भारतीय शास्त्रीय संगीत की विलक्षणता

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
06-09-2020 11:02 AM
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कई बच्चे बहुत कम उम्र से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। हमने अपने आस-पास कई ऐसे बच्चों की कहानियां सुनी होंगी, किन्तु इस बात पर हमेशा बहस होती है कि बच्चों में कैसे और कहाँ से कोई विलक्षण प्रतिभा उत्पन्न होती है। जिससे हमें पता चलता है कि हम वास्तव में कम उम्र में किसी विलक्षण प्रतिभा के उत्पन्न होने के स्त्रोत के बारे में कितना कम जानते हैं। वैसे तो यह सत्य है कि 13वें जन्मदिन से पहले जो सीखने की क्षमता बच्चे रखते हैं, वह स्तर वयस्क अक्सर नहीं रखते। ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा के कुछ उदाहरण हमें भारतीय शास्त्रीय संगीत में देखने को मिलते हैं।
जिसमें दक्षिण भारत के गायक कुमार गंधर्व (1924-92) का नाम सबसे पहले आता है। उनका जन्म कर्नाटक में हुआ था, तथा उनके पिता का नाम शिवपुत्र सिद्धारमैय्या कोमकली था। वे मात्र 12 वर्ष के थे, जब उन्होंने 1936 में मुंबई के अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में अपनी प्रतिभा का बड़े मंच पर प्रदर्शन किया। उन्होंने 5 साल की उम्र से ही कर्नाटक के छोटे गांवों में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। इसके बाद रईस खान (1939-2017) का नाम आता है, जिन्हें 12 साल की उम्र में सितार-वादन के एक विलक्षण प्रतिभा वाले बच्चे के रूप में पहचाना जाता है।

आइए नज़र डालते हैं ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा वाले एरे बानिक (Array Banik) द्वारा राग यमन (Raag Yaman) पर किए गए एक शानदार प्रदर्शन पर।

सन्दर्भ:
https://www.youtube.com/watch?v=BRPvwWA1ezk
https://www.youtube.com/watch?v=4ueG9E4Hf9Q
https://www.youtube.com/watch?v=na4PUMpMO6A