दशानन की खूबियां

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
26-10-2020 10:38 AM
दशानन की खूबियां

17 वीं शताब्दी के आसपास 1647 में मैसूर के महाराजा वोडेयार ने धूमधाम से दशहरे के त्यौहार को मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दशहरा अलग-अलग नाम, परंपरा, कथाओं के साथ मनाया जाता है, लेकिन उन सब का मूल आशय एक ही है- बुराई पर अच्छाई की जीत।
दशहरे का महत्व

दशहरे का महत्व दो विजयों पर आधारित है। पुराणों में उल्लेख है कि इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर राक्षस को युद्ध में परास्त करके उसका वध कर दिया था। दूसरा सन्दर्भ भगवान राम का है।इस दिन उन्होंने लंकेश रावण पर विजय हासिल की थी। नवरात्रि पूजन के बाद दशहरे के दिन देवी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
रावण के 10 सिर का

महाकाव्य रामायण का बहुत ही महत्वपूर्ण चरित्र है रावण। बाल्मीकि रामायण में रावण को बहुत ही शक्तिशाली और अत्याचारी, राक्षसों का राजा दर्शाया गया है। रावण ने राजा राम की पत्नी सीता का अपहरण किया था। राजाराम काफी कष्ट बाधाओं को पार करके सीता की रक्षा के लिए लंका पहुंचते हैं। अंत में राम की विजय होती है। हिंदू पुराणों के अनुसार राक्षस होने के बावजूद रावण बहुत ज्ञानी था, संत विश्रवा का पुत्र था। रावण को 64 प्रकार के ज्ञान प्राप्त थे। चारों वेदों का ज्ञाता था। उसने रावण संहिता नाम से हिंदू ज्योतिष पर ग्रंथ रचा था। आयुर्वेद राजनीति की उसे गहरी जानकारी थी।
रावण के 10 सिर और 20 भुजाएं थी। यह 10 गुणों का प्रतिनिधि होते हैं- काम ,क्रोध ,मोह ,लोभ,गौरव, मतस्यास,मानस, बुद्धि, चित्त और अहंकार। रावण के 10 सिर चार वेदों और छह उपनिषदो की गहरी जानकारी के प्रतीक हैं। यह उसे 10 विद्वानों के समकक्ष रखते हैं।
दस सिरों की एक और व्याख्या दस इंद्रियों के रूप में की गई है। पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कर्म इंद्रियां इनमें शामिल है। रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। 10 सिर, ज्ञान वैभव और सोने की लंका के राज पाठ के बाद भी रावण खुश नहीं था उन ग्राम व अपनी शक्तियों का प्रयोग राक्षसी कार्यों में करता था। रावण में अहम और अहंकार बहुत ज्यादा था। दशहरे का त्यौहार इस संदेश को हम तक पहुंचाता है कि सत्य न्याय का रास्ता अपनाकर हम राजा राम की तरह विजय प्राप्त कर सकते हैं। अन्याय के रास्ते पर चलकर तमाम शक्तियों, वैभव और ज्ञान के बावजूद नकारात्मक सोच रावण को पराजय के कगार पर ले जाता है।

बनारस की रामलीला

दुनिया के सबसे पुराने देशों में शुमार भारत का वाराणसी शहर अपने यहां होने वाली रामलीला के लिए प्रसिद्ध है। अट्ठारह सौ से रामनगर किले के पीछे यह रामलीला खेली जाती है। इसकी शुरुआत वहां के नरेश उदित नारायण सिंह ने की थी पुणे के पास के बहुत बड़े मैदान में एक भव्य मंच बनाया जाता है। उसमें अशोक वाटिका, लंका और अयोध्या के प्रमुख स्थल बनाए जाते हैं। कलाकार मुखोटे, संगीत, कागज की लुगदी से पुतलों का निर्माण करते हैं। उनके एक जगह से दूसरी जगह जाने पर दर्शक भी साथ साथ चलते हैं।

सन्दर्भ:
https://www.spiritualawareness.co.in/blog/dussehra-and-its-significance/
https://www.oneindia.com/india/dussehra-2019-what-did-ravana-s-10-heads-signify-2959293.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Mysore_Dasara
https://timesofindia.indiatimes.com/city/bengaluru/mysuru-dasara-was-first-recorded-in-1647/articleshow/71398114.cms
https://www.treebo.com/blog/dussehra-celebration-in-india/
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि में शहर जौनपुर में दशहरा का उत्सव दिखाया गया है।(indian express)
दूसरी छवि में शहर मैसूर में दशहरा का उत्सव दिखाया गया है।(wikipedia)
तीसरी छवि शहर दिल्ली में दशहरे का उत्सव दिखाती है।( flickr)
चौथा चित्र शहर कोलकाता में दशहरे का उत्सव दर्शाता है।(flickr)
पांचवीं छवि चेन्नई शहर में दशहरे का उत्सव दिखाती है।(wikipedia)