भारत में सडकों और रंगमंचों पर विभिन्न प्रकार की प्रदर्शन कलाएं पुराने समय से ही देखी जा सकती हैं। इनमें से कुछ कलाएं आज भी जीवित हैं तथा कुछ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। जादू भी इन्हीं प्रदर्शन कलाओं में से एक है, जिसने अनेकों लोगों को वर्षों से अपनी ओर आकर्षित किया किंतु आज इसकी चमक कहीं खोने लगी है। जादू, जिसमें भ्रम जादू, रंगमंच जादू, और क्लोज अप (Close up) जादू शामिल हैं, एक प्रदर्शन कला है जिसमें जादूगर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर प्राकृतिक साधनों के उपयोग से असंभव लगने वाले करतबों के द्वारा दर्शकों का मनोरंजन करता है।
यह दुनिया की सबसे पुरानी प्रदर्शन कलाओं में से एक है। आधुनिक मनोरंजन जादू, जिसकी शुरूआत 19 वीं शताब्दी के जादूगर जीन यूजीन रॉबर्ट-हौडिन (Jean Eugène Robert-Houdin) ने की थी एक लोकप्रिय नाट्य कला रूप बन गया है। 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, मैस्केलीन (Maskelyne) और डेवैंट (Devant), हॉवर्ड थर्स्टन (Howard Thurston), हैरी केलर (Harry Kellar) और हैरी हौडिनी (Harry Houdini) जैसे जादूगरों ने जादू के इस सुनहरे दौर में व्यापक व्यावसायिक सफलता हासिल की। इस अवधि के दौरान, प्रदर्शन जादू ब्रॉडवे थिएटर (Broadway theatre), वाडेविले (Vaudeville) और संगीत हॉल (Music halls) का एक प्रमुख केंद्र बन गया। भारत में रंगमंच या सडक जादू का लंबा इतिहास रहा है। लोकप्रिय तरकीबों में रस्सी पर चलना, भारतीय टोकरी (Indian basket) और भारतीय कप और गेंद (Indian Cup and Ball) शामिल हैं। प्राचीन काल के दौरान ज़ोरीस्ट्रियन्स (Zoroastrians) का उल्लेख करने के लिए लैटिन शब्द मैगी (Magi) का उपयोग किया गया था। जादू और उसके अभ्यास का प्रदर्शन ऐतिहासिक और बहुत प्राचीन है। जादू के अभ्यास के लिए निश्चित रूप से विविध उद्देश्य थे जोकि मनोरंजन, चाल, धोखा, भ्रम, आदि उद्देश्य से विकसित हुए। इसके अलावा इनका उपयोग धार्मिक संदर्भ में तथा सामाजिक शिक्षा के साथ-साथ कुछ प्रकार के उपदेश देने के लिए भी किया गया। भारत में 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में जादू का चलन स्पष्ट होने लगा था, और बाद के वर्षों में राष्ट्र ने कुछ अलग जादूगरों को पेश किया। पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, मुंबई, आंध्र प्रदेश और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में अब तक कुछ महान जादूगर पैदा हुए हैं। पी.सी. सोरकर को आधुनिक भारतीय जादू के पिता के रूप में जाना जाता है। प्राचीन काल में, भारतीय जादूगरों को अक्सर केवल मनोरंजन का ही नहीं, बल्कि वैध रहस्यमय चमत्कारों का कार्यकर्ता भी माना जाता था। एम्पायर ऑफ एनकाउंटर: द स्टोरी ऑफ़ इंडियन मैजिक (Empire of Encounter: The Story of Indian Magic) के लेखक जॉन जुब्रजिस्की (John Zubrzycki) के अनुसार, भारतीय जादू का इतिहास 3500 ईसा पूर्व की हड़प्पा सभ्यता का है। इस बात के सबूत मिले हैं कि लोग ताबीज और तलिस्मा का इस्तेमाल करते थे। अपनी पुस्तक जादूवाला, जगलर और जिन्न (Jadoowallahs, Jugglers and Jinns) में, जुब्रजिस्की ने भारत में जादू की कला के समृद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास का पता लगाया है। वह भारतीय शहरों में आध्यात्मवाद और देश के पारंपरिक खानाबदोश सड़क जादूगरों, बाजीगरों और कलाबाज़ों की बदलती भूमिकाओं के साथ जादू के करीबी संबंध की खोज करता है। लेखक ने 1970 के दशक के उत्तरार्ध में पहली बार भारत का दौरा किया और पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में अपने पहले भारतीय सडक जादू प्रदर्शन का गवाह बना। रोमन साम्राज्य में भारतीय भाग्य बताने वालों के प्रमाण भी मिले हैं। भारतीय जादू को 1813 में एक जहाज के अंग्रेजी कप्तान द्वारा पश्चिम में लाया गया था, जिन्होंने मद्रास में बाजीगरों के एक समूह को काले सागर के पार उनके प्रदर्शन के लिए एक बड़ा इनाम दिया। जादू एक अद्वितीय प्रदर्शन कला है और यह दर्शकों को धोखा देने पर ध्यान केंद्रित करने वाले अन्य व्यवसायों से अलग है। जादुई विशेषज्ञता की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि प्रक्रिया पूरी तरह से जादुई प्रशिक्षणार्थियों के समुदायों द्वारा समर्थित अनौपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से होती है। जादुई गतिविधि के तीन परस्पर संबंधित पहलुओं को प्रतिष्ठित किया गया था: जादूई चाल, प्रदर्शन और दर्शक। हालांकि जादूई चालें जादू की गतिविधि का एक केंद्रीय पहलू है, और जादूगर इसे गुप्त ही रखते हैं। जादूगर जिनके पास हमेशा उनकी आस्तीन या टोपी में कुछ जादू होता है, अब चाहते हैं कि वे उस दुर्दशा को दूर कर सकें जो कोविड (Covid-19) उनके जीवन में लाया है। जादूगर प्रचलित तालाबंदी के कारण प्रदर्शन की अनुपलब्धता या प्रदर्शन रद्द हो जाने के कारण परेशानी में हैं। एक सामान्य दिन में, जैसे ही शाम का प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंचता है, दर्शकों की नजरें जादूगर पर टिक जाती हैं जिसने बहुरंगी वस्त्र धारण किया होता है। वह मंच पर प्रदर्शन करते हुए अचानक दर्शकों के बीच उपस्थित हो जाता है। मंत्रमुग्ध दर्शकों के सामने झुकते हुए, वह कृतज्ञता में अपनी टोपी उतारता है, और उसमें से एक कबूतर अपने पंख फड़फड़ाता बाहर निकलता है। सभी असमंजस में होते हैं कि आखिर उसने कैसे असंभव करतब को बड़ी आसानी के साथ पूरा किया। जहां पहले ही जादुई प्रदर्शनों की लोकप्रियता में गिरावट आयी थी वहीं महामारी के कारण तालाबंदी ने प्रदर्शन पर एक और प्रहार किया है। जादुई प्रदर्शनों की घटती संख्या ने वैसे भी निजी कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए जादूगरों को मजबूर किया है, लेकिन तालाबंदी के कारण, ये अवसर भी गुमनामी में बदल गए हैं। अब अच्छी तरह से स्थापित जादूगरों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। जादू की इस कला को गुमनामी से बचाने के लिए कला से सम्बंधित जादूगर सरकार द्वारा कला कौशल के रूप में पहचाने जाने के लिए अपने कौशल पर जोर देने का प्रयास कर रहे हैं। वह महसूस करते हैं कि बिरादरी में एकता की कमी जादूगरों की लोकप्रियता खोने का एक मुख्य कारण है। उनके अनुसार नवाचार की कमी, खराब नियोजन और पेशेवर ज्ञान तथा वित्तीय अस्थिरता ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से भारतीय जादूगरों की धार कमजोर हुई है। जादूगरों को फिर से लोकप्रिय बनाने के दो त्वरित तरीके हैं: पहला जादू को एक कला के रूप में स्वीकार करना और दूसरा प्रदर्शनों पर मनोरंजन कर कम करना।https://www.thestatesman.com/bengal/covid-19-impact-virus-robbed-magic-1502881787.html
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4274899/
https://en.wikipedia.org/wiki/Magic_(illusion)
https://en.wikipedia.org/wiki/Magic_in_India
https://qz.com/india/1330572/indian-magic-once-captivated-the-world-including-harry-houdini/
https://www.thehindu.com/news/cities/mumbai/to-bring-magic-back-magicians-seek-art-status-for-profession/article21437281.ece
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में जादू की कला पर पड़ने वाले कोरोना (Covid-19) के प्रभाव को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। (Prarang)
दूसरे चित्र में जादू को सर्वप्रथम रंगमंच पर प्रस्तुत करने वाले जादूगर (क्रमशः) हैरी केल्लर (Harry Kellar), मस्केलीनी (Maskelyne) और हैरी हूडिनी (Harry Houdini) के चित्रों को दिखाया गया है। (Prarang)
तीसरे चित्र में हूडिनी के घर में स्वचालित ड्रैगन को दिखाया गया है, जो खिड़की के साथ अपना शरीर अंदर बाहर करता है, साथ ही घर के बहार लगी उनकी मूर्ति को कोभी दिखाया गया है। हूडिनी का घर अब एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। (Wikimedia)
चौथे चित्र में क्रमश: डेविड देवांत (David Devant) और हॉवर्ड थर्स्टन (Howard Thurston) को दिखाया गया है, जो एक मंच पर प्रस्तुति दे रहे हैं। (Prarang)
पांचवे चित्र में भारत द्वारा जादूगर पी. सी. सरकार के सम्मान में जारी डाक टिकट को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
अंतिम चित्र में पी. सी. सरकार को प्रस्तुति देते हुए चित्रित किया गया है। (Flickr)
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