स्वागत करते हैं!
आपका स्वागत है, हे सूर्य और भगवान की चाँदनी!.................................
इस कविता के माध्‍यम से मुस्लिम कभी भी मोहम्‍मद के जन्‍मदिवस को मना सकते हैं। मिलाद के अवसर पर मुस्लिम समुदाय समारोह का आयोजन करते हैं। वास्‍तव में मिलाद मोहम्‍मद को सम्‍मानित करने का एक अवसर है, जिसे यह कभी भी कर सकते हैं अर्थात परमात्‍मा को कभी भी सम्‍मानित किया जा सकता है।
मिलाद में मोहम्‍मद की गाथा के अतिरिक्‍त विभिन्‍न संतों के पंथ, धार्मिक मार्ग, मनोकामना की पूर्ति के लिए आभार, मानक साहित्यिक गतिविधियाँ देखने को मिलती हैं। निश्चित रूप से यह परंपरा, विभिन्न प्रकार के स्थानीय रूपों को प्रस्तुत करती है, अक्सर विभिन्‍न समुदाय की सांस्कृतिक पहचान के अनुकूलन और रूढ़िवादिता तथा लोकप्रिय इस्लाम के बीच मध्यस्थता को दर्शाती है। इल गुइंदी (El Guindi) (1995: 80) ने उल्लेख किया है, मिलाद का एक विशिष्ट गुण पौराणिक और रहस्यमय, अनुष्ठान और शास्त्रविद्, धार्मिक और राजनीतिक/आर्थिक, तथा लोकप्रिय परंपरा के सभी पहलुओं का सम्मिश्रण है। इसके अलावा, विविध अनुष्ठान परंपराएं अक्सर उस क्षेत्र के पूर्व-इस्लामिक सांस्कृतिक लक्षणों को दर्शाते हैं, जिनका बाद में विकास किया था।

संदर्भ:
https://onbeing.org/blog/the-celebration-of-mawlid-the-birthday-of-the-prophet/
https://www.persee.fr/doc/ethio_0066-2127_2007_num_23_1_1503 (doctrinal background)
https://en.wikipedia.org/wiki/Mawlid#Mawlid_texts
चित्र सन्दर्भ:
तुर्की में मावलिद का उत्सव।(persee)
दूसरी छवि दिखाता है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का जौनपुर में जुलूस।(youtube )
तीसरी छवि ईद उल मिलाद मनाने के लिए जौनपुर में सजावट को दर्शाती है।(youtube)