बनारस और जौनपुर का एक झंडा

जौनपुर

 20-08-2020 10:24 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

आज वर्तमान समय का जौनपुर और पड़ोसी जिला बनारस कभी एक ही छत्र के नीचे कार्यरत थे। जौनपुर और बनारस दोनों एक दूसरे से सटे हुए जिले हैं तथा ऐतिहासिकता की बात की जाए तो इन दोनों जिलों में काफी समानताएं थी। जिस प्रकार से गुप्तों से लेकर प्रतिहारों ने जौनपुर और बनारस दोनों स्थलों पर शासन किया, तो उससे यहाँ पर दोनों स्थानों पर एक प्रकार के ही वास्तुखंड हमें देखने को मिलते हैं। बनारस की पौराणिक महत्ता होने के कारण बनारस सदैव से ही एक केंद्र के रूप में विकसित था। जौनपुर का मुख्य समय शुरू हुआ था शर्कियों के शासन काल के दौरान और यह वह दौर था, जब जौनपुर शिक्षा के केंद्र के रूप में निखर कर सामने आया। कालांतर में यह क्षेत्र बनारस और जौनपुर दोनों एक ही राजवंशों द्वारा पोषित हुए और यही कारण है कि यहाँ के शुरूआती राजचिन्ह भी एक ही थे। बनारस राज्य की स्थापना यहाँ के स्थानीय जमींदार राजा बलवंत सिंह ने किया था, जो की 18वीं शताब्दी में राजा की उपाधि से मनोनित किये गए थे।

उन्होंने मुग़ल साम्राज्य के विघटन का फायदा उठाते हुए अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। कालान्तर में उनके वंशजों ने ब्रिटिश शासन के आधीन होकर आसपास के क्षेत्रों पर शासन किया। 1910 में बनारस ब्रिटिश साम्राज्य का पूर्ण हिस्सा बन गया था। बलवंत सिंह नारायण वंश से तालुख रखते थे। बनारस राज्य को 13 तोपों की सलामी का अधिकार प्राप्त था। वर्तमान समय का बनारस मनसा राम द्वारा अधिगृहित किया गया क्षेत्र था। इस पूरे क्षेत्र में जौनपुर, बनारस, दिलदारनगर, चंदौली, ज्ञानपुर, मिर्जापुर आदि क्षेत्र आते थे। भूमिहार ब्राह्मणों ने भी मुग़ल साम्राज्य के पतन के समय अवध, बनारस, गोरखपुर, आजमगढ़ आदि क्षेत्रों में अपनी पैठ मजबूत की तथा उन्होंने बनारस राज का धार्मिक आधार पर समर्थन किया तथा कालांतर में बनारस ने अवध के नवाबों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद अवध के नवाब को पीछे हटना पड़ा था। जौनपुर में भी एक वंश की स्थापना हुई, जिसमे ब्राह्मण शासन का सूत्रपात हुआ था, जहाँ पर वहां के आखिरी राजा यादवेन्द्र दत्त दुबे ने शासन किया था तथा भारत के स्वतंत्रता के बाद वे भारत का अभिन्न अंग बन गए।

बनारस का राजचिन्ह अत्यंत ही महत्वपूर्ण है, यहाँ के राजचिन्ह पर दो गायों और दो मछलियों का अंकन किया गया है तथा इसपर 'सत्यवादी परो धर्मः' अंकित है। इस में दो मछलियों को वामावर्त की आकृति में दिखाया गया है तथा एक त्रिशूल का भी अंकन किया गया है, त्रिशूल शिव से सम्बंधित है तथा यह विनाशक के रूप में जाना जाता है। इसमें जो दो गायों का अंकन किया गया है, उन्हें पवित्र गायों के रूप में जाना जाता है। बनारस जैसा कि एक पौराणिक शहर है तो गायों का ध्वज पर होना उसकी पवित्रता को प्रदर्शित करता है। इसके साथ ही इसपर एक हेलमेट (Helmet) का भी अंकन किया गया है। इसपर लिखे शब्द का अर्थ है 'सत्यता सबसे बड़ा धर्म है।' इसके अलावा यहाँ का एक और चिन्ह था जिसपर दो मछलियाँ, 2 पंच्छी तथा त्रिशूल का अंकन किया गया था। मछलियों को निरंतरता के रूप में जाना जाता है। आज भी हमें ये चिन्ह बनारस में कई स्थानों पर तथा बनारस के किले जिसे की रामनगर के किले के रूप में जाना जाता है के मेहराबों और ढालों पर देखने को मिल जाता है।

सन्दर्भ
https://en.wikipedia.org/wiki/Benares_State
https://en.wikipedia.org/wiki/Yadavendra_Dutt_Dubey
https://en.wikipedia.org/wiki/Jaunpur,_Uttar_Pradesh
https://www.hubert-herald.nl/BhaUttarPradesh.htm

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में बनारस का राजचिन्ह दिखाया गया है। (Wikipedia)
दूसरे चित्र में 13 तोपों की सलामी प्राप्त बनारस राज्य के राजमहल (किले) को दिखाया गया है। (Flickr)
अंतिम चित्र में रामनगर (बनारस) के मेहराबों और ढालों पर पाया जाने वाला राजचिन्ह दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)



RECENT POST

  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM


  • विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियों का घर है हमारा शहर जौनपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:23 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id