‘वृक्ष आयुर्वेद’ नामक किताब में सुरपाल ने लिखा है- 10 कुएं एक तालाब के, 10 तालाब एक झील के, 10 झील एक पुत्र के और 10 पुत्र मिलकर एक पेड़ के बराबर होते हैं।
प्राणियों का जीवन पेड़ों का अनेक प्रकार से कर्जदार होता है - प्राणवायु से लेकर भोजन औषधि, पर्यावरण सब कुछ तो पेड़ों के भरोसे है। गोमती नदी, जिसके तट पर जौनपुर स्थित है, आगे जाकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है, खाड़ी में गिरने से पहले यह सुंदरवन का डेल्टा बनाती है, जहां दल दल वनों में मैन्ग्रोव (Mangroves) पेड़ और उनके साथ बाघ पाए जाते हैं।
मैन्ग्रोव जंगल
मैन्ग्रोव का मतलब है पेड़ों और झाड़ियों का ऐसा समूह जो तटीय अंतज्वारीय क्षेत्र में होते हैं। मैन्ग्रोव पेड़ों की 80 विभिन्न प्रजातियां होती हैं। यह पेड़ निम्न ऑक्सीजन वाली मृदा में पनपते हैं, जहां पानी का धीमा प्रवाह महीन गाद को इकट्ठा होने देता है। मैन्ग्रोव जंगल केवल उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में भूमध्य रेखा के पास होते हैं क्योंकि यह ठंडे तापमान को नहीं सह पाते। यह अपनी मूल जड़ों के जरिए ज्वार का मुकाबला कर पेड़ को सुरक्षित रखते हैं।
कई दलदल वाले जंगल ताजे पानी की बाढ़ में स्थित होते हैं। आमतौर पर ये जंगल नदी की निचली सतह तथा ताजे पानी की झीलों के पास होते हैं। ताजे पानी के दलदल वाले वन कई जलवायु क्षेत्रों में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए सुंदरवन के दलदल वन।
जायफल दलदल (मिरिस्टिका दलदल)
मिरिस्टिका (Myristica) वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। ताजे पानी के दलदल वाले वनों का एक उदाहरण मिरिस्टिका स्वाम्प (Myristica Swamp) यानी जायफल दलदल है। यह भारत में दो जगह मिलते हैं- कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में और दक्षिण में केरल राज्य में। इन्होंने अपने आप को स्टिल्ट (Stilt) जड़ों और नी (Knee) जड़ों के माध्यम से बाढ़ के पानी में पनपने के लिए अनुकूलित कर लिया है। सदाबहार वनों की नई प्रजाति के तौर पर 1960 में इनकी पहचान हुई। वाटेरिआ इंडिका (Vateria Indica) इनका प्रमुख वृक्ष है।
जौनपुर का वन क्षेत्र मात्र 1.26 प्रतिशत है जबकि पूरे उत्तर प्रदेश का 6 प्रतिशत है। देश के वन क्षेत्र वाले राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश चौथे स्थान पर है।
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