जौनपुर की अद्भुत मृदा

जौनपुर

 06-07-2020 03:37 PM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

जौनपुर कृषि प्रधान क्षेत्र है, इसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग खेतीबाड़ी से आता है। यहां की मुख्य फसलें चावल, मक्का, मटर, बाजरा, गेहूं, काला चना, प्याज और आलू है। यहाँ पशुओं के चारे की फसलें भी उगाई जाती हैं। जौनपुर में उपजाऊ कृषि योग्य बहुत बड़ा क्षेत्र है। गोमती नदी के किनारे होने के कारण, कछार की मिट्टी आसानी से उपलब्ध है। इसके इस्तेमाल से विभिन्न प्रकार के अनाज और नकदी फसलों की उपज होती है। दोमट मिट्टी उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली सामान्य मिट्टी है।

चिकनी बलुई मिट्टी एक ऐसी मिट्टी होती है, जिसमें रेत, नदी के तले और किनारों पर जमा मिट्टी जिसे कीचड़ या गाद कहते हैं, की बराबर मात्रा होती है और चिकनी मिट्टी की मात्रा इसमें कम होती है। वही कछार की मिट्टी एक ऐसी मिट्टी है, जो नदियों के बहाव से आकर जम जाती है। यह हल्की होती है और आसानी से खोदी जा सकती है और इसमें पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं। कछार की मिट्टी ढीली होती है, यह पत्थर के रूप में ठोस नहीं होती। यह बारीक चिकनी मिट्टी, सिल्ट, कंकड़ और रेत के बड़े टुकड़ों से मिलकर बनी होती है।

इंडो गैंगेटिक (Indo Gangetic) नदियां एवं ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा जो सिल्ट जमा होती है, वही कछार की मिट्टी का प्रमुख स्रोत है। इनका मूल स्रोत हिमालय के वह पथरीले इलाके हैं, जिन से नदियों का उद्गम होता है। यह मिट्टी 40% से ज्यादा भारत की आबादी को पोषण देती है। उपजाऊ जमीन के रूप में उस पर खेती होती है। कछार की मिट्टी भुरभुरी होने के कारण खेती-बाड़ी के लिए उपयुक्त होती है क्योंकि इससे पानी की निकासी अच्छी तरह होती है। कछार की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा काफी कम होती है। वही पोटाश, फास्फोरिक एसिड और अलकलाइन तत्वों की मात्रा अधिक होती है। इस मिट्टी में आयरन ऑक्साइड और चूने की मात्रा बदलती रहती है।

जौनपुर की प्रमुख मृदा और उनकी फसलें

मृदा या मिट्टी पृथ्वी का अभिन्न अंग है। क्षेत्र के अनुसार इनमें भिन्नता होती है। भारत में मिट्टी को मोटे तौर पर पांच भागों में बांटा गया है- जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी, लाल मिट्टी, लेटराइट मिट्टी तथा मरू मिट्टी। कृषि की दृष्टि से भारत की 8 प्रमुख मिट्टी हैं ।

जलोढ़ मिट्टी
काली मिट्टी,
लाल एवं पीली मिट्टी,
लैटेराइट मिट्टी
शुष्क मृदा
लवण मृदा
दलदली मृदा तथा
वन मृदा
जौनपुर में खासतौर पर रेतीली, जलोढ़ या रेतीली दोमट मिट्टी पाई जाती है। गोमती के तट पर स्थित होने के कारण यहां जलोढ़ मिट्टी का अनुपात ज्यादा है।

जौनपुर में खेतों की मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पाई जाती है। इसलिए कृषि विभाग किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच कराने के लिए निरंतर प्रेरित करता रहता है। इसके अलावा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है, जिसके उपयोग से वह खेत की मिट्टी की कमी को दूर कर सकते हैं।

चित्र संदर्भ:
1. मुख्य चित्र में खेती के दौरान मृदा को जोतकर तैयार करते हुए एक किसान को दिखाया गया है। (Picseql)
2. दूसरे चित्र में चिकनी बलुई मिटटी का ढेर दिखाई दे रहा है। (Wikipedia)
3. तीसरे चित्र में जौनपुर में मिटटी के उत्खनन को दिखाया गया है। (Prarang)
4. चौथे चित्र में नदियों के किनारे पायी जाने वाली कछारी मिटटी को दिखाया गया है। (Youtube)
5. पांचवे चित्र में सम्पूर्ण भारत में मुख्यतः क्षेत्रवार पायी जाने वाली मिटटी को मानचित्र के द्वारा प्रदर्शित किया गया है। (Prarang)
6. अंतिम चित्र में जौनपुर से होकर जाने वाली प्राणदायनी गोमती नदी का चित्र है। (Prarang)
सन्दर्भ:
1. https://in.answers.yahoo.com/question/index?qid=20091205013729AAdVjQr
2. https://www.quora.com/What-is-alluvial-soil
3. http://jaunpur.kvk4.in/district-profile.html
4. https://www.pmfias.com/alluvial-soils-black-soils-soil-types-of-india-bhabar-terai-bhangar-khadar/#Alluvial_Soils



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