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बैटरी बैंक किसी प्रकार का बैंक नहीं होता है अपितु ये एक विद्युत ऊर्जा का स्रोत है, जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। ये बैटरी बैंक दो या अधिक बैटरियों के एक साथ जुड़ने से बनते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप वोल्टेज (Voltage) और धारा दोनों को बढ़ाया जा सकता है। बैटरी की शक्ति (Electro-Motive Force) उसके पत्रों (Plates) के गुणों पर निर्भर होती है, न कि उनके विस्तार पर। पत्रों के बड़े या छोटे होने पर बैटरी की शक्ति को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। तो चलिये जानते हैं बैटरी बैंक बनाने के लिये किस प्रकार दो से अधिक बैटरी को सफलतापूर्वक जोड़ा जाता है।
दो या दो से अधिक बैटरी को सफलतापूर्वक जोड़ने के लिए दो प्राथमिक तरीके हैं: श्रेणी क्रम संयोजन और समांतर क्रम संयोजन।
श्रेणी क्रम संयोजन:- जब दो या दो से अधिक बैटरी को इस प्रकार से संयोजित किया जाए कि प्रत्येक बैटरी में विद्युत धारा का मान एकसमान हो तो इस प्रकार के संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप दो 6-वोल्ट और 10 एम्पियर वाली बैटरियों को जोड़ते हैं, तो उनका कुल वोल्टेज 12-वोल्ट हो जाता है परंतु अभी भी इनकी कुल क्षमता या धारा 10 एम्पियर ही रहेगी, यदि आप इसकी शक्ति को बढ़ाना चाहते हो तो तीन बैटरियों को भी जोड़ सकते हो, तब इसका वोल्टेज 18-वोल्ट होगा। इस प्रकार आप चाहें तो चार बैटरियों को भी जोड़ सकते हो परंतु इसमें विद्युत धारा का मान एकसमान ही रहेगा।
श्रेणी क्रम में जोड़ने के लिये आपको पहली बैटरी के धनात्मक पत्र को (Positive Plate) दूसरी बैटरी के ऋणात्मक पत्र (Negative Plate) से जोड़ना होगा और दूसरी बैटरी के धनात्मक पत्र को तीसरी के ऋणात्मक पत्र से जोड़ना होगा और इसी प्रकार आप आगे बैटरियों को जोड़ते जायें तो इसे श्रेणी क्रम संयोजन कहा जाता है। ध्यान रखें कि शेष खुले धनात्मक और खुले ऋणात्मक पत्रों को कभी भी एक-दूसरे के साथ क्रॉस न करें, क्योंकि इससे बैटरी में शॉर्ट सर्किट (Short Circuit) हो सकता है और आपको क्षति या चोट पहुंच सकती है। साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित करें कि आप जो बैटरी जोड़ रहे हैं वो समान वोल्टेज और धारा की हो, अन्यथा आपको, चार्जिंग में परेशानी या बैटरी लाइफ का कम हो जाना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बैटरी के बड़े या छोटा होने से उसकी धारा की मात्रा में अवश्य प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह ऐसा प्रश्न है जो भीतरी बाधा (Resistance) से संबंध रखता है। भीतरी बाधा को घटाने से धारा की मात्रा बढ़ जाती है। यह तीन प्रकार से बढ़ सकती है-
पत्रों को पास-पास रखने से, जिससे द्रव के भीतर बिजली की धारा का रास्ता कम हो जाये। परंतु यह तरीका इतना प्रभावकारी नहीं है क्योंकि पत्रों को पास-पास रखने से वे उस भाप को निकलने से रोक देते हैं, जो द्रव में बिजली की धारा से उत्पन्न होती है।
पत्रों को बड़ा बनाने से, धारा के बहने का मार्ग भी बढ़ जाता है। परन्तु जब बैटरी का आकार बड़ा होता है, तब उनको एक जगह से दूसरी जगह ले जाना कठिन हो जाता है।
कई बैटरियों के पत्रों को समांतर क्रम में जोड़ने से।
समांतर क्रम संयोजन:- जब दो या दो से अधिक बैटरी को इस प्रकार से संयोजित किया जाए कि प्रत्येक बैटरी में वोल्टेज का मान एक समान हो, तो इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं। इस क्रम में आपकी धारा में वृद्धि होती, लेकिन वोल्टेज समान ही रहता है। उदाहरण के लिए यदि आप दो 6-वोल्ट और 10 एम्पियर वाली बैटरियों को जोड़ते हैं तो उनका कुल वोल्टेज 6-वोल्ट ही रहेगा परंतु इनकी कुल क्षमता या धारा 20 एम्पियर तक बढ़ जायेगी। ध्यान रखें कि धारा में वृद्धि होने से तार जल भी सकती हैं इसलिये अच्छी तार का ही उपयोग करें। इस क्रम में सब के सब धनात्मक पत्र बाहर के घेरे के तार के एक सिरे से जुड़ जाये, और सभी ऋणात्मक पत्र उस घेरे के दूसरे सिरे से जुड़ जाये तो यह समांतर क्रम संयोजन कहलाता है या आप एक बैटरी के धनात्मक पत्र को दूसरी बैटरी के धनात्मक पत्र से और इसी प्रकार ऋणात्मक पत्र को दूसरी बैटरी के ऋणात्मक पत्र से जोड़ कर भी समांतर क्रम का निर्माण कर सकते हैं।
यदि हम इस क्रम में चार बैटरियां जोड़ते हैं तो कुल वोल्टेज तो उतना ही रहेगा जितना एक बैटरी का था परंतु धारा चौगुनी हो जायेगी। वास्तव में हम इस क्रम में धनात्मक पत्रों और ऋणात्मक पत्रों को छोटी बैटरी के पत्रों से चौगुना कर देते हैं, जिससे भीतर की बाधा घटकर चौथाई रह जाती है, जिस कारण धारा की मात्रा बढ़ जाती है।
यदि आप बैटरी की शक्ति अर्थात वोल्टेज और धारा की मात्रा दोनों बढ़ाना चाहते हैं तो आप बैटरियों को श्रेणी और समांतर क्रम दोनों में मिला कर भी जोड़ सकते हैं, ये एक प्रकार का “मिश्रित संयोजन” है। इस संयोजन में वोल्टेज के साथ साथ धारा की मात्रा में भी वृद्धि होती है। यह तरीका थोड़ा भ्रामक और खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमे तारें आसानी से उलझ जाती हैं, इसलिये इस क्रम में बैटरी जोड़ने के लिये अधिक सावधानी की आवश्यता होती है।
मान लीजिये यदि आपको 4 वोल्ट शक्ति और 1 एम्पियर धारा की आवश्यकता है, तो आप 1 वोल्ट और आधा एम्पियर वाली चार बैटरियों को श्रेणी क्रम में जोड़ेंगे ताकि चार वोल्ट प्राप्त कर सकें और 1 एम्पियर धारा प्राप्त करने के लिये आप इन्हीं चार बैटरियों को दो समूह (प्रत्येक समूह मे चार बैटरी) में समांतर क्रम मे जोड़ेंगे। इस प्रकार आपको आठ बैटरियों की आवश्यकता होगी।
बैटरी बैंक के निर्माण के समय जोड़ने वाली तारें, यंत्र, बत्ती इत्यादि की बाधा (Resistance) जिनको बैटरी बिजली देती है, बिजली की मात्रा में बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं। इसे हम ओम के सिद्धांत से आसानी से समझ सकते हैं। ओम के सिद्धांत के अनुसार बिजली की धारा को घटाने बढ़ाने से उसकी संचालक शक्ति घटती बढ़ती है और घेरे की बाधा बढ़ाने से उसके विपरित होता है। सरल शब्दों में कहें तो बिजली की शक्ति (Electro-Motive Force) घटाने या बढ़ाने से धारा भी घटती बढ़ती है और इसके विपरित जब घेरे में बाधा बढ़ती है तो धारा कम हो जाती है। यदि हम धारा को (I) लिखते हैं वोल्टेज को (V) और बाधा को (R) लिखते हैं, तो ओम के सिद्धांत का संक्षेप रूप ऐसा बन जायेगा-
I=V/R
अर्थात वोल्टेज (V) को बाधा (R) से विभाजित किये जाने पर धारा (I) के बराबर रहेगा। उदाहरण के लिये यदि वोल्टेज पांच वोल्ट है और बाधा दस ओम तो धारा आधा एम्पियर रह जायेगी-
I=5/10=1/2
परंतु यदि बाधा को दोगुना कर दिया जाये तो धारा पहले से भी आधी हो जायेगी-
I=5/20=1/4
इस प्रकार हम इस सिद्धांत से यह पता लगा सकते हैं कि किसी कार्य को पूरा करने के लिये हमें कितनी बैटरियों की आवश्यकता हो सकती है। किंतु यह बात भी ध्यान रखनी चाहिये कि संपूर्ण बाधा में बाहरी घेरे की बाधा और बैटरी के भीतर की बाधा दोनों सम्म्लित होती है। बैटरियां प्रबल धारा उस ही वक्त देती है जब बाहरी घेरे की बाधा बैटरी के भीतर की बाधा के बराबर हो।