मां शीतला चौकिया धाम जौनपुर के मुख्य आस्था केंद्रों में से एक है, जहां श्रद्धालु भारी संख्या में माता के दर्शन करने, उनकी पूजा-अर्चना करने तथा अपनी मुरादों की गुहार लगाने आते हैं। यूं तो यहां भक्तों का जमावडा अक्सर देखने को मिलता है किंतु नवरात्रि के दौरान यह नजारा और भी अधिक सुंदर और समृद्ध होता है। नवरात्रि के अलावा प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को यहां मेला लगता है तथा दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने पंहुचते हैं। प्रातः काल से ही मंदिर में शंख, घंटियां और श्लोकों के स्वर गूंजने लगते हैं तथा देवी के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर झूम उठता है। मां शीतला चौकिया देवी के मंदिर का कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है किंतु मंदिर की बनावट और तालाब के आधार पर यह लगता है, मंदिर बहुत प्राचीन है। शिव और शक्ति की पूजा आदि काल से चली आ रही है तथा इतिहास के अनुसार हिंदू राजाओं के काल में, जौनपुर का शासन अहीर शासकों के हाथों में था। हीरा चंद्र यादव को जौनपुर का पहला अहीर शासक माना जाता है तथा इस वंश के वंशज 'अहीर' उपनाम से जाने जाते थे। अहीर शासकों ने चंदवक और गोपालपुर में किले बनाए। माना जाता है कि माता शीतला का यह मंदिर अपनी कुल देवी के सम्मान में या तो यादवों द्वारा या फिर भरों द्वारा बनाया गया था। लेकिन भरों की श्रद्धा के मद्देनजर, यह निष्कर्ष निकालना अधिक तर्कसंगत माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण, भरों द्वारा किया गया था। भर अनार्य थे अर्थात वे आर्य नहीं थे। अनार्य शिव और शक्ति की पूजा करते थे।
भरों ने जौनपुर में अपनी सत्ता सम्भाली। सबसे पहले, चबूतरे या चौकी पर देवी की स्थापना की गयी होगी, सम्भवतः इसलिए माता को चौकिया देवी कहा गया। देवी शीतला दिव्य माँ के आनंदपूर्ण पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं, इसलिए उन्हें शीतला कहा जाता है। एक कहानी के अनुसार देवी दुर्गा ने छोटी कात्यायनी के रूप में अवतार लिया है, जो ऋषि कात्यायन की बेटी हैं, तथा दुनिया के सभी अभिमानी दुष्ट राक्षसी ताकतों को नष्ट करने के लिए अवतरित हुई हैं। दुर्गा के रूप में, उन्होंने कई राक्षसों को मार डाला जो कालकेय द्वारा भेजे गए थे। ज्वरसुरा नामक दानव, (बुखार के दानव) ने कात्यायनी के बचपन के दोस्तों को असाध्य रोग फैलाना शुरू कर दिया, जैसे हैजा, पेचिश, खसरा, चेचक आदि। कात्यायनी ने अपने कुछ दोस्तों की बीमारियों को ठीक किया। दुनिया को सभी बुखार और बीमारियों से राहत देने के लिए कात्यायनी ने शीतला देवी का रूप धारण किया। सोमवार और शुक्रवार को, शीतला माता के मंदिर में पूजा करने वाले काफी संख्या में आते हैं तथा नवरात्रों के दौरान यहां भारी भीड़ जमा होती है। यहां जाने के लिए तीनों सुविधाएं अर्थात हवाई मार्ग, रेलगाडियां, और सडक मार्ग उपलब्ध हैं। मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री बाबतपुर लगभग 50 किलोमीटर है। मंदिर जौनपुर सिटी रेलवे स्टेशन (Jaunpur City railway station) से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है, तथा यहां कई स्थानीय परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध हैं। चौकिया धाम प्रसाद ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन (Prasad group of Institution -SH-36) के पास स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन जौनपुर जंक्शन (Junction) और यादवेंद्रनगर हाल्ट (Halt) है। इसके अलावा मंदिर जौनपुर बस स्टैंड (stand) से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है, तथा यहां भी कई स्थानीय परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं।
तालाबंदी को लेकर यूपी सरकार द्वारा नई गाइडलाइन (Guideline) में 8 जून से धार्मिक स्थल खोले गए हैं। इस विकास के साथ ही जौनपुर के शीतला चौकिया मंदिर को बंद कर दिया गया था, जिसे फिर से खोल दिया गया है। हालांकि, कोरोनाविषाणु महामारी के कारण, भक्त केवल देवी मां की झांकी देख सकते हैं। प्रत्येक भक्त की थर्मल स्क्रीनिंग (Thermal screening) मंदिर में प्रवेश करने पर की जा रही है। उसके बाद, वे देवी माँ को देख पा रहे हैं। सभी भक्तों को एक फेस (Face) आवरण पहनना आवश्यक है जिसके बिना किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
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