रोजगार उत्पन्न करने में सहायक है, जौनपुर निर्मित दरियों का निर्यात

जौनपुर

 12-10-2020 02:04 AM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

वर्तमान समय में कालीन हर घर का हिस्सा है तथा सपाट-बुनी हुई दरियां कालीन का ही एक संस्करण है। दरियां पतले सपाट बुने हुए कालीन हैं, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से दक्षिण-एशिया में फर्श-आवरण के रूप में किया जाता है। दरी की अवधारणा कालीन से थोड़ी अलग है, क्योंकि इसका प्रयोग केवल फर्श को ढकने के लिए ही नहीं बल्कि बिस्तर के आवरण (बेडिंग/Bedding) के लिए भी किया जाता है। आकार, पैटर्न (Pattern) और सामग्री के आधार पर इसका विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है। सबसे छोटी दरी का उपयोग प्रायः टेलीफोन स्टैंड (Telephone Stand) और फूलदान के लिए टेबल कवर (Table Cover) के रूप में किया जाता है। इसके अलावा दरी का उपयोग ध्यान लगाने, बड़े राजनीतिक या सामाजिक समारोहों के लिए भी किया जाता है। दरी 4 प्रकार की सामग्रियों कपास, ऊन, जूट, और रेशम के संयोजन की विविधता से बनाई जाती है। इस सामग्री को पहले धागे में बदला जाता है और फिर दरी में बुना जाता है।
दरी बनाने की प्रक्रिया कालीन के समान नहीं हैं। दरी को बनाने के लिए धागे को ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज रूप से बुना जाता है, जिसका कोई आधार या अस्तर नहीं होता। इसलिए यह पूरी तरह से प्रतिवर्ती, अत्यंत हल्के, तह लगाने योग्य, व टिकाऊ होती हैं। मूल रूप से, भारतीय दरी को सजावटी या दिखावटी के बजाय कार्यात्मक और व्यावहारिक रूप में देखा गया था। 1947 में भारत के विभाजन के समय तक दरियों के रंगों और डिजाइनों (Designs) को भी महत्वपूर्ण नहीं माना जाता था। तब मुल्तान, हैदराबाद और झंग (Jhang) के निवासियों को पानीपत के आसपास के क्षेत्रों में उनके बुनाई के पैतृक शिल्प के साथ स्थानांतरित कर दिया गया। उस क्षेत्र की मिलों (Mills) से प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए, इन पारंपरिक बुनकरों को नए रंगों और अधिक दिलचस्प डिजाइनों को अपनी दरियों को बुनने की कला में शामिल करना पड़ा।

मिलें कम समय में दरियों का निर्माण करने में सक्षम थीं और इसलिए उन्हें सस्ती कीमत पर बेचने लगीं। अपनी आय को खोने के डर से स्थानीय बुनकरों ने जटिल पैटर्न, रंगों और डिज़ाइनों को दरी निर्माण में शामिल करना शुरू किया ताकि इन्हें मशीनों द्वारा बना पाना सम्भव न हो। इस कारण दरी बुनने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री धीरे-धीरे कपास से ऊन में बदलनी शुरू हुई तथा नये-नये पैटर्न, रंग और डिज़ाइन भी नज़र आने लगे। इस समय भारतीय दरी बुनाई के लिए प्रयुक्त सामग्री भी कपास से ऊन की ओर स्थानांतरित हो गयी, क्योंकि पानीपत उत्तर भारत क्षेत्र में कच्चे ऊन के प्रमुख उत्पादकों में से एक था। स्वचालन द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली दरियों का निर्माण नहीं किया जा सकता है, क्योंकि स्वचालन से उत्पन्न दरियां दोषपूर्ण होती हैं। स्वचालन से दरी के डिजाइन और पैटर्न के खराब होने की सम्भावना अत्यधिक होती है। इसके साथ ही स्वचालन के माध्यम से दरी निर्माण बहुत महंगा भी है। जौनपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में सदियों से पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके दरी बनाने का शिल्प लोकप्रिय रहा है। हाथ से बुनी ऊनी दरी की एक श्रृंखला स्थानीय कारीगरों द्वारा बनायी जाती है। यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों को अन्य क्षेत्रों में भी निर्यात किया जाता है, जिसके माध्यम से रोजगार उत्पन्न होता है। उत्पाद के रूप में कालीन को जौनपुर के लिए ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के एक भाग के रूप में चुना गया है। जिले का प्रमुख विनिर्माण क्षेत्र और प्रमुख निर्यात योग्य सामग्री ऊनी कालीन या दरी है। जिले में कई सूती मिल (Mill) स्थापित की गयी हैं ताकि दरियों का निर्माण किया जा सके। यह सामान्य कालीन से थोड़ी अलग होती है क्योंकि दरियों की रखरखाव लागत कम होती है। दरियां प्रायः कीटों द्वारा संक्रमित नहीं होती इसलिए इनके खराब होने का भय नहीं होता है। पूरे साल भर दरियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कपास से बनी दरियां सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी होती हैं। अवसरों के आधार पर विभिन्न पैटर्न और रंग की दरियां बाज़ारों में उपलब्ध हैं। भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश प्रायः विशिष्ट प्रकार की दरियों के लिए जाने जाते हैं। दरियों को सम्भवतः अब पूरी दुनिया में पाया जा सकता है, लेकिन पारंपरिक रूप से यह भारत, म्यांमार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्रों में उपयोग किए जाते थे। इनकी बुनाई शैली में ऐसी तकनीकें शामिल होती हैं, जिनका उपयोग हज़ारों शताब्दियों से किया जा रहा है। इसकी उत्पत्ति भारत और आसपास के क्षेत्र से हुई थी।

हालांकि फर्श पर बिछाने वाली दरियों का प्रयोग हज़ारों साल से हो रहा है किंतु 20वीं शताब्दी तक इसे आकर्षक नहीं माना जाता था। उस दौर में दरियों के डिज़ाईन और पैटर्न आकर्षक नहीं बनाए जाते थे तथा इसका उपयोग केवल बिस्तर पर कंबल के रूप में या ध्यान लगाने के दौरान आसन के रूप में किया जाता था। दिलचस्प बात यह है कि आसन के रूप में दरी का इस्तेमाल सामान्य और शाही परिवार दोनों के द्वारा किया जाता था। पंजा दरी (Panja Dhurrie), हैंडलूम दरी (Handloom Dhurrie), चिंदी दरी (Chindi Dhurrie), डिज़ाईनर दरी आदि आधुनिक दरियों के कुछ मुख्य प्रकार हैं।

संदर्भ:
http://odopup.in/en/article/Jaunpur
https://en.wikipedia.org/wiki/Dhurrie
http://blog.plushrugs.com/blog/2019/04/17/what-are-dhurrie-rugs/
https://www.yogamatters.com/blog/history-traditional-indian-dhurrie/

चित्र सन्दर्भ:
पहले चित्र में जौनपुर की दरी शिल्पकारी को दिखाया गया है। (opoup)
दूसरे चित्र में जौनपुर की दरी शिल्पकारी को दिखाया गया है। (opoup)
तीसरे चित्र में जौनपुर की दरी शिल्पकारी को दिखाया गया है। (opoup)
चौथे चित्र में जौनपुर से एक कारीगर का है। (youtube)


RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id